Nagpur News: 60 फीट की उंचाई पर मांजे में फंसा उल्लू , बचाव के लिए पहुंची फायर ब्रिगेड की गाड़ी

60 फीट की उंचाई पर मांजे में फंसा उल्लू , बचाव के लिए पहुंची फायर ब्रिगेड की गाड़ी
  • पतंगबाजी के बाद पेड़ों पर उलझे मांजे
  • रमाई नगर में गार्डन के पास पेड़ पर तड़प रहा था पक्षी

Nagpur News मकर संक्रांति का त्योहार हो गया है, लेकिन पतंगबाजी के बाद पेड़ों पर मांजे अभी भी जाल बने है, जिसमें पक्षी फंस रहे हैं। इसी तरह का एक मामला शहर के रमाई नगर में सामने आया। जहां एक उल्लू 60 फीट की उंचाई पर मांजे में फंसा तड़प रहा था। इसे यहां निवासियों ने देखने के बाद रेस्कयू टीम को जानकारी दी गई। लेकिन यहां तक पहुंचना संभव नहीं रहने से फायर ब्रिगेड की मदद ली गई। करीब 2 घंटे की मशक्कत के बाद उल्लू का बचाव किया गया। इस बीच तमाशबीनों की भीड़ लगी थी।

पतंग के शौकीन कम नहीं है। लेकिन इनमें ऐसे भी है, जो नियमों के बाहर रहनेवाले नॉयलॉन मांजे से पतंगबाजी किये बगैर रह नहीं सकते हैं। यह मांजे जितने इंसानों के लिए घातक हैं, उतने ही पर्यावरण को भी हानि पहुंचाते हैं। क्योकि यह वर्षों तक सड़ते नहीं है। ऐसे में इनमें लगी पतंग का पतन होने के बाद भी यह मांजे पेड़ों पर अटके रहते हैं। जो कि पक्षियों के लिए जाल का काम करते हैं। हाल ही में मकर संक्रांति का त्योहार होकर गया है, जिसमें आसमानभर पतंगबाजी हुई थी। पतंग कटने के बाद मांजे के साथ पेड़ों पर अटक जाती है। अब इन में पक्षी फंस रहे हैं।

इसी तरह का एक मामला सामने आया है। शहर के रमाई नगर में शंकर पटेल गार्डन के पास एक उंचे पेड़ की चोटी पर एक पक्षी फंसा हुआ तड़पते लोगों को दिखाई दिया। जिसके बाद यहां निवासियों में मनदीप सिंह मट्‌टू व राकेश निकोसे ने यह जानकारी वाइल्ड लाइफ वेलफेयर समिति के सदस्य आनंद शेलके व अनूप सातपुते को दी। वह तुरंत पक्षी को बचाने के लिए यहां पहुंचे । लेकिन पक्षी बहुत ज्यादा उंचाई पर होने से वह लाख कोशिशों के बाद भी वहां तक नहीं पहुंच पाये। ऐसे में उन्होंने इसकी जानकारी फायर स्टेशन को दी। फायर ब्रिगेड ने भी घटना की गंभीरता को देख घटनास्थल पर पहुंच बचाव कार्य शुरू किया। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद पक्षी तक पहुंचा जा सका। देखा गया कि, यह एक सफेद उल्लू था, जिसके पैरों में मांजा उलझा था। जिससे उसके पैर भी जख्मी हो गये थे। तुरंत उसे यहां से निकाला गया। साथ ही उल्लू को आगे की ट्रीटमेंट के लिए वन विभाग के टीटीसी ( ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर ) तक पहुंचाया गया।

Created On :   17 Jan 2025 2:56 PM IST

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