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सावधान: 120 साल पुरानी बिल्डिंग के 200 रहवासियों की खतरे में जान
- अंडरग्राउंड मेट्रो थ्री स्टेशन के निर्माण से दक्षिण मुंबई के ठाकुर द्वार रोड के अग्रवाल बिल्डिंग की हिल गई नींव
- कभी भी ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर गिर सकती है अग्रवाल बिल्डिंग
- बिल्डिंग के मालिक ने बॉम्बे हाई कोर्ट में लगाई गुहार
- मेट्रो से बिल्डिंग के अधिग्रहण और 72 परिवारों के पुनर्वास की मांग
डिजिटल डेस्क, मुंबई । अंडरग्राउंड मेट्रो थ्री स्टेशन के निर्माण के दौरान भूमिगत खुदाई, पिलिंग और ब्लास्टिंग से दक्षिण मुंबई के ठाकुरद्वार रोड के अग्रवाल बिल्डिंग की नींव हिल गई है। 120 साल पुरानी बिल्डिंग कभी भी ताश के पत्तों की तरह गिर सकती है और 72 किराएदारों के 200 लोगों की जान जा सकती है। बिल्डिंग के मालिक और किराएदारों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में गुहार लगाते हुए मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन से अग्रवाल बिल्डिंग के अधिग्रहण और 72 परिवारों के पुनर्वास की मांग की। अदालत ने याचिकाकर्ता को पहले अर्जी कर मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन से अपनी मांग करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति सुनील बी.शुक्रे और न्यायमूर्ति फिरदोश पी.पूनीवाला के समक्ष 11 सितंबर को गिरीश अग्रवाल की ओर से वकील प्रेरक चौधरी की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में दावा किया गया कि कोलाबा-बांद्रा-सीप्ज मेट्रो थ्री परियोजना के अंतर्गत दक्षिण मुंबई के गिरगांव डिवीजन के ठाकुरद्वार रोड में अंडरग्राउंड मेट्रो थ्री स्टेशन बन रहा है। अंडरग्राउंड मेट्रो थ्री स्टेशन के निर्माण के दौरान भूमिगत खुदाई, पिलिंग और ब्लास्टिंग से अग्रवाल बिल्डिंग की नींव हिल गई। मेट्रो थ्री स्टेशन के निर्माण का कार्य जैसे ही शुरू हुआ, बिल्डिंग के मालिक गिरीश अग्रवाल ने मेट्रो कार्पोरेशन को पत्र लिख कर उनकी इमारत के गिरने का खतरा जताया। कार्पोरेशन ने उनके पत्र पर विचार नहीं किया, तो उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में 72 परिवार के पुनर्वसन और हर्जाने की मांग की गयी है।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान मैट्रो कार्पोरेशन ने अग्रवाल बिल्डिंग के नीव हिलने और गिरने के खतरे से पल्ला झाड़ने की कोशिश की। इस पर खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की शिकायत पर मेट्रो कार्पोरेशन को गौर करना चाहिए। मेट्रो स्टेशन के निर्माण से बिल्डिंग को नुक्सान होने का खतरा हो सकता है। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को अपनी मांग मेट्रो कार्पोरेशन के पास रखने और कार्पोरेशन को जल्द से जल्द इस पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यदि मेट्रो कार्पोरेशन ने उनकी मांग पर विचार नहीं किया, तो दोबारा अदालत में आने की कहा गया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि मेट्रो कार्पोरेशन ने अग्रवाल बिल्डिंग के आस-पास की दो बिल्डिंगों का अधिग्रहण किया, लेकिन उनकी इमारत को छोड़ दिया गया।
Created On :   16 Oct 2023 11:51 AM IST