Nagpur News: दरकते परिवार , नागपुर शहर में हर दिन औसतन हो रहे दो तलाक

दरकते परिवार ,  नागपुर शहर में हर दिन औसतन हो रहे दो तलाक
  • 7 वर्ष में 6 हजार जोड़े अलग
  • समझौते की मानसिकता नहीं रही : विशेषज्ञ

Nagpur News आधुनिक और तकनीकी युग में बढ़ती व्यस्तता और तनावपूर्ण जिंदगी के चलते तलाक का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है। दिन ब दिन समस्या विकराल होती दिखाई दे रही है। नागपुर शहर की बात करें तो वर्ष 2018 से 2024 इन 7 वर्षों में फैमिली कोर्ट से 5 हजार 995 जोड़े आपसी सहमति से अलग हुए हैं। यानी शहर में हर दिन औसतन दो तलाक हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तलाक का प्रमुख कारण यह है कि समझौता करने की मानसिकता ही नहीं रही है।

‘ईगो’ बड़ा होता जा रहा है : तलाक के कई कारण हो सकते हैं। प्रतिबद्धता की कमी, बेवफ़ाई या विवाहेत्तर संबंध, घरेलू हिंसा, मादक द्रव्यों का सेवन, अनुचित व्यवहार, बहुत ज्यादा संघर्ष और बहस, शारीरिक अंतरंगता की कमी और वित्तीय असंगति यह तलाक के आम कारण रहे हैं, लेकिन इस बदलते युग में तलाक के नए नए कारण सामने आ रहे हैं। िवशेषज्ञों का कहना है कि नई पीढ़ी में लड़का और लड़की दोनों कमाते हैं, ऐसे में दोनों का ही ईगो बड़ा हुआ है। एक-दूसरे की बात सुनने की किसी की भी मानसिकता नहीं रही। लड़की के घर वालों को लगता है कि हमारी लड़की भी कमाती है, इसलिए उनका अलग ठाट चलता है। वहीं लड़के के घरवालों को लगता है कि लड़की भले ही कमाती हो, लेकिन उसे घर का काम भी करना चाहिए। ससुरालवालों के इस उम्मीद और जिद के कारण भी विवाद पैदा होता है। आज कल तो शादी से पहले ही फिर लड़का हो या लड़की, उनके अफेयर होने के कारणों से भी तलाक के मामले बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों ने इस पर भी जोर देेते हुए कहा कि तलाक के लिए कोर्ट में आने वालों की ऐसी निश्चित कोई उम्र नहीं, हर उम्र के लोग तलाक के लिए आते हुए दिखाई देते हैं।

परिवारों को मध्यस्थ की भूमिका निभाने की आवश्यकता : नागपुर फैमिली कोर्ट की एड. शर्मिला चरलवार ने कहा कि पति-पत्नी के बीच झगड़े को सुलझाने के बजाय परिवार के अन्य सदस्य भी झगड़े को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। अदालत में तलाक का मामला दायर करने से पहले चर्चा करके विवाद का समाधान किया जा सकता है, लेकिन कोई भी इस विवाद को सुलझाना नहीं चाहता। इसलिए, परिवार के लोगों को ही आगे आकर मध्यस्थ की भूमिका निभाने की आवश्यकता है। साथ ही, समाज को भी यह जिम्मेदारी स्वीकारना जरूरी है, तभी तलाक के मामलों में कमी आएगी।

बच्चों की कस्टडी के हर साल 52 मामले दर्ज : नागपुर के फैमिली कोर्ट में बच्चों की कस्टडी के लिए हर साल औसतन 52 मामले दर्ज किए जा रहे हैं। वर्ष 2018 से 2024 इन 7 वर्षों में बच्चों की कस्टडी के लिए 369 मामले दायर किए गए। क्रमश: देखें तो वर्ष 2018 में 61 मामले, 2019 में 50, 2020 में 21, 2021 में 45, 2022 में 67, 2023 में 66 और वर्ष 2024 में 59 मामले दायर किए गए।

Created On :   4 Feb 2025 3:12 PM IST

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