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विश्व एड्स दिवस: मुंबई में घट रही है नए एचआईवी मरीजों की संख्या
- 5 वर्षों में 57 फीसदी की आई कमी
- बढ़ती जागरूकता से सकारात्मक परिणाम
- 96 प्रतिशत असुरक्षित यौन संबंधों के कारण हुए एचआईवी ग्रसित
- असुरक्षित यौन संबंध सबसे बड़ा कारण
डिजिटल डेस्क, मुंबई। एचआईवी को लेकर चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रमों का सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। इसके चलते मरीजों की संख्या में कमी आ रही है। एड्स नियंत्रण सोसायटी के अनुसार पिछले 5 सालों में मुंबई में एचआईवी के मामलों में 57 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। जबकि 5 वर्षों में गर्भवती महिलाओं में 60 फीसदी की कमी आई है।
मुंबई डिस्ट्रिक्ट एड्स कंट्रोल सोसायटी (एमडैक्स) के आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में महानगर में कुल 4,473 नए एचआईवी के मरीज पंजीकृत हुए थे, जबकि 2020-21 में यह आंकड़ा घटकर 2,063 तक पहुंच गया। इसी तरह यह संख्या वर्ष 2023 अक्टूबर तक घटकर 1,909 तक पहुंच गई। एमडैक्स के अतिरिक्त परियोजना निदेशक डॉ. विजय कुमार करंजकर ने कहा कि एआरटी सेंटर, जांच के संसाधन और बीमारी के प्रति बढ़ती जागरूकता से मामलों में कमी दर्ज हुई है।
गर्भवती महिलाओं संक्रमण घटा
एड्स के प्रति चलाई जा रही जनजागृति के कारण गर्भवती महिलाओं के एचआईवी संक्रमित होने का प्रमाण कम हुआ है। वर्ष 2019-20 में गर्भवती महिलाओं के एचआईवी संक्रमित होने का प्रमाण 0.08 फीसदी था, जो वर्ष 2023 अक्टूबर में घटकर 0.05 फीसदी तक पहुंच गया है।
असुरक्षित यौन संबंध सबसे बड़ा कारण
आंकड़ों के अनुसार महानगर में एचआईवी संक्रमण का बड़ा कारण असुरक्षित यौन संबंध है। एमडैक्स ने बताया कि इस वर्ष पंजीकृत हुए कुल 1,909 मामलों में से 96 प्रतिशत लोग असुरक्षित यौन संबंध के कारण एचआईवी का शिकार हुए थे। संक्रमित माताओं के जरिए उनके बच्चों में एड्स फैलने के 3 प्रतिशत मामले थे। नए एचआईवी पीड़ित लोगों में से 75 फीसदी 15-49 वर्ष समूह के हैं जबकि 31 फीसदी महिलाएं हैं।
इतने मरीजों को एंटिरेट्रोवायरल थैरेपी
वर्तमान में एचआईवी से पीड़ित 39,922 मरीजों को एंटिरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) के जरिए उपचार दिया जा रहा है। इसमें से 33,554 मरीज (82%) को पहली लाइन का, 3,792 मरीज (9%) दूसरी लाइन का और 514 मरीज (1%) को तीसरी लाइन का एआरटी दिया जा रहा है। जबकि 2,454 मरीज (6%) को पहली लाइन पर वैकल्पिक, 608 मरीज (2%) को दूसरी लाइन पर वैकल्पिक एआरटी दी जा रही है।
2025 तक 95-95-95 का लक्ष्य
2030 तक एचआईवी उन्मूलन की तैयारी की जा रही है। इसके लिए वर्ष 2025 तक 95-95-95 के उपचार लक्ष्य को प्राप्त करने का मन एमडैक्स ने बनाया है। इसका अर्थ है कि एचआईवी के साथ जी रहे 95 फीसदी लोग अपनी स्थिति को जानते हों, 95 फीसदी लोगों को नियमित उपचार मिल रहा हो और 95 फीसदी एचआईवी उपचार ले रहे लोगों में वायरल लोड दबा हुआ है, जिससे उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनी हुई हो और उनके संक्रमण की संभावना भी कम हो।
कंडोम की आपूर्ति में हो रही बाधा
महाराष्ट्र में सालाना 3.2 करोड़ कंडोम की जरूरत है लेकिन राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण सोसायटी की ओर से आखिरी सप्लाई महाराष्ट्र राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी को मई में की गई। इस दौरान सिर्फ 35 लाख कंडोम ही मिले है। सबसे ज्यादा कंडोम की जरूरत हाई रिस्क श्रेणी में आनेवाले मुंबई, ठाणे, पुणे, नागपुर और औरंगाबाद को होती है। राज्य में 12 लाख लोग एचआईवी के हाई रिस्क श्रेणी में आते है।
Created On :   1 Dec 2023 4:45 AM IST