सेहत पर भी दें ध्यान: 25 फीसदी से अधिक पुलिसकर्मी ब्लड प्रेशर और 15 फीसदी डायबिटीज के शिकार

25 फीसदी से अधिक पुलिसकर्मी ब्लड प्रेशर और 15 फीसदी डायबिटीज के शिकार
  • काम के बोझ से टेंशन में पुलिस
  • 6230 लोगों की स्वास्थ्य जांच में पुष्टि
  • 370 जवानों की होनी है जांच
  • 6230 लोगों की स्वास्थ्य जांच में पुष्टि
  • 370 जवानों की होनी है जांच

डिजिटल डेस्क, नागपुर, चंद्रकांत चावरे| इन दिनों शहर के पुलिसकर्मी टेंशन में हैं। इसका कारण कोई अपराध या अपराधी नहीं, बल्कि काम के तनाव से होने वाली बीमारियां हैं। दिन-रात सुरक्षा में तैनात रहने वाले पुलिस विभाग के करीब 25 प्रतिशत जवान शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं। पुलिस आयुक्त ने पहली बार इस बात का संज्ञान लेते हुए पुलिस कर्मियों की स्वास्थ्य जांच का निर्णय लिया है। 25 फीसदी से अधिक पुलिसकर्मी ब्लडप्रेशर से ग्रस्त पाए गए हैं। 15 फीसदी से अधिक पुलिस कर्मियों को डायबिटीज होने की पुष्टि हुई है। कुल 7600 जवानों में से 6230 लोगों की स्वास्थ्य जांच के बाद इसका खुलासा हुआ है। 370 जवानों की जांच होनी बाकी है।

1600 पुलिसकर्मी ब्लड प्रेशर से पीड़ित

6230 पुलिसकर्मियों की जांच की गई, इसमें 1600 को ब्लड प्रेशर होने का पता चला है। इनमेें 180 लोगों को इस बात की जानकारी तक नहीं थी कि उन्हें ब्लड प्रेशर है। यह आंकड़ा कुल जांच का 25.68 फीसदी है। इन्हें नियमित व्यायाम, जांच व दवाओं का सेवन करने के लिए कहा गया है। सामान्य से असामान्य होने वाली जीवनशैली के चलते एक समय बाद किसी को भी ब्लड प्रेशर का खतरा होता है। इसे हाइपरटेंशन और ‘साइलेंट किलर' कहा जाता है। इससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा भी होता है। सामान्य लक्षणों में सिर दर्द, सिर चकराना, थकान और सुस्ती लगना, नींद न आना, दिल की धड़कन बढ़ जाना, सीने में दर्द, सांसें तेज चलना या सांस लेने में तकलीफ होना, आंखों से धुंधला दिखाई देना आदि पाए गए हैं।

195 को डायबिटीज की जानकारी नहीं

अब तक हुई 6230 जवानों की जांच के दौरान 980 पुलिसकर्मियों को डायबिटीज होने की पुष्टि की गई है। यह जांच का 15.73 फीसदी है। इनमें से 195 को पता ही नहीं था कि उन्हें डायबिटीज है। इन पुलिसकर्मियों में में इंसुलिन की कमी, पारिवारिक इतिहास, बढ़ती उम्र, हाई कोलेस्ट्रोल लेवल, व्यायाम न करना, हार्मोन्स का असंतुलन, अनियंत्रित खानपान, नींद का अभाव आदि कारणों से डायबिटीज है। नियमित जांच व दवाओं का सेवन में लापरवाही बरती गई तो इसके विपरीत परिणाम हो सकते हैं। मरीजों में दिल की धड़कन और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा दो से तीन गुना बढ़ जाता है।

नियमित जांच व उपचार जरूरी

डॉ. संदीप शिंदे, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, पुलिस हॉस्पिटल के मुताबिक कोरोनाकाल के बाद पुलिसकर्मियों में बीमारी का प्रमाण बढ़ा है। इसे नियंत्रित करने के लिए जांच व उपचार करवाया जा रहा है। सभी जवानों ने खुद काे स्वस्थ रखने के लिए हर रोज 45 मिनट व्यायाम करना जरूरी है। नियमित जांच व उपचार करवाना चाहिए, इसलिए उनका मोबाइल एप के माध्यम से डिजिटल हेल्थ कार्ड बनाया जा रहा है, ताकि उनके स्वास्थ्य की तमाम जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।

कोरोनाकाल में की सेवा का असर

कोरोनाकाल के दौरान पुलिसकर्मियों ने दिन-रात एक कर लोगों को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाई है। इस दौरान उन्हें स्वयं के स्वास्थ्य की परवाह नहीं की। पुलिस अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप शिंदे ने इसका संज्ञान लेते हुए पुलिसकर्मियों के स्वास्थ्य की जानकारी लेनी शुरू की। इस आधार पर पता चला कि जवानों में बीमारियों का प्रमाण बढ़ रहा है। इसकी जानकारी पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार को दी गई। उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य जांच व उपचार के लिए एक प्रस्ताव तैयार कर पुलिस महासंचालक को भेजा। बाद में यह प्रस्ताव दो करोड़ रुपए की निधि के साथ गृह मंत्रालय से मंजूर हुआ। राज्य में पहली बार यह पहल हुई है। वानाडोंगरी स्थित शालिनीताई मेघे हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर को पुलिस सिपाही से लेकर पुलिस उपनिरीक्षक पद पर सेवारत सभी जवानों की स्वास्थ्य जांच का जिम्मा दिया गया।

Created On :   21 Nov 2023 4:40 PM IST

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