Nagpur News: गर्माया महंगी बिजली का मुद्दा, हाईवोल्टेज जनसुनवाई में प्रस्तुत किया दर कम करने का प्रस्ताव

गर्माया महंगी बिजली का मुद्दा, हाईवोल्टेज जनसुनवाई में प्रस्तुत किया दर कम करने का प्रस्ताव
  • कृषि विद्युत आपूर्ति पर भी गंभीर आपत्ति
  • एमईआरसी ने आयोजित की थी ऑनलाइन जनसुनवाई

Nagpur News. महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग (एमईआरसी) द्वारा मंगलवार को महावितरण की दायर याचिका पर आयोजित ऑनलाइन जनसुनवाई में कृषि बिजली आपूर्ति और महंगी बिजली का मुद्दा गर्माया। विविध संगठनों और ग्राहकों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई। सुनवाई सदर स्थित जिला नियोजन समिति के सभागृह में हुई, जहां किसानों से लेकर सौर ऊर्जा परियोजनाओं तक के मुद्दों पर चर्चा गर्माई।

नए टैरिफ संरचना पर भी मंथन

आयोग की नागपुर जनसुनवाई में पहली बार महावितरण द्वारा बिजली दर कम करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया, मात्र कई संगठनों द्वारा शुल्क में बढ़ोतरी करने का आरोप लगाया गया। सुनवाई में प्रमुख रूप से कृषि कार्यों के लिए बिजली आपूर्ति का समय, सौर ऊर्जा से जुड़े मुद्दे और बिजली टैरिफ का मुद्दा उठाया गया। इसके अलावा, नए टैरिफ संरचना पर भी गंभीर विचार-विमर्श हुआ। यह जनसुनवाई महाराष्ट्र के नागरिकों और अन्य संगठनों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुई, क्योंकि यह तय करेगा कि बिजली की दरों का नया ढांचा कैसे आकार लेगा।

उद्योगों ने जताई चिंता

महावितरण ने इस वर्ष पहली बार टैरिफ कम करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, लेकिन उद्योगों ने इसके खिलाफ कई चिंताएं जताई हैं।

चंद्रपुर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के ईशांत गोयल ने कहा कि पड़ोसी राज्यों की तुलना में बिजली दरें बहुत अधिक हैं, जिसके कारण कई उद्योग उत्तर प्रदेश की ओर पलायन कर रहे हैं।

कौशल सिद्दीकी ने सौर परियोजनाओं में किए गए निवेश का हवाला देते हुए कहा कि प्रस्तावित आठ घंटे की अवधि से उद्योगों को नुकसान होगा। -अन्य उद्योग प्रतिनिधियों ने भी सौर ऊर्जा नीति में स्थिरता और अतिरिक्त शुल्क लगाने की आवश्यकता पर बल दिया।

आर. बी. गोयनका ने कहा, "मेरे जैसे कई ईमानदार उपभोक्ताओं को कृषि भुगतान नहीं मिल पा रहे हैं। महावितरण को बिजली खरीद दरों में कमी पर ध्यान देना चाहिए। "इस प्रस्ताव से पारंपरिक विद्युत उत्पादन प्रभावी हो सकता है, जो राष्ट्रीय ऊर्जा संकट को और बढ़ा सकता है।’ राज्य में इस मुद्दे को लेकर आगे और भी विरोध प्रदर्शन और बहस की उम्मीद जताई जा रही है।

कई संगठनों ने दर्ज की आपत्ति

गोपाल राठी- महावितरण का घाटे का दावा गलत है। मुंबई में अडानी 1,000 यूनिट से ज्यादा उपयोग पर 11 रुपये प्रति यूनिट बिजली देता है, जबकि नागपुर में महावितरण 20 रुपये चार्ज करता है।

अनिल वडापल्लीवार - नागपुर के पास कोराडी और खापरखेड़ा जैसे बड़े पावर प्लांट होने के बावजूद बिजली इतनी महंगी क्यों है। महंगी बिजली के कारण उद्योग दूसरे राज्यों में जा रहे हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है।

आनंद संघई- लाखों मीटर बंद पड़े हैं, लेकिन बदले नहीं जा रहे, जिससे किसानों को बिजली कटौती का दोषी ठहराया जा रहा है।

श्रीराम सातपुते (उपभोक्ता पंचायत) - किसानों को रुफटॉप मीटर लगाने के लिए मजबूर न किया जाए और हर तालुका में उपभोक्ता निवारण केंद्र बनाए जाएं।

1 अप्रैल से नया टैरिफ

महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग ने अपने रिसोर्स एडिक्वेसी प्लान में बताया कि 2025-26 से 2029-30 तक बिजली बिक्री के लिए 1,58,408 करोड़ से 1,93,692 करोड़ रुपये का अनुमान है, जिसमें विभिन्न श्रेणियों जैसे घरेलू, कृषि, सार्वजनिक, और औद्योगिक उपभोक्ताओं को शामिल किया गया है। आयोग ने इस अवधि में महावितरण द्वारा 1,35,869.89 करोड़ से 1,69,784.70 करोड़ रुपये के महसूल की मांग की है।

यह आश्वासन मिला है

आयोग द्वारा स्पष्ट किया गया कि 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाली नई दरों में खासतौर पर कृषि बिजली आपूर्ति के समय को लेकर किसानों के सुझावों का ध्यान रखा जाएगा। इसके अलावा, सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भी उपयुक्त नियमों पर विचार किया जाएगा, ताकि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में राज्य के प्रयासों को बढ़ावा दिया जा सके। ऑनलाइन सुनवाई में हुई चर्चा के आधार पर नए टैरिफ 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे, जिससे अगले पांच वर्षों तक बिजली दरों का ढांचा तय होगा।

इनकी थी उपस्थिति

इस मौके पर ऑनलाइन प्रणाली द्वारा आयोग के अध्यक्ष संजय कुमार, सचिव डॉ. राजेंद्र आंबेकर, सदस्य आनंद निमये और सुरेंद्र बियानी साथ ही प्रत्यक्ष रूप से प्रफुल्ल वऱ्हाडे, घनश्याम पाटील उपस्थित थे। महावितरण की ओर से व्यवस्थापकीय संचालक लोकेश चंद्र, शासकीय तौर पर अपर मुख्य सचिव (ऊर्जा) आभा शुक्ला उपस्थित थीं।

Created On :   5 March 2025 8:07 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story