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बॉम्बे हाईकोर्ट: प्रिवेंटिव डिटेंशन आदेश अत्यधिक सावधानी से पारित किए जाने चाहिए, सीमा शुल्क अधिकारियों की कार्रवाई भी रद्द
- अदालत ने व्यक्ति को हिरासत में लेने के आदेश को किया रद्द
- एनआरआई से आभूषण जब्त करने के लिए सीमा शुल्क अधिकारियों की शुरू की गई कार्यवाही को हाई कोर्ट ने किया रद्द
- सीमा शुल्क अधिकारी द्वारा एनआरआई से 12 हीरे के साथ चेन को किया गया था जब्त
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को अत्यधिक सावधानी और सतर्कता के साथ प्रिवेंटिव डिटेंशन आदेश पारित करना चाहिए, क्योंकि लापरवाही से उठाए गए कदम किसी व्यक्ति को उसके सबसे कीमती मौलिक अधिकार, उसकी स्वतंत्रता और आजादी से वंचित कर सकता है। अदालत ने व्यक्ति के खिलाफ प्रतिबंधक हिरासत आदेश को रद्द कर उसे रिहा करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की पीठ ने महेश रामदास जेजुरकर की बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कार्पस)याचिका पर उनके भाई राकेश रामदास जेजुरकर के खिलाफ अक्टूबर 2023 में पारित प्रीवेंटिव डिटेंशन आदेश को रद्द कर दिया। पीठ ने राकेश जेजुरकर को रिहा करने का निर्देश देते हुए कहा कि व्यक्ति को आदेश के खिलाफ अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया। अधिकारियों से सावधानी और सतर्कता से काम करने की अपेक्षा की जाती है। यह देखने की अपेक्षा की जाती है कि व्यक्ति की हिरासत व्यापक हित में है और सख्ती से उस उद्देश्य के लिए है, जिसे हिरासत कानून हासिल करना चाहता है। पीठ ने कहा कि जब कोई वैधानिक अधिनियम कार्यपालिका को असाधारण शक्ति प्रदान करता है, जैसे कि भूमि के सामान्य कानूनों का सहारा लिए बिना किसी व्यक्ति को हिरासत में लेना, तो ऐसी शक्ति का प्रयोग अत्यधिक सावधानी से किया जाना चाहिए। किसी व्यक्ति को प्रतिबंधात्मक रूप से हिरासत में लेने की शक्ति का प्रयोग उस व्यक्ति के साथ अन्याय के विरुद्ध संतुलित किया जाएगा, जिसे हिरासत में लिया गया है।
राकेश जेजुरकर को अक्टूबर 2023 में सामान की तस्करी, तस्करी में मदद करने और सामान को भविष्य में परिवहन से रोकने के लिए हिरासत में लिया गया था। भारत सरकार के संयुक्त सचिव ने विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत आदेश पारित किया। आरोप लगाया गया कि हिरासत में लिया गया। व्यक्ति आदतन अपराधी है और दुबई से भारत में सुपारी की तस्करी में अहम भूमिका निभाता है। पीठ ने कहा कि जब किसी व्यक्ति को एहतियातन हिरासत में लिया जाता है, तो अनुच्छेद 22 (4) और (5) के तहत दिए गए सुरक्षा उपायों का पालन किया जाना चाहिए। किसी व्यक्ति को तीन महीने से अधिक समय तक एहतियातन हिरासत में नहीं रखा जा सकता है और जब किसी व्यक्ति को हिरासत में लिया जाता है, तो उसे आदेश के खिलाफ अपना पक्ष रखने का जल्द से जल्द मौका दिया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि हिरासत में लेने वाले अधिकारी ने आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया था कि उसे हिरासत में लेकर अधिकारी किस गतिविधि को रोकना चाहते हैं।
एनआरआई से आभूषण जब्त करने के लिए सीमा शुल्क अधिकारियों की शुरू की गई कार्रवाई को हाई कोर्ट ने किया रद्द
वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट ने भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक (एनआरआई) से आभूषण जब्त करने के लिए सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा शुरू की गई कार्यवाही को रद्द कर दिया। सीमा शुल्क अधिकारी ने एनआरआई से हीरे के साथ चेन को इस आधार पर जब्त की कि उसने हीरे को भारत में तस्करी करने का प्रयास किया था। न्यायमूर्ति के.आर.श्रीराम और न्यायमूर्ति जितेन्द्र जैन की पीठ के समक्ष एनआरआई राजेंद्र एस.बजाज की याचिका पर सुनवाई हुई। पीठ ने राजस्व खुफिया निदेशालय बनाम पुष्पा लेखुमल तोलानी के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर भरोसा किया है, जिसमें यह माना गया था कि विदेशी पर्यटकों को भारत में आभूषण लाने की अनुमति है, भले ही वे काफी मूल्य के हों, बशर्ते कि उन्हें भारत से बाहर ले जाना हो। यूएसए पासपोर्ट धारक एनआरआई डेल्टा एयरलाइंस की उड़ान से न्यूयॉर्क से मुंबई आया था। उसके पास एक हैंडबैग था। उसने व्हिस्की की दो बोतलों को उसके द्वारा आयात किए गए सामान का मूल्य बताया और ग्रीन चैनल से गुजरा। सीमा शुल्क अधिकारी ने याचिकाकर्ता को रोका और उसके हैंडबैग की तलाशी ली, तो उसके पास 12 हीरे जड़े हुए सोने के पेंडेंट के साथ सोने की चेन बरामद हुई। पूछताछ में याचिकाकर्ता ने बताया कि सोने की चेन उसने 1989 में अमेरिका के एक ज्वेलर्स से 25 हजार अमेरिकी डॉलर में खरीदी थी, जो उसके आगमन की तिथि यानी 6 मई 2007 को प्रचलित विनिमय दर के हिसाब से 10 लाश 2 हजार 500 रुपए है।
सीमा शुल्क आयुक्त ने याचिकाकर्ता की दलीलों को खारिज कर दिया और अधिनियम की धारा 111 के तहत 1 करोड़ 20 लाख 35 हजार रुपए मूल्य की सोने की चेन तथा पेंडेंट को जब्त करने का आदेश पारित किया, जिसे विदेश व्यापार नीति तथा विदेश व्यापार (विनियमन) नियम, 1993 के नियम 11 तथा 14 के प्रावधानों के साथ था। आयुक्त ने याचिकाकर्ता पर धारा 112(ए) के तहत 1 करोड़ 20 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में चुनौती दी।
Created On :   16 July 2024 8:49 PM IST