यादें: नागपुर के लिए ‘आपला मानुष’ थे नरसिम्हाराव, विदर्भ के विकास में खास योगदान

नागपुर के लिए ‘आपला मानुष’ थे नरसिम्हाराव,  विदर्भ के विकास में खास योगदान
  • पूर्व प्रधानमंत्री को भारत रत्न मिलने से नागपुर जिले में खुशी
  • कभी करना पड़ा था कांग्रेस की गुटबाजी का सामना जिला से लेकर केंद्र तक विरोध के बाद भी मिला था टिकट
  • कभी करना पड़ा था कांग्रेस की गुटबाजी का सामना

रघुनाथसिंह लोधी, नागपुर । पूर्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हाराव को भारत रत्न सम्मान की घोषणा से जिले में खुशी व्यक्त की जा रही है। दो बार रामटेक से लोकसभा चुनाव जीते राव को नागपुर जिले के लोग बतौर प्रधानमंत्री ‘आपला मानुष’ कहते रहे हैं, लेकिन कांग्रेस की गुटबाजी भी सहज ही याद की जाती है। प्रधानमंत्री बनाए जाने को लेकर केंद्रीय स्तर पर कांग्रेस में राव के विरुद्ध गुटबाजी सक्रिय हुई थी। नागपुर में भी वही स्थिति थी। नागपुर जिला की ग्रामीण कांग्रेस ने प्रस्ताव पास कर दिल्ली भेजा था कि राव को लोकसभा का टिकट न दिया जाए। हालांकि उन्हें टिकट मिला और वे चुनाव जीते भी थे।

विरोध के बाद भी चुनाव जीते : राव का पूरा नाम पामुलापति वेंकट राव था। आंध्रप्रदेश की राजनीति में वे आरंभ से ही सक्रिय रहे। हैदराबाद मुक्ति संग्राम काल में उनका नेतृत्व चर्चा में आया। जानकार कहते हैं कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय राव, नागपुर जिले में अज्ञातवास में रहे। उनका महाराष्ट्र से गहरा संबंध रहा। महाविद्यालयीन शिक्षा पुणे में प्राप्त करने के बाद उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी में स्नातक की शिक्षा पूरी की। 1984 व 1989 में रामटेक लोकसभा क्षेत्र से राव ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था। 1984 में कांग्रेस में गुटीय घमासान चल रहा था। इंदिरा गांधी व शरद पवार के नेतृत्व की कांग्रेस राज्य में ताकत आजमा रही थी। इंदिरा कांग्रेस के उम्मीदवार राव के विरुद्ध शरद पवार की समाजवादी कांग्रेस ने शंकरराव गेडाम को उम्मीदवार बनाया था। उस चुनाव में राव 184972 मतों के अंतर से चुनाव जीते थे। उस जीत के बाद ही वे राजीव गांधी के नेतृत्व की सरकार में रक्षामंत्री बने।

राजीव गांधी ने विश्वास जताया : मंत्रिमंडल में रुतबे के लिहाज से राव दूसरे स्थान पर रहे, लेेकिन वर्ष 1989 के चुनाव में उनके नाम का विरोध होने लगा। जिला कांग्रेस ने प्रस्ताव पास कर राव को रामटेक से टिकट नहीं देने का अनुरोध आलाकमान से किया। कहा गया कि राव के लिए सुरक्षित समझी जाती रही आंध्रप्रदेश की हनमकोंडा सीट में उनका जनाधार नहीं रहा, इसलिए उन्हें रामटेक पर न थोपा जाए। राजीव गांधी ने उन पर विश्वास जताया। उस दौरान बोफोर्स कांड, रामजन्म भूमि आंदोलन, शाहबानो प्रकरण के अलावा अन्य मुद्दों की तपिश कांग्रेस झेल रही थी। राव को रामटेक लोकसभा क्षेत्र में घेरने की तैयारी कर ली गई थी। विधायक रहे जनता दल उम्मीदवार पांडूरंग हजारे ने चुनौती खड़ी की। कई असंतुष्ट कांग्रेसी हजारे को भीतरी तौर पर समर्थन दे रहे थे, फिर भी राव ने 34970 मतों के अंतर से जीत हासिल की। कुछ दिन पहले रामटेक के कवि कालीदास संस्कृत विश्वविद्यालय में राव की प्रतिमा का अनावरण किया गया। उस दौरान तत्कालीन राज्यपाल भगतसिंह कोशयारी की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम के लिए अस्वीकृति राजनीतिक चर्चा का विषय रही।

याद किया जाता है विदर्भ में विकास कार्यों में योगदान : नागपुर जिले व विदर्भ में राव के विकास कार्यों में योगदान को याद किया जाता रहेगा। उन्होंने रामटेक क्षेत्र में कपड़ा मिल खुलवाई। इंजीनियरिंग कॉलेज खुलवाए। कन्हान के पास पॉलिस्टर कारखाना खुलवाया। उस समय 250 करोड़ के निवेश का वह विदर्भ का सबसे बड़ा कारखाना था। कलमेश्वर में स्टील कारखाना, एमआईडीसी में औद्योगिक ईकाई स्थापित करने में उनका योगदान रहा। यहां तक कि आंध्रप्रदेश के बजाय नागपुर में दक्षिण मध्य सांस्कृतिक केंद्र खुलवाने का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाता है। तत्कालीन मुख्यमंत्री सुधाकर नाईक, जाने-माने राजनीतिज्ञ श्रीकांत जिचकार के सहयोग से उन्होंने रामटेक में कवि कालिदास के नाम पर संस्कृत विश्वविद्यालय खुलवाया।

नागपुर के लोगों को मिलता रहा सम्मान : राव को मिले सम्मान को नागपुर के सम्मान के तौर पर भी माना जा रहा है। नरसिम्हाराव सरकार में राज्यमंत्री रहे विलास मुत्तेमवार कहते हैं- राव ने देश को आर्थिक विकास के मामले में नई दिशा दी है। विदर्भ में कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं को वे नाम से जानते थे। प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए भी वे नागपुर व विदर्भ को नहीं भूले। उन्हें िमले सम्मान पर सभी को गर्व है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व पालकमंत्री सतीश चतुर्वेदी ने कहा कि राव, बहुमुखी प्रतिभाशाली थे। उनके कार्यकाल में प्रधानमंत्री निवास में नागपुर के लोगों को पारिवारिक सदस्य के समान स्नेह मिलता था।

Created On :   10 Feb 2024 2:06 PM IST

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