कैसी सुविधाएं: बीमार महिला यात्री को हवाई अड्डे पर व्हीलचेयर नहीं, विमान में वॉशरूम के पास सीट नहीं

बीमार महिला यात्री को हवाई अड्डे पर व्हीलचेयर नहीं, विमान में वॉशरूम के पास सीट नहीं
  • बीमार महिला यात्री
  • हवाई अड्डे पर व्हीलचेयर नहीं
  • कर्मचारियों की संवेदनहीनता

डिजिटल डेस्क, मुंबई. इंडिगो की उड़ान से मुंबई से नागपुर जाने वाले एक यात्री की परेशानी की दास्तान उसी के शब्दों में- दुनिया के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक, छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा। टर्मिनल-2, रविवार 17 सितंबर, सुबह 11:15 बजे। तीन यात्री इंडिगो के कर्मचारी को बेचैनी से तलाश कर रहे हैं। हवाई अड्डे के अंदर प्रवेश करते ही पूछने पर बताया गया कि छह नंबर के सामने व्हील चेयर मिलेगी। वहां हाजिर एक कर्मचारी ने दाहिनी ओर इशारा करते हुए कहा, ‘वह इंडिगो का ऑफिस है। वे अंदर से व्हीलचेयर वाले को बुलवा देंगे।’ खैर! व्हील चेयर वाला आया। कार से आहिस्ता महिला को उतारकर बोर्डिंग पास हासिल किए। सुरक्षा जांच कराते हुए बोर्डिंग गेट पर छोड़ दिया गया। व्हील चेयर ले जाने वाली कर्मचारी ने बहुत सहयोग दिया। जाते समय बता गई कि एक बजे बोर्डिंग आरंभ होगी। व्हीलचेयर दादा इससे पहले आ जाएगा।

एक घंटे तक व्हीलचेयर पर बैठी यात्री को करीब 12:50 बजे प्रसाधन कक्ष जाने की इच्छा हुई। संबंधित गेट पर बताया गया। उन्होंने कहा, ‘आता होगा।’ मरीज की आयु और अवस्था की जानकारी देकर अनुरोध किया गया कि जल्दी करें। स्थिति बिगड़ सकती है। उन्होंने यहां-वहां बात करने के बाद बताया कि पास के गेट से यात्रियों को छोड़ने के बाद व्हीलचेयर दादा आ रहा है। 15 मिनट बीत जाने के बावजूद कोई नहीं आया। कुछ अन्य सहयोगी यात्रियों ने दूसरे काउंटर पर जाकर प्रयास किया। बोर्डिंग शुरु हुई। खत्म भी हो गई परंतु व्हीलचेयर सहायता के लिए कोई नहीं आया। जिस गेट से उड़ान 6ई 203 जानी थी, वहां तैनात कर्मचारी का उत्तर स्तब्ध करने वाला था। उसने कहा, ‘कोई न तो व्हीलचेयर दादा है और न कोई पोर्टर ही उपलब्ध है।’ उसे याद दिलाया गया कि 15 मिनट पहले उसी ने आश्वस्त किया था कि पांच मिनट में सहायता उपलब्ध हो जाएगी। उसने कहा, ‘आपको प्राइवेट व्हीलचेयर हायर करनी थी।’ यह उत्तर किसी भी कंपनी के लिए अत्यंत शर्मनाक है। किसी तरह पुरुष पोर्टर आया। वह महिला यात्री एक सहयात्री महिला के सहयोग से प्रसाधन जा सकी। उसके बाद विमान में चढ़े। आखिरी समय में हड़बड़ी रहती है। एरोब्रिज नहीं था। व्हीलचेयर से उतरकर स्टिक का सहारा लेते हुए अपने पति को पकड़कर सीट तक पहुंचने में सफल रहीं। सीट वाशरूम के पास देने का आग्रह किया गया था। उत्तर हर बार यही था, ‘जहाज फुल है। सीट खाली नहीं है।’ हालांकि यह सच नहीं था। बीमार महिला को बिठाने के बाद पति को याद आया कि व्हीलचेयर वाला उसका दवाओं का बैग प्रवेशद्वार पर ही रख गया।

पहले भी तोड़ा था वादा

इससे पहले 10 सितंबर को नागपुर-दिल्ली विमान में भी बीसवीं कतार की सीट नहीं बदली गई थी। एयरहोस्टेस ने कई बार वादा किया कि बोर्डिंग पूरी होने के बाद यात्री को प्रसाधन ले जाएंगे। ऐसा नहीं किया। कहा, ‘अब जहाज उड़ान भरने वाला है।’

यह भी लापरवाही

14 सितंबर को मुंबई में हवाई अड्डे पर निजी विमान टकराने के बाद करीब 40 उड़ानें रद्द हुईं। बंगलूरु जाने वाले को बोर्डिंग पास दिए जा चुके थे। उन्हें बताया गया कि वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। फिर कहा गया गया कि उड़ान रद्द कर दी गई है, सबेरे जाएगी, लगेज यहीं रहने दें। नौ बजे रात में अपना सामान तलाश कर ले जाने के लिए कहा गया। बंगलूरु के यात्रियों को बताया कि सबेरे छह बजे विमान उड़ेगा। यानी नवी मुंबई वाले यात्री का आने-जाने में ही पूरा समय चला जाए। अगले दिन विमान आठ बजे के बाद उड़ा।

कर्मचारियों की संवेदनहीनता

इन घटनाओं से कंपनी में कार्यरत कुछ लोगों की संवेदनहीनता का पता चलता है। यह भी पता लगा होगा कि कंपनी की निर्दयता, धन की बचत की आड़ में कम स्टाफ रखने जैसे कारणों से यात्रियों को कितनी मुश्किलों को सामना करना पड़ता है।

Created On :   28 Sept 2023 10:00 AM IST

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