Nagpur News: दुर्गापुर खदान मामले में वेकोलि अधिकारियों को प्रदूषण पर कारण बताओ नोटिस

दुर्गापुर खदान मामले में वेकोलि अधिकारियों को प्रदूषण पर कारण बताओ नोटिस
  • प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्रवाई, हाई कोर्ट में शपथ पत्र
  • वेकोलि अधिकारियों को प्रदूषण पर कारण बताओ नोटिस

Nagpur News. चंद्रपुर के पास दुर्गापुर ओपन कास्ट कोयला खदान के विस्तार के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में दायर जनहित याचिका में कोर्ट ने पेड़ों की कटाई पर पहले ही अंतरिम रोक लगाई है। अब इस मामले में वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) द्वारा जल प्रदूषण किए जाने की बात सामने आई है। इसी कारण महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वेकोलि के अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

वन भूमि पर जंगली जानवरों का अधिवास : नागपुर खंडपीठ में प्रकृति फाउंडेशन के अध्यक्ष दीपक दीक्षित ने यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार, कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए वेकोलि की दुर्गापुर खदान का 121.58 हेक्टेयर वन भूमि में विस्तार किया जाना है। इस परियोजना को मंजूरी मिल गई है। खदान विस्तार के लिए उपयोग की जाने वाली वन भूमि पर कई जंगली जानवरों का अधिवास है। यह क्षेत्र मुख्य क्षेत्र से 12 किमी और ताडोबा-अंधारी बाघ संरक्षण परियोजना के बफर जोन से केवल 1.25 किमी दूरी पर है। खदान के विस्तार की स्थिति में करीब 60 हजार पेड़ काटे जाएंगे। इसलिए याचिकाकर्ता ने दुर्गापुर ओपन कास्ट कोयला खदान के विस्तार की परियोजना रद्द करने की मांग की है।

निरीक्षण में आरोप सही पाया : याचिका पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. वृषाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई। इस दौरान महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शपथ पत्र कोर्ट में प्रस्तुत किया। इसमें बताया गया कि खदान का पानी मोटघाट नाले में छोड़ा जा रहा है, जो आगे चलकर इरई नदी में मिलता है। जब बोर्ड के अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण किया, तो यह आरोप सही पाया गया। इसके आधार पर वेकोलि अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिसमें पूछा गया है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए। अब कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद रखी है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. महेश धात्रक ने पैरवी की।

इसलिए अभी तक मंजूरी नहीं : इस खदान के विस्तार के लिए पर्यावरणीय मंजूरी पर चर्चा करने हेतु 14 जनवरी को एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे सामने आए, जिनमें पाया गया कि खदान में सेडिमेंट टैंक उपलब्ध नहीं कराया है और खदान का पानी पुरानी पद्मापुर खदान में छोड़ा गया है। इसके अलावा, वायु गुणवत्ता निगरानी संयंत्र भी स्थापित नहीं किया गया है। इन्हीं कारणों से अब तक इस परियोजना को अंतिम मंजूरी नहीं दी गई है। परियोजना के प्रस्तावकों को व्यक्तिगत सुनवाई के लिए बुलाया गया है और उसके बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा, ऐसा शपथ पत्र में उल्लेख किया गया है।

Created On :   24 Feb 2025 7:31 PM IST

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