Nagpur News: कटघरे में नीट पीजी परीक्षा 2 सत्रों की निष्पक्षता पर सवाल

कटघरे में नीट पीजी परीक्षा 2 सत्रों की निष्पक्षता पर सवाल
  • पिछले साल नीट यूजी पेपर लीक के बाद पीजी की परीक्षा 2 सत्रों में कराई गई थी
  • वजह समझ में नहीं आई, पेपर लीक माफिया पर अंकुश के बजाये स्टूडेंट्स परेशान

Nagpur News राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) ने नीट पीजी 2025 की परीक्षा की घोषणा कर दी है। 15 जून 2025 को यह परीक्षा होगी। इसके आधार पर देश भर के मेडिकल कॉलेजों में एमडी, एमएस, डिप्लोमा, डीएनबी इत्यादि कोर्स में नामांकन होंगे। नागपुर जिले से 1300 से अधिक विद्यार्थी परीक्षा देंगे। इनमें फ्रेशर्स व रिपीटर्स दोनों शामिल हैं। पिछले साल नीट यूजी के पेपर लीक होने के बाद अचानक पीजी की परीक्षा तय तिथि से एक दिन पहले स्थगित कर दी गई। उसके बाद नीट पीजी की परीक्षा एक सत्र के बदले 2 सत्रों में कराई गई थी। वजह समझ में नहीं आई। पेपर लीक माफिया पर अंकुश के बजाये स्टूडेंट्स परेशान हुए। इससे विद्यार्थियाें में असंतोष था। परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठे थे। इस बार भी परीक्षा दो सत्रों में होने वाली है। इसका विरोध हो रहा है। महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेसिडेंट डॉक्टर्स (मार्ड) व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने एक सत्र में कराने की मांग की है।

96 फीसदी विद्यार्थी कर रहे हैं इसका विरोध : सोशल मीडिया में एक सर्वेक्षण के मुताबिक 96 फीसदी विद्यार्थी नीट पीजी परीक्षा दो सत्र में करने का विरोध कर रहे हैं। स्टूडेंट्स के अनुसार, एक सत्र में परीक्षा होने से समानता व निष्पक्षता होगी। कट ऑफ, रैंकिंग और स्कोर का आधार भी समान होगा। अलग-अलग सत्र में होने से न्यायसंगत तुलना मुश्किल है। दो सत्र में प्रश्नपत्रों की सरलता या कठिनता स्तर में अंतर होता है। अंकों को बराबर करने की प्रक्रिया (नॉर्मलाइजेशन) पर सवाल उठते हैं। शिक्षा पोर्टल के सर्वे के अनुसार आईएमए, यूडीएफ जैसे संगठनों ने एक ही सत्र में परीक्षा की सिफारिश की है। वहीं हैशटैग सिंगल शिफ्ट नीट पीजी ट्रेंड पर भी एक सत्र में परीक्षा की मांग हो रही है।

सीमित केंद्र का बहाना : पिछले साल नीट पीजी की परीक्षा एक सत्र में होनी थी। अचानक इसे दो सत्रों में बदल दिया गया। उस समय दोनों सत्रों के प्रश्नपत्रों की कठिनाई के स्तर में अंतर था। इसके चलते नार्मलाइजेशन में भेदभाव के आरोप लगे। इस बार भी ऐसी आशंका है। विद्यार्थी चाहते हैं कि सबका समान स्तर पर आकलन हो। परीक्षा बोर्ड के अनुसार विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या व सीमित परीक्षा केंद्र होने के कारण दो सत्रों में परीक्षा लेना जरूरी है। स्टूडेंट्स के अनुसार नीट यूजी में 25 लाख उम्मीदवारों की परीक्षा एक सत्र में होती है। तब पीजी में मात्र दो लाख की व्यवस्था करना मुश्किल नहीं।

एक सत्र में परीक्षा के लिए तर्क

1. निष्पक्षता सुनिश्चित होती है

सभी उम्मीदवार एक ही प्रश्नपत्र से परीक्षा देते हैं।

2. कठिनाई स्तर में कोई अंतर नहीं

दो शिफ्टों में पेपर अलग-अलग होने से कठिनाई के भेद का डर रहता है।

3. स्कोर नॉर्मलाइजेशन की आवश्यकता नहीं

एक सत्र की परीक्षा में अंकों के कृत्रिम एडजस्टमेंट की जरूरत नहीं

4. मानसिक तनाव में कमी

छात्रों को परिणाम को लेकर कम चिंता रहती है।

5. रैंकिंग में अधिक पारदर्शिता

एक ही पेपर से सबका मूल्यांकन एक समान मापदंड पर होता है।

6. कानूनी विवादों की संभावना कम

पूर्व में 2 सत्रों के कारण सुप्रीम कोर्ट तक मामले पहुंचे।

Created On :   29 April 2025 1:39 PM IST

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