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Nagpur News: न्याय करना आसान नहीं यह सबसे कठिन प्रक्रिया : न्या. गवई
- न्या. चव्हाण की किताब का विमोचन समारोह
- किताब न्यायाधीशों को उनके कर्तव्य का बोध कराने वाली
- जिन्हें न्यायाधीश बनना है उनके लिए यह एक मार्गदर्शिका
Nagpur News न्याय प्रणाली, नियुक्ति और प्रशिक्षण की कमियों को दूर करने में न्या. चव्हाण का अनुभव हमेशा काम आया है। न्या. चव्हाण ने सुप्रीम कोर्ट ई-कमेटी के उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाते हुए भारतीय न्यायिक प्रणाली को डिजिटल बनाने तथा आधुनिक तकनीक उपलब्ध कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।यह बात सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति भूषण गवई ने कही। उन्होंने कहा कि, न्याय करना आसान नहीं यह सबसे कठिन प्रक्रिया है। बॉम्बे हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रवींद्र चव्हाण की किताब "बिफोर एसेंडिंग टू विक्रमादित्य थ्रोन' का विमोचन समारोह सिविल लाइन स्थित चिटणवीस सेंटर में हुआ। इस समय न्या. गवई बोल रहे थे। मुख्य अतिथि बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ के प्रशासकीय न्या. नितीन सांबरे, न्या. रवींद्र चव्हाण और प्रकाशक सुमंत चितले थे। इस दौरान न्या. रवींद्र चव्हाण ने भी किताब के बारे अपने विचार रखे। संचालन एड. प्रज्ञा चितले और आभार एड. ऋषिकेश चव्हाण ने माना।
किताब, कर्तव्य का बोध कराने वाली : न्या. सांबरे : न्या. नितीन सांबरे ने कहा कि, न्या. चव्हाण की यह किताब न्यायाधीशों को उनके कर्तव्य का बोध कराने वाली है। यह किताब उनके 50 वर्षों के अनुभव से बनी है, इसलिए जिन्हें न्यायाधीश बनना है उनके लिए यह एक मार्गदर्शिका है। न्या. सांबरे ने यह भी सलाह दी कि, यह किताब हर लॉ कॉलेज और लॉ यूनिवर्सिटी में उपलब्ध होनी चाहिए।
यह रहे मौजूद : कार्यक्रम में सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति विकास सिरपुरकर, न्या. भारती डांगरे, न्या. विनय देशपांडे, न्या. गोविंद सानप, न्या. निवेदिता मेहता, न्या. रोहित जोशी, न्या. प्रफुल्ल खुबालकर, सूचना आयुक्त राहुल पांडे, वरिष्ठ विधिज्ञ एस.के. मिश्रा, एड. पारिजता पांडे, एचसीबीए के अध्यक्ष एड. अतुल पांडे, सचिव अमोल जलतारे, डीबीए के अध्यक्ष एड. रोशन बागडे, पूर्व अध्यक्ष एड. कमल सतुजा और अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
Created On :   30 Oct 2024 9:14 AM GMT