Nagpur News: नागपुर के 49 तालाबों के दस्तावेज नहीं, 28 किसी और के नाम पर

नागपुर के 49 तालाबों के दस्तावेज नहीं, 28 किसी और के नाम पर
  • जिला परिषद का कब्जा बरकरार
  • जिला परिषद के तालाबों के दस्तावेज खंगालने शुरू

Nagpur News जिला परिषद के सिंचाई विभाग की घोर लापरवाही सामने आई है। जिला परिषद जिन तालाबों पर अपना दावा करती है, उनमें से 49 तालाबों के जिप के पास मालिकाना अधिकार के दस्तावेज ही नहीं हैं। चौंकानेवाली बात यह है कि 28 ऐसे तालाब हैं, जिनका मालिकाना अधिकार निजी व्यक्ति का है। हालांकि सभी तालाबों पर जिला परिषद का कब्जा है।

इन तालाबों के निजी मालिक : जिला परिषद के 124 लघु सिंचाई और 214 मामा तालाब हैं। इनमें से खापरी बनेरा, गोंडखैरी, तिष्टी-1 और तिष्टी-2, तेलकामठी-2, रामगिरी, जूनेवानी जोगा, जलालखेड़ा, छत्रापुर, टेकड़ी बिचवा, सुरेवाणी, कपलेश्वर, कोकर्डी, झिलपी, उबगी, पिल्कापार, खुर्सापार, दोडमा, सोनपुरी, वाढोणा खुर्द, आदासा सोनपुर, वरोडा, भागीमहारी, पिपला, भेंडाला, सावली आदि तालाबों का नमूना सात-बारा और नमूना आठ-अ में निजी मालिकाना अधिकार दर्ज हैं।

विज्ञापन से खुली नींद : दाे साल पहले जिला परिषद का एक तालाब निजी व्यक्ति ने बेचने का विज्ञापन प्रकाशित किया था। उसके बाद जिला परिषद की नींद खुली। जिला परिषद के तालाबों के दस्तावेज खंगालने शुरू हुए। जो दस्तावेज हाथ लगे, उसमें पता चला कि 49 तालाबों के जिप सिंचाई विभाग के पास दस्तावेज ही नहीं है। जिस तालाब को बेचने का विज्ञापन प्रकाशित किया गया था, उस तालाब पर निजी व्यक्ति का कब्जा है। सरकारी रिकॉर्ड में तालाब का मालिकाना अधिकार भी उसी का है। तब जाकर तालाब का मालिकाना अधिकार अपने नाम करने की प्रक्रिया आरंभ की गई। सूत्र बताते हैं कि अभी तक जिला परिषद को उस तालाब का मालिकाना अधिकार नहीं मिला है।

करोड़ों खर्च, लेकिन आय नहीं : जिला परिषद तालाबों को बचाने के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन उन तालाबों से आय के स्रोत विकसित करने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए। तालाबों के संवर्धन पर करोड़ों रुपए खर्च कर खानापूर्ति की जा रही है। उसके संरक्षण की दिशा में उचित कदम नहीं उठाए जाने से अनेक तालाब अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए हैं। जानकारों का मानना है कि उचित ढंग से संवर्धन कर व्यावसायिक उपयोग में लाने पर जिला परिषद को आय का नया स्रोत बन सकता है, लेकिन उस दिशा में प्रयास नहीं किए जाने से तालाबों का अस्तित्व खतरे में आ गया है।


Created On :   27 March 2025 12:15 PM IST

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