Nagpur News: सीएसआर फंड से होगा पीड़ितों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट, पंजीकृत बच्चों की स्क्रीनिंग होगी

सीएसआर फंड से होगा पीड़ितों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट, पंजीकृत बच्चों की स्क्रीनिंग होगी
  • डागा अस्पताल के हेमेटोलॉजी डे केयर सेंटर में एचएलए टाइपिंग टेस्ट
  • 50 पंजीकृत बच्चों की स्क्रीनिंग की जाएगी

Nagpur News : यदि किसी बच्चे को सिकलसेल या थैलेसीमिया है, तो उसके परिजनों (माता-पिता, भाई-बहन) की एचएलए टाइपिंग जांच की जाती है। यह टेस्ट मैच हुआ, तो उनका समुपदेशन किया जाता है। समुपदेशन के दौरान बताया जाता है कि बच्चे की बीमारी का उपचार किया जा सकता है। इसके लिए एचएलए टाइपिंग मैच होने वाले सदस्य को बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए बताया जाएगा। यदि वह मान गया, तो आगे के खर्च व अन्य पहलुआें के बारे में बताया जाता है। ऐसा डागा अस्पताल के हेमेटोलॉजी सेंटर के विभाग प्रमुख डॉ. संजय देशमुख ने बताया है।

25 लाख तक खर्च

डॉ. देशमुख ने कहा कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट का खर्च औसत 25 लाख रुपए तक आता है। आम जनों के लिए यह खर्च कर पाना संभव नहीं है। इसलिए डब्ल्यूसीएल ने सीएसआर फंड से बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए प्रति मरीज 10 से 12 लाख रुपए तक की स्वीकृति दी है। इसके अलावा महात्मा ज्याेतिबा फुले जन स्वास्थ्य योजना से 5 लाख रुपए तक राशि मिलेगी। अन्य कुछ समाजसेवी संगठनों से इसके लिए हाथ बढ़ाने का अनुरोध किया जाने वाला है। उन्होंने ने बताया कि सिकलसेल मरीजों को जीवनभर रक्त चढ़ाना पड़ता है। इससे संक्रमण का डर बना रहता है। बच्चों के शारीरिक विकास की गति थम जाती है। रक्त चढ़ाने के बावजूद मरीज स्वस्थ नहीं होता है। अधिकतम 15 साल की आयु तक बोन मैरो ट्रांसप्लांट हो जाना चाहिए। ट्रांसप्लांट सफल होने पर पीड़ित बच्चों को रक्त देने की आवश्यकता नहीं होती। वह हमेशा के लिए स्वस्थ हो जाता है।

50 पंजीकृत बच्चों की स्क्रीनिंग की जाएगी

एचएलए टाइपिंग टेस्ट कराने के लिए निजी केंद्रों में 10 से 15 हजार रुपए लगते हैं, इसलिए डागा अस्पताल के हेमेटोलॉजी डे केयर सेंटर में यह टेस्ट नि:शुल्क की जाने वाली है। 10 दिसंबर को सुबह 9 बजे से टेस्ट शिविर का आयोजन किया गया है। इस शिविर में 12 साल से कम आयु वर्ग के थैलेसीमिया व सिकलसेल बच्चों व परिजनों की जांच की जाएगी। जिला सिविल सर्जन डॉ. निवृत्ति राठोड ने बताया कि एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) टाइपिंग टेस्ट सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यह टेस्ट आगे के उपचार पद्धति को सटिकता देती है। सुपर स्पेशलिटी के डॉ. दिलीप माधवी ने बताया कि यह शिविर अधिकतम 12 साल आयु वर्ग के सिकलसेल व थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए है। शिविर में दिल्ली से विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम आ रही है। 50 पंजीकृत बच्चों की स्क्रीनिंग की जाएगी। पंजीयन के लिए डागा हेमेटोलॉजी सेंटर में लीना बोरकर से संपर्क किया जा सकता है।

Created On :   8 Dec 2024 5:51 PM IST

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