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New Delhi News: महाराष्ट्र के पारंपरिक हस्तशिल्प और कला को बढ़ावा देने के लिए केंद्र गंभीर

- वारली पेंटिंग, पैठणी साड़ी, कोल्हापुरी चप्पल, सावंतवाड़ी लकड़ी के खिलौने शामिल
- एनएचडीपी ने की शिल्प और कला परंपराओं के विरासत की पहचान
New Delhi News. महाराष्ट्र के पारंपरिक हस्तशिल्प और कला को बढ़ावा देने के लिए केंद्र गंभीर है। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के पारंपरिक हस्तशिल्प और कला परंपराओंं की विरासत के रूप में वारली पेंटिंग, पैठणी साड़ी, कोल्हापुरी चप्पल, हुपारी सिल्वर क्राफ्ट, सावंतवाडी लकड़ी के खिलौने, कोल्हापुरी साज, तानपुरा और सितार (वाद्य यंत्र) की पहचान की है।
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गुरुवार को राज्यसभा में कांग्रेस सांसद रजनी पाटिल के पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय के तहत विकास आयुक्त कार्यालय (हस्तशिल्प) महाराष्ट्र समेत देश भर के हस्तशिल्प क्षेत्र के समग्र विकास और संवर्धन के लिए राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम (एनएचडीपी) और समग्र हस्तशिल्प क्लस्टर विकास स्कीम (सीएचसीडीएस) का कार्यान्वयन करता है।
केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री ने बताया कि महाराष्ट्र में विगत दो वर्षों के दौरान एनएचडीपी स्कीम के तहत विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) कार्यालय द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। वर्ष 2022-23 में 83 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और इससे 3990 कलाकार लाभान्वित हुए। इन कार्यक्रमों के आयोजन के लिए 326.58 लाख रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई थी, जिसमें से 265.78 लाख रुपए की धनराशि जारी कर दी गई है। वर्ष 2023-24 में एनएचडीपी स्कीम के तहत 71 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और 3416 कलाकारों को इससे लाभ मिला। इन कार्यक्रमों के लिए 919.61 लाख रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई थी, जिसमें से 432.06 लाख रुपए जारी कर दिए गए हैं।
शेखावत ने बताया कि हस्तशिल्प और कारीगरों के समग्र संवर्धन और विकास के लिए महाराष्ट्र सहित पश्चिमी क्षेत्रीय राज्यों के लिए विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) कार्यालय के अंतर्गत एक क्षेत्रीय कार्यालय नवी मुंबई स्थित है।
Created On :   20 March 2025 8:17 PM IST