Nagpur News: कभी भी डंकी के रूप में विदेशों में बेहतर जिंदगी अपनाने का प्रयास न करें

कभी भी डंकी के रूप में विदेशों में बेहतर जिंदगी अपनाने का प्रयास न करें
  • 58 दिन बाद अमेरिका से बंदी के रूप में लौटे
  • युवक हरप्रीत सिंह लालिया की गुहार

Nagpur News नीरज दुबे / जसप्रीत टुटेजा 10 दिसंबर को आलीशान जिंदगी और अमेरिका में डालर कमाने के चक्कर में मुंबई से निकले हरप्रीत सिंह लालिया गुरुवार को सुबह करीब 10 बजे नागपुर लौटा। करीब 58 दिन भूखे-प्यासे बंदूक की नोंक पर जिंदगी बचने की नाउम्मीदी लगातार साथ रही। आखिरकार अपनी बूढी़ मां, पत्नी और दो बच्चियों के पास लौटे हरप्रीतसिंह लालिया केवल इतना ही कह पाया कि, कभी भी डंकी के रूप में विदेशों में बेहतर जिंदगी अपनाने का प्रयास न करें। वैध रूप से ही अपनी शिक्षा और योग्यता के साथ दूसरे देश जाने का प्रयास करें। कभी भी विदेश भेजने वाले एजेंटों को पूरे पैसे एडवांस में न दें।

12 दिन तक अमेरिका की जेल में | अवैध प्रवासियों को अपने परिजनों से संपर्क करने के लिए कई मर्तबा मोबाइल फोन मुहैया कराया जाता था। इस संपर्क से सिर्फ पैसा पाने की ही अनुमति होती थी। 22 जनवरी को अमेरिकी पुलिस की हिरासत में आने के बाद सैनडिएगो की जेल में रखा गया। यहां पर खाने के लिए केवल चिप्स, सेब और जूस दिया जाता था। अमेरिका की एयरफोर्स ने यूएस नागरिकों से गारंटी मिलने पर छोड़ने का झंासा देकर विमानों में बैठाया। विमान में सभी को हथकड़ी, पैर और कमर में बेड़ियां लगाई गईं। 2 फरवरी को विमान में सवार होने के बाद से ही चिप्स, सेब और जूस पांच मर्तबा मुहैया कराया जाता रहा। सैनडिएगो की जेल से निकलने के बाद कैलिफोर्निया के गुवाम में ठहराया गया। इसके बाद 5 फरवरी को अमृतसर पहुंचे। अमृतसर से मुंबई और गुरुवार की सुबह 10 बजे नागपुर शहर पहुंचा।

बगैर पैसों के खाना भी नहीं |हार्मासीलों में पहुंचने के बाद अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश दिलाने के लिए माफिया ने पैसों की मांग की। सभी प्रवासियों को बंदूकधारियों की निगरानी में 10 दिन तक रखा गया। पैसाें के लिए बहन और दोस्त गुरुप्रीत सिंह से संपर्क के लिए मोबाइल दिया गया। ट्रैवल एजेंट के माध्यम से 31 लाख 50 हजार रुपए मिलने के बाद हरप्रीतसिंह लालिया समेत 22 प्रवासियों से पैसे मिले, लेकिन नेपाल के नागरिक से पैसे नहीं मिलने पर गोली मार दी गई। पैसों के मिलने के बाद बंदूकधारियों ने पनास्को में एक दिन ठहराने के बाद अमेरिका के सीमावर्ती इलाके मैक्सिकली में पहुंचाया। बंदूक की निगरानी में ही करीब 4 घंटे तक 5 से अधिक पहाड़ों का सफर करने के बाद अमेरिका के जीरो लाइन बार्डर क्षेत्र में पहुंचे। इस जगह पर भी लोहे के तारों की दीवार को पार कर चलना पड़ा। प्रवासियों को अपने खाने के लिए 1500 डालर देने पड़ते थे। इसके बदले में कच्चा चावल, प्याज, टमाटर, बीफ दिया जाता था। बीफ नहीं खाने की स्थिति में अधिकतर प्रवासियों को कई-कई दिन तक चावल से काम चलाना पड़ा। आखिरकार 22 जनवरी को अमेरिका पहुंचे, लेकिन चंद मिनटों में ही अमेरिकी पुलिस की हिरासत में पहुंच गए।

12 दिन तक अमेरिका की जेल में | अवैध प्रवासियों को अपने परिजनों से संपर्क करने के लिए कई मर्तबा मोबाइल फोन मुहैया कराया जाता था। इस संपर्क से सिर्फ पैसा पाने की ही अनुमति होती थी। 22 जनवरी को अमेरिकी पुलिस की हिरासत में आने के बाद सैनडिएगो की जेल में रखा गया। यहां पर खाने के लिए केवल चिप्स, सेब और जूस दिया जाता था। अमेरिका की एयरफोर्स ने यूएस नागरिकों से गारंटी मिलने पर छोड़ने का झंासा देकर विमानों में बैठाया। विमान में सभी को हथकड़ी, पैर और कमर में बेड़ियां लगाई गईं। 2 फरवरी को विमान में सवार होने के बाद से ही चिप्स, सेब और जूस पांच मर्तबा मुहैया कराया जाता रहा। सैनडिएगो की जेल से निकलने के बाद कैलिफोर्निया के गुवाम में ठहराया गया। इसके बाद 5 फरवरी को अमृतसर पहुंचे। अमृतसर से मुंबई और गुरुवार की सुबह 10 बजे नागपुर शहर पहुंचा।

