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Mumbai News: उद्धव गुट नेता सुनील को नई याचिका में 7 मनोनीत एमएलसी को पक्षकार बनाने का निर्देश
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- याचिका में राज्यपाल के कोटे के तहत 12 रिक्त पदों के लिए सात विधान परिषद सदस्यों (एमएलसी) की नियुक्ति को मंजूरी दिए जाने को चुनौती
- 15 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई
- 7 मनोनीत एमएलसी को पक्षकार बनाने का दिया निर्देश
Mumbai News : बॉम्बे हाई कोर्ट ने शिवसेना उद्धव गुट नेता सुनील मोदी को नई जनहित याचिका में राज्यपाल द्वारा 7 मनोनीत एमएलसी को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है। अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि यदि याचिका स्वीकार की जाती है, तो कौन-कौन प्रभावित होने जा रहे हैं? इससे जो प्रभावित होंगे, उन्हें पक्षकार के रूप में जोड़ें और जनहित याचिका में संशोधन की मांग करते हुए एक अंतरिम आवेदन पेश करें। 15 जनवरी को मामले की अगली सुनवाई रखी गई है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष सुनील मोदी की याचिका पर सुनवाई हुई।याचिकाकर्ता के वकील संग्राम सिंह भोसलेने दलील दी कि राज्यपाल सात एमएलसी के नामों को मंजूरी नहीं दे सकते थे, क्योंकि हाई कोर्ट ने 7 अक्टूबर को उनकी पिछली जनहित याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। इस पर पीठ ने याचिकाकर्ता को कहा कि वे 7 मनोनीत एमएलसी को नई जनहित याचिका में पक्षकार बनाएं। 7 एमएलसी में से 3 भाजपा नेता चित्रा वाघ, विक्रांत पाटिल और धर्मगुरु बाबूसिंह महाराज राठौड़ है। जबकि शिवसेना के शिंदे गुट के दो नेता मनीषा कायंदे और हेमंत पाटिल और एनसीपी के अजीत पवार गुट के दो नेता पंजक भुजबल और इदरीस नाइकवाड़ी का नाम शामिल है।
राज्यपाल सी.पी.राधाकृष्णन द्वारा 14 अक्टूबर को जारी अधिसूचना के आधार पर राज्यपाल कोटे के विधान परिषद सदस्यों (एमएलसी) के 12 रिक्त पदों में से एमएलसी के नामों को मंजूरी दी गई थी। संविधान के अनुच्छेद 171 (5) के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में विशेष ज्ञान और अनुभव रखने वाले व्यक्तियों से भरे जाने वाले 12 पद तीन साल से अधिक समय से रिक्त हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि हाई कोर्ट ने 7 अक्टूबर को उनकी पिछली जनहित याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिसमें तत्कालीन राज्यपाल बीएस कोश्यारी के सितंबर 2022 के फैसले को चुनौती दी गई थी। तत्कालीन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार द्वारा अनुमोदित 12 एमएलसी के नामांकन को वापस कर दिया था। राज्यपाल का यह कदम कानून के मुताबिक नहीं था। याचिकाकर्ता ने राज्यपाल सी.पी.राधाकृष्णन द्वारा 14 अक्टूबर को जारी अधिसूचना को रद्द करने का अनुरोध किया है। 15 अक्टूबर को राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने पीठ को सूचित किया कि 7 एमएलसी की नियुक्ति में कोई बाधा नहीं है। एमएलसी की नियुक्ति पर न तो अदालत की ओर से कोई रोक है और न ही सरकार ने हाई कोर्ट को कोई आश्वासन दिया है कि एमएलसी की नियुक्ति नहीं की जाएंगी।
Created On :   17 Dec 2024 9:37 PM IST