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मराठी न पढ़ाने वाले स्कूलों की रद्द हो सकती है मान्यता, शिक्षा अधिकारियों से मांगी रिपोर्ट
- स्कूली शिक्षा विभाग ने शिक्षा उपनिदेशकों से रिपोर्ट मांगी है
- मराठी न पढ़ाने वाले स्कूलों की रद्द हो जाएगी मान्यता
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मराठी पढ़ाने में आनाकानी करने वाले स्कूलों के खिलाफ राज्य सरकार सख्ती बरतेगी और उनकी मान्यता भी रद्द किया जा सकता है। स्कूली शिक्षा विभाग ने बुधवार को शासनादेश जारी कर सभी विभागों के शिक्षा उपनिदेशकों को निर्देश दिए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि राज्य के सभी माध्यम के और सभी व्यवस्थापन के स्कूलों में मराठी भाषा पढ़ाई जाए।
शिक्षा उपनिदेशकों को कहा गया है कि कोरोना काल में दी गई छूट का गलत मतलब निकालकर कई स्कूल मराठी भाषा की पढ़ाई ही नहीं करा रहे हैं। ऐसे सभी शिक्षा उपनिदेशकों को स्कूलों की जांच कर रिपोर्ट सरकार को सौंपने को कहा गया है। स्कूली शिक्षा विभाग ने चेतावनी दी है कि रिपोर्ट के बाद जिन स्कूलों में मराठी नहीं पढ़ाई जा रही है उनकी मान्यता या अनापत्ति प्रमाणपत्र रद्द किया जा सकता है। दरअसल राज्य में 1 एप्रैल 2020 से ही सभी स्कूलों में मराठी पढ़ाए जाने को अनिवार्य कर दिया गया था
मराठी न पढ़ाने वाले स्कूलों की रद्द हो सकती है मान्यता
बाद में कोरोना संक्रमण के दौरान नियमों में कुछ छूट दी गई थी जिसके तहत 2022-23 के आठवीं में पढ़ने वाले, 2023-24 में नौवीं में पढ़ने वाले और 2024-25 में यानी इस साल दसवीं में जाने वाले विद्यार्थियों को परीक्षा में नंबर देने के बजाय श्रेणी दिए जाने की व्यवस्था की गई थी। कोरोना संक्रमण के दौरान बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे थे जिसके चलते यह राहत दी गई थी।
स्कूली शिक्षा विभाग ने साफ किया है कि कोरोना के समय छूट भले दी गई थी लेकिन मराठी पाठ्यक्रम की अनिवार्य भाषा बनी हुई है। स्कूलों को कहा गया है कि उन्होंने विद्यार्थियों को जो श्रेणी मिली है उसकी सूची बनाकर विभागीय शिक्षा उपनिदेशक को सौंपे।
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Created On :   28 Feb 2024 10:05 PM IST