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Nagpur News: संविधान में शामिल अकबर, टीपू सुल्तान की तस्वीरों पर आपत्ति, व्याख्यान आयोजित

- एड. विष्णु शंकर जैन ने उठाया सवाल
- लॉ फोरम की ओर से व्याख्यान आयोजित
- समान नागरिक संहिता लागू करने से लाभ नहीं
Nagpur News. लॉ फोरम, नागपुर की ओर से आयोजित व्याख्यान में मार्गदर्शन करते हुए राम जन्मभूमि और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कानूनी संघर्ष लड़ने वाले वकील के रूप में प्रसिद्ध एड. विष्णु शंकर जैन ने कहा कि संविधान की मूल प्रति में भगवान राम की तस्वीर शामिल की गई थी, जो गौरव की बात है। लेकिन अकबर की तस्वीर संविधान में शामिल करने के पीछे क्या मानसिकता थी? झाँसी की रानी की तस्वीर के साथ टीपू सुल्तान की तस्वीर क्यों रखी गई? ऐसे कई सवाल उन्होंने उठाए। उन्होंने यह भी कहा कि, 26 नवंबर को संविधान सभा ने भारतीय नागरिकों को संविधान की शपथ दिलाई थी, जिसका उल्लेख प्रस्तावना के अंतिम अनुच्छेद में किया गया है। तो फिर 30 साल बाद "धर्मनिरपेक्षता' और "समाजवाद' जैसे शब्द जोड़ने की जरूरत क्यों पड़ी? इस पर भी उन्होंने सवाल उठाया।
वक्फ की भी बात
लॉ फोरम, नागपुर की ओर से रविवार को अमरावती मार्ग स्थित राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय परिसर के गुरुनानक भवन में "वक्फ बोर्ड और समान नागरिक संहिता – वास्तविकता' विषय पर एड. विष्णु शंकर जैन का व्याख्यान आयोजित किया गया। व्याख्यान की शुरुआत में एड. जैन ने वक्फ कानून की पृष्ठभूमि समझाई। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि केवल वक्फ कानून में संशोधन करने से समस्या हल नहीं होगी, बल्कि इसे पूरी तरह समाप्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार अनुच्छेद 370 को हटा सकती है, तो वक्फ कानून को समाप्त करना भी कठिन नहीं है। इस अवसर पर लॉ फोरम के अध्यक्ष एड. गणेश बिस्वा उपस्थित थे।
हिंदुओं को संगठित होने की आवश्यकता
सरकार ने 1991 में पूजा स्थल अधिनियम लाकर हिंदुओं के धार्मिक स्थलों पर उनके अधिकारों को बाधित किया, लेकिन केवल चार वर्षों के भीतर 1995 में वक्फ कानून पारित कर मुस्लिम समुदाय को विशेष अधिकार दिए। पूजा स्थल अधिनियम के कारण हिंदू अपने मंदिरों को पुनः प्राप्त नहीं कर सकते, जबकि वक्फ कानून के तहत असीमित अधिकार देकर संपत्ति पर नियंत्रण का रास्ता खुला रखा गया। हिंदू कानूनी मार्ग से अपने मंदिर वापस नहीं मांग सकते, जबकि दूसरी ओर वक्फ प्राधिकरण की व्यवस्था करके मुस्लिम समुदाय को संपत्ति पर अधिकार दिलाया गया। यही हिंदुओं के खिलाफ न्यायिक भेदभाव का सबसे बड़ा उदाहरण है। इस अन्याय के खिलाफ संगठित होकर आवाज उठाने की आवश्यकता है, ऐसा आह्वान एड. विष्णु शंकर जैन ने किया।
समान नागरिक संहिता लागू करने से लाभ नहीं
एड. जैन ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू करने से हिंदुओं को कोई विशेष लाभ नहीं होगा। हमें दूसरे धर्मों की समस्या हल करने की जरूरत नहीं है। विवाह की न्यूनतम आयु और बहु-विवाह जैसे दो मुद्दों को छोड़ दें तो समान नागरिक संहिता से हिंदुओं को कोई विशेष फायदा नहीं होगा। इस कानून की मांग कर हम गलत दिशा में जा रहे हैं। यदि हम इस संहिता के माध्यम से उनके धर्म में बदलाव लाने का प्रयास करते हैं, तो यह हमारी बौद्धिक हार होगी, ऐसा स्पष्ट मत एड. जैन ने व्यक्त किया।
Created On :   24 March 2025 7:50 PM IST