Nagpur News: बाघ का भय, पाठशाला नहीं जा रहे बच्चे, अधिकारियों ने कहा उपाययोजना करेंगे

बाघ का भय, पाठशाला नहीं जा रहे बच्चे, अधिकारियों ने कहा उपाययोजना करेंगे
  • गांव पहुंचे अधिकारी, निर्णय शून्य
  • सड़क खराब, स्कूल पैदल जाते हैं

Nagpur News. बाघ का भय। जान बचाने को विवश पालतू पशु। खेतों में सन्नाटा। गांव में बेचैनी। पाठशाला जाने से जी चुराते बच्चे। भावुक दरकार- हमें नहीं पर हमारे बच्चों के भविष्य को तो बचा लाे सरकार। दुर्गम व विकास की धारा से दूर रहे क्षेत्र की यह वेदना जिले में सुनी जा रही है। मदद का भरोसा पहले भी मिलता रहा, अब भी मिल रहा है, लेकिन समस्या यथावत है। पाठशाला तक सुरक्षित पहुंचाने का बस तो तैयार है, लेकिन सड़क तैयार नहीं हो पा रही है। सोमवार को माताओं व कामकाजी महिलाओं को लेकर महिला सरपंच शकुंतला कंगाले जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचीं। जिलाधिकारी के निर्देश पर अन्य अधिकारियों ने शिकायत सुनीं।

गांव पहुंचे अधिकारी, निर्णय शून्य

गांव में भी समस्या पर नजर डालने अधिकारी पहुंच गए, लेकिन निर्णय शून्य ही रहा। नागपुर में जीरो माइल से करीब 40 किमी दूर जामड़ापानी 300 से 350 आबादी का गांव है। 70 से 75 घरों में अधिकतर आदिवासी व श्रमिक वर्ग के परिवार हैं। उमरेड तहसील में मकरधोकड़ा बांध के पास इस गांव का जनजीवन गडचिरोली के दुर्गम क्षेत्र व अमरावती के मेलघाट से मिलता-जुलता है। औद्योगिक परिसर एमआईडीसी, बुटीबोरी, मिहान, सेज से लेकर खनिज व्यवसाय की हलचल गांव के कुछ किमी की दूरी पर पक्की सड़क से गुजरती है, लेकिन पक्की सड़क से 4-5 किमी दूर होना ही मानों जामड़ापानी के लिए अभिशाप बन गया है।

गांव से सटकर संरक्षित वन क्षेत्र : गांव से सटकर ही मुनिया संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया गया है। परिसर मेें बाघ व अन्य वन्य प्राणियों का विचरण बढ़ने लगा है। कुछ समय पहले उदासा और मकरधोकडा के पास से दो बाघों को वन विभाग ने रेस्क्यू किया, लेकिन बाघ भय दूर नहीं हुआ है। मई 2024 को कल्पना चौधरी नामक महिला मजदूर को बाघ ने मार दिया। उसके बाद से पालतू पशुओं पर निरंतर हमले हो रहे हैं। जामड़ापानी की पाठशाला में चौथी तक कक्षाएं हैं। 5वीं से 10वीं तक शिक्षा के लिए 4 किमी दूर खैरी स्थित जिला परिषद के विद्यालय में जाना पड़ता है। जामडापानी से खैरी तक बस सेवा की जरूरत है। पहले से सड़क बनी है, लेकिन सड़क काफी संकरी है। वाहन एक ही दिशा में चलाए जा सकते हैं।

मौत पर 25 लाख देते हैं, जीते जी क्यों नहीं : सरपंच शकुंतला कंगाले ने कहा- बाघ से हमले में मृतक के परिवार को 25 लाख रुपय की आर्थिक सहायता सरकार देती है, लेकिन बचाव कार्य के लिए निधि में आनाकानी की जाती है। यह कई परिवारों की सुरक्षा का विषय है। उनके लिए सड़क बनवाने के लिए निधि में विलंब नहीं होना चाहिए। मौत पर 25 लाख देते हैं, फिर जीते जी क्यों नहीं। जिला प्रशासन को 6 से 7 बार प्रत्यक्ष में समस्या की जानकारी दी गई है। लेकिन समस्या बनी हुई है। सोमवार को जिलाधिकारी विपीन इटनकर से 20 महिलाओं ने भेंट की। राखी नेवारे, देवका उइके, ललू कंगाले, उषा मंगाम, विमल वाघाडे ने गांव की समस्या की विस्तृत जानकारी दी।

सड़क खराब, स्कूल पैदल जाते हैं

ग्रामीणों की मांग पर महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल के अधिकारी ने परिसर का जायजा लिया। बस चलाने के लिए सड़क चौड़ी कराने को कहा। ग्रामीणों ने यह बात जिला प्रशासन तक पहुंचायी। एक किमी तक सड़क चौड़ी की गई। आधे किमी का काम प्रस्तावित है, लेकिन इस अधूरे काम से समस्या यथावत है। बच्चों को पैदल ही विद्यालय तक जाना पड़ता है। बस नहीं चल रही है। कामकाज के लिए उमरेड,बूटीबोरी या नागपुर आने-जाने वाले युवाओं को भी इसी समस्या से जूझना पड़ रहा है। मुडझरी, भिवगड, तांबेखैनी, देवडी, आमगांव, पिपरडाेल मेें भी लगभग ऐसी ही समस्या है। समस्या को लेकर महिलाएं जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचीं। जिलाधिकारी के निर्देश पर तहसीलदार, खंडविकास अधिकारी, राजस्व अधिकारी, पटवारी का दल जामडापानी पहुंचा। महिलाओं को पुन: फोन पर भरोसा मिला कि, समस्या जल्द दूर कर दी जाएगी।


Created On :   31 Dec 2024 8:39 PM IST

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