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Nagpur News: विदर्भ में बनेगा इंडियन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक एंड रिसर्च सेंटर

- भारतीय अर्थशास्त्र प्रारूप समारोह
- स्वदेशी आंदोलन पर मार्गदर्शन
Nagpur News भारत की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विदर्भ में इंडियन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक एंड रिसर्च सेंटर के स्थापना की घोषणा की गई। इसका पहला यूनिट विदर्भ में बनेगा। भारतीय अर्थशास्त्र के समृद्ध इतिहास और भविष्य की दिशा पर विचार-विमर्श करने हेतु भारतीय अर्थशास्त्र प्रारूप समारोह का आयोजन हुआ। इस दौरान यह सभी वक्ताओं ने रिसर्च सेंटर पर जोर देते हुए इसके स्थापना की घोषणा की। यह संस्थान भारतीय शिक्षण मंडल और स्वाधीनता ग्राम विकास मंडल के संयुक्त तत्वावधान में स्थापित होगा। ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय समाज को कमजोर किया गया था और आर्थिक रूप से भारत को कमजोर बना दिया गया था। इस संदर्भ में, यह नया संस्थान भारत के आर्थिक ढांचे को पुनः सशक्त करने के लिए समर्पित रहेगा।
10 में से 2 वस्तुएं स्वदेशी हों : आर्थिक एवं राजकीय विशेषज्ञ अरविंद सिंह ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच के दत्तोपन्त ठेंगड़ी के स्वदेशी आंदोलन पर प्रकाश डाला था, साथ ही डंकल प्रस्ताव की भी जानकारी दी। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि आर्थिक गुलामी से बचने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि हमारी भी है। यदि हम 10 वस्तुएं खरीद रहे हैं तो उनमें से 2 वस्तुएं स्वदेशी होनी चाहिए।
हार स्वीकार नहीं, इसलिए आगे : कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय शिक्षा मंडल के संगठन महामंत्री शंकरानंद ने अपने संबोधन में इस सेंटर की विदर्भ में स्थापना करने की घोषणा की और स्वदेशी अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमने कभी हार स्वीकार नहीं की, इसलिए हम आगे बढ़ रहे हैं। ‘आइडियाज रूल्स द वर्ल्ड’ यह चिरंतर सत्य है। यदि शिक्षा, विश्वविद्यालय, कॉर्पोरेट सेक्टर, फैक्टरियां, प्रशासन और राजनीतिज्ञ मिलकर एक दृष्टि से काम करें, तो भारत के नए अर्थशास्त्र की नींव रखी जा सकती है। अर्थशास्त्र और संस्कृति एक ही हिस्से के दो पहलू हैं।
"इंडिया फर्स्ट" क्यों नहीं : अखिल भारतीय व्यापारी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भारतिया ने कहा कि ट्रम्प कहते हैं "अमेरिका फर्स्ट," तो हम "इंडिया फर्स्ट " क्यों नहीं कहते? दुनिया का सबसे बड़ा बाजार भारत है।
अभिषेक देशपांडे ने अपने संबोधन में कहा कि जिस तरह स्थापत्यवेद रामदेव बाबा कॉलेज में शुरू हुआ है, वैसे ही देश में भी नए सिरे से अर्थशास्त्र की नींव रखी जाए और ‘लैंग्वेज ऑफ इकोनॉमिक्स' शुरू की जाए।
अर्थशास्त्री सी. ए. श्वेताली ठाकरे ने बताया कि आज नमक सत्याग्रह दिवस पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने चरखे के माध्यम से स्वदेशी का संदेश दिया था। आज हमें फिर से स्वदेशी अपनाने की आवश्यकता है।
Created On :   13 March 2025 4:04 PM IST