बगैर पैसों के खाना भी नहीं |हार्मासीलों में पहुंचने के बाद अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश दिलाने के लिए माफिया ने पैसों की मांग की। सभी प्रवासियों को बंदूकधारियों की निगरानी में 10 दिन तक रखा गया। पैसाें के लिए बहन और दोस्त गुरुप्रीत सिंह से संपर्क के लिए मोबाइल दिया गया। ट्रैवल एजेंट के माध्यम से 31 लाख 50 हजार रुपए मिलने के बाद हरप्रीतसिंह लालिया समेत 22 प्रवासियों से पैसे मिले, लेकिन नेपाल के नागरिक से पैसे नहीं मिलने पर गोली मार दी गई। पैसों के मिलने के बाद बंदूकधारियों ने पनास्को में एक दिन ठहराने के बाद अमेरिका के सीमावर्ती इलाके मैक्सिकली में पहुंचाया। बंदूक की निगरानी में ही करीब 4 घंटे तक 5 से अधिक पहाड़ों का सफर करने के बाद अमेरिका के जीरो लाइन बार्डर क्षेत्र में पहुंचे। इस जगह पर भी लोहे के तारों की दीवार को पार कर चलना पड़ा। प्रवासियों को अपने खाने के लिए 1500 डालर देने पड़ते थे। इसके बदले में कच्चा चावल, प्याज, टमाटर, बीफ दिया जाता था। बीफ नहीं खाने की स्थिति में अधिकतर प्रवासियों को कई-कई दिन तक चावल से काम चलाना पड़ा। आखिरकार 22 जनवरी को अमेरिका पहुंचे, लेकिन चंद मिनटों में ही अमेरिकी पुलिस की हिरासत में पहुंच गए।

160 डॉलर के बदले इमिग्रेशन वालों ने माफिया को सौंप दिया : इन सभी को ग्वाटेमाला एयरपोर्ट पर नजरबंद कर प्रत्येक से 160 डालर के बदले इमिग्रेशन वालों ने माफिया को सौंप दिया। ग्वाटेमाला में आधिकारिक रूप से प्रवेश दिलाने के लिए ही करीब 150 से अधिक अवैध प्रवासियों को बस और टैक्सी में भरकर करीब 24 घंटे तक घुमाया गया। इस दौरान प्रत्येक चेक प्वाइंट पर पासपोर्ट में 50 डालर देने पर छोड़ा गया। ग्वाटेमाला में पहुंचने पर निकारागुआ, टेपोचुला से होकर मैक्सिको तक पहुंचने के लिए खतरनाक ट्यूब बोट में भी सफर कराया गया। 2 जनवरी को मैक्सिको के टपास्को में करीब 30 लोगों को पिकअप वैन में बंद कर रखा गया। इनमें नेपाली, पाकिस्तानी, बांग्लादेशियों का समावेश था। मैक्सिको में माफिया से इन अवैध प्रवासियों को पुलिस को सौंपा गया। पुलिस ने करीब 2 दिन एक गोदाम में बंद रखने के बाद 4 जनवरी की दोपहर को हार्मासीलों में दोबारा माफिया को सौंप दिया।

कानूनी प्रक्रिया के नाम पर एजेंट की धोखाधड़ी |पांचपावली पुलिस स्टेशन अंतर्गत बुद्धाजी नगर निवासी 33 साल का हरप्रीत सिंह दो ट्रकों के साथ अपने पिता का ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय संभालता था। कम आमदनी और 5 अप्रैल 2024 को पिता के निधन के बाद जिम्मेदारी और आर्थिक संकट बढ़ गया। ऐसे में मां, पत्नी और बच्चियों को सुखद जिंदगी देने के चक्कर में पंजाब के गुरुदासपुर के ट्रैवल एजेंट के संपर्क में आया। पिछले साल नवंबर में 18 लाख रुपए लेकर एजेंट ने हरप्रीतसिंह को कनाडा भेजने की कोशिश शुरू की। 5 दिसंबर को कानूनी रूप से कनाडा का टूरिस्ट वीजा लेकर हरप्रीतसिंह को मुंबई से निकला, लेकिन हरप्रीतसिंह को 6 दिसंबर को अबू धाबी में रोक लिया गया। भारतीय दूतावास ने हरप्रीतसिंह को अागे भेजने पर रोक लगा दी और उसे वापस लौटना पड़ा। ट्रैवल एजेंट ने भारतीय दूतावास से समस्या का निराकरण कराने का वादा कर मुंबई में हरप्रीत सिंह को रोके रखा, लेकिन कोई कानूनी प्रक्रिया किए बगैर ही हरप्रीत सिंह लालिया को डंकी के रूप में 16 दिसंबर को भेज दिया।

जालसाजी का एहसास तक नहीं हुआ | 16 दिसंबर को मुंबई से निकले हरप्रीत सिंह को उम्मीद भी नहीं थी कि, 58 दिनों में जेल, कैद, हथकड़ी, माफिया और पुलिस की बंदूकों के साथ खाने और नींद को भी तरसना पड़ेगा। स्पेन से ठहरकर 26 दिसंबर को ग्वाटेमाला पहुंचा। पूरे सफर के दौरान तक ट्रैवल एजेंट से धोखा देने का हरप्रीतसिंह लालिया को एहसास तक नहीं हुआ। कानूनी प्रक्रिया की बजाय अवैध प्रवासी के रूप में एजेंट ने लाखों रुपए लेकर फंसा दिया। हरप्रीतसिंह के साथ गुजरात के दंपति 11 साल के बेटे, 16 साल की बेटी, नेपाल के दो नागरिक, पाकिस्तान और बांग्लादेश के एक-एक नागरिक के साथ हरियाणा के लोगों समेत कुल 22 लोग थे।

Created On :   7 Feb 2025 4:41 PM IST

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