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ग्रीन हाइड्रोजन नीति को राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी, 1.5 मिलियन टन पहुंच सकती है मांग
- ग्रीन हाइड्रोजन नीति को मंजूरी
- 1.5 मिलियन टन पहुंच सकती है हाइड्रोजन मांग
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश की ग्रीन (हरित) हाइड्रोजन नीति को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। इससे प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना की गति मिल सकेगी। ग्रीन हाइड्रोजन नीति घोषित करने वाला महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है। मंत्रिमंडल ने नीति को लागू करने के लिए 8 हजार 562 करोड़ रुपए के खर्च को मान्यता दी है। ग्रीन हाइड्रोजन नीति में ओपन एक्सेस द्वारा, स्वयं के इस्तेमाल अथवा राज्य के बाहर, राज्य के बिजली वितरण कंपनियों के जरिए और पॉवर एक्सचेंज के जरिए नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त करने वाली परियोजनाओं को लाभ सहूलियत दी जाएगी। महाऊर्जा कार्यालय के पास ग्रीन हाइड्रोजन और संबंधित उत्पादन परियोजनाओं का पंजीयन होगा। इन परियोजनाओं को 25 हजार प्रति मेगावॅट इलेक्ट्रोलाइजर क्षमता के अनुसार परियोजना सुविधा महाऊर्जा के पास जमा करना पड़ेगा। परियोजना कार्यान्वित होने के बाद अगले दस सालों के लिए ट्रांसमिशन शुल्क में 50 प्रतिशत और बिल शुल्क में 60 प्रतिशत छूट प्रदान की जाएगी। स्टैंडअलोन परियोजना के लिए 10 साल और हाइब्रिड ऊर्जा परियोजना के लिए 15 साल विद्युत शुल्क में 100 प्रतिशत छूट दी जेगी। क्रॉस सब्सिडी और अधिभार को भी माफ कर दिया जाएगा। इसके अलावा पैकेज स्कीम ऑफ इंसेंटिव 2019 का लाभ दिया जाएगा। 5 साल के लिए ग्रीन हाइड्रोजन गैस मिश्रण के लिए प्रत्येक एक किलो के लिए 50 रुपए अनुदान दिया जाएगा। पहले 20 ग्रीन हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशन के लिए अधिकतम 4 करोड़ 50 लाख रुपए सीमा तक 30 प्रतिशत पूंजीगत खर्च के लिए अनुदान दिया जाएगा। जबकि पहले 500 ग्रीन हाइड्रोजन आधारित ईंधन सेल प्रवासी वाहनों को अधिकतम 60 लाख रुपए प्रति वाहन सीमा तक 30 प्रतिशत पूंजीगत खर्च अनुदान दिया जाएगा। ग्रीन हाइड्रोजन कक्ष के लिए आवश्यक कुशल मानव संसाधन और प्रशिक्षण, कौशल्य विकास और एकल खिड़की सहित अन्य सुविधाओं के लिए प्रति वर्ष 4 करोड़ रुपए के अनुसार 10 सालों के लिए 40 करोड़ रुपए खर्च को मंजूरी दी गई है। ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना लगाने के लिए जमीन के स्थानीय निकायों के टैक्स, गैर कृषि कर और मुद्रांक शुल्क में पूरी छूट दी जाएगी।
राज्य में साल 2030 तक 1.5 मिलियन टन पहुंच सकती है हाइड्रोजन मांग
राज्य में ग्रीन हाइड्रोजन और संबंधित उत्पादनों की क्षमता को जानने के बाद यह नीति बनाई गई है। राज्य में फिलहाल हाइड्रोजन की मांग प्रति वर्ष 0.52 मिलियन टन है। यह मांग साल 2030 तक 1.5 मिलियन टन पहुंच सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन घोषित किया है। इसके तहत साल 2023 तक देश में 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन हर साल निर्माण करने का लक्ष्य है।
Created On :   4 July 2023 8:48 PM IST