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Mumbai News: नागपुर के पत्रकार कोरटकर को नहीं मिली अंतरिम राहत, जनहित याचिका में औरंगजेब की कब्र हटाने का अनुरोध

- बॉम्बे हाईकोर्ट से नागपुर के पत्रकार प्रशांत कोरटकर को नहीं मिली अंतरिम राहत
- कोल्हापुर सेशन कोर्ट ने कोरटकर को अग्रिम जमानत देने से किया था इनकार
- केतन तिरोडकर ने जनहित याचिका दायर कर औरंगजेब की कब्र हटाने का किया अनुरोध
Mumbai News : बॉम्बे हाई कोर्ट से छत्रपति शिवाजी महाराज पर टिप्पणी के मामले में नागपुर के पत्रकार प्रशांत कोरटकर को अंतरिम राहत नहीं मिली। कोरटकर ने याचिका में अग्रिम जमानत का अनुरोध किया है। कोल्हापुर सेशन कोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। 24 मार्च को मामले की अगली सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की एकलपीठ के समक्ष प्रशांत कोरटकर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ से कोल्हापुर सेशन कोर्ट के फैसले को रद्द करने और अग्रिम जमानत का अनुरोध किया। सरकारी वकील ने इसका विरोध किया। पीठ ने सभी प्रतिवादियों को याचिका की प्रति देने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई 24 मार्च को रखा है। इसके पहले कोल्हापुर सेशन कोर्ट ने कोरटकर को अग्रिम जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उन्होंने पुलिस को अपनी मोबाइल सौंपने से पहले उसका सारा डेटा जानबूझकर डिलीट कर दिया था। कोल्हापुर के इतिहासकार इंद्रजित सावंत के साथ फोन पर बातचीत के दौरान कोरटकर ने छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में कथित भड़काऊ टिप्पणी की थी। सावंत ने 26 फरवरी को उनके खिलाफ कोल्हापुर के जूना राजवड पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई है। इसके अलावा राज्य में कोरटकर के खिलाफ दो और एफआईआर दर्ज की गई है। याचिकाकर्ता का दावा है कि इतिहासकार सावंत ने फिल्म छावा में कुछ ऐतिहासिक हस्तियों के चित्रण का विरोध किया और छत्रपति संभाजी महाराज के साथ विश्वासघात और 1689 में मुगलों द्वारा उन्हें पकड़ने के लिए एक विशेष समुदाय के क्लर्कों और मंत्रियों को दोषी ठहराया।
नागपुर हिंसा मामला - औरंगजेब की कब्र हटाने का मामला बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचा
उधर मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को हटाने का मामला बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंच गया है। आरटीआई एक्टिविस्ट केतन तिरोडकर ने शुक्रवार को जनहित याचिका (पीआईएल) दायर कर औरंगजेब की कब्र को हटाने और उसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के राष्ट्रीय स्मारकों की सूची से हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। जनहित याचिका में दावा किया गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अधिनियम 1958 की धारा 3 के अनुरूप औरंगजेब की कब्र नहीं है। राज्य के संभाजीनगर जिले के खुल्ताबाद में मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को विभिन्न संगठनों द्वारा मांग किया गया है। इसी कड़ी में तिरोडकर ने हाई कोर्ट में पीआईएल दायर कर औरंगजेब की कब्र को हटाने का अनुरोध किया गया है। तिरोडकर ने औरंजेब की कब्र को लेकर नागपुर में हिंसा भड़की। इसको लेकर आए दिन विवाद हो रहा है। ऐसे में औरंगजेब कब्र को हटाए जाने से विवाद खत्म हो सकता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने 18वीं सदी की इस इमारत के दोनों तरफ टिन की चादर लगा दी हैं। पिछले दिनों औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया गया, उसके बाद फैली अफवाहों के कारण नागपुर में हिंसा भड़की। छत्रपति संभाजी नगर जिला प्रशासन के निर्देशानुसार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने खुल्ताबाद में औरंगजेब की कब्र के दोनों तरफ टिन की चादर लगा दी हैं।
Created On :   21 March 2025 8:53 PM IST