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Mumbai News: बदलापुर मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सीआईडी जांच पर जोर

- अदालत मित्र (एमिकस क्यूरी) ने हाई कोर्ट में दी दलील
- बदलापुर स्कूल में बच्चियों से दुराचार का मामला
- अक्षय शिंदे के मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ सीआईडी जांच एफआईआर दर्ज कर किया जाना जरूरी
- 11 मार्च को मामले की अगली सुनवाई
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी (अदालत मित्र) वरिष्ठ वकील मंजुला राव ने बदलापुर स्कूल में बच्चियों से यौन उत्पीड़न के आरोपी अक्षय शिंदे की कथित मुठभेड़ में हुई हत्या के मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सीआईडी जांच किए जाने पर जोर दिया। 23 सितंबर को तलोजा जेल से पूछताछ के लिए स्थानांतरित किए जाने के दौरान कथित रूप से मुठभेड़ में शिंदे की हत्या की कर दी गई थी। उसे दो बच्चियों के साथ दुराचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 11 मार्च को मामले की अगली सुनवाई होगी।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ के समक्ष अक्षय शिंदे के पिता अन्ना शिंदे की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान एमिकस क्यूरी (अदालत मित्र) वरिष्ठ वकील मंजुला राव ने दलील दी कि शिंदे की मौत के बाद उसके माता-पिता ने स्थानीय पुलिस को मुठभेड़ की परिस्थितियों के बारे में संदेह व्यक्त करते हुए एक लिखित बयान दिया था। उनके संदेह के बावजूद शुरू में केवल एक आकस्मिक मृत्यु रिपोर्ट (एडीआर) दर्ज की गई और बाद में जांच को राज्य सीआईडी को स्थानांतरित कर दिया गया था।
राव ने जोर देकर कहा कि शिंदे के माता-पिता द्वारा प्रदान किए गए दस्तावेजों के साथ-साथ एडीआर को सीआईडी को स्थानांतरित करने से कानून के अनुसार एफआईआर दर्ज करना जरूरी था। उन्होंने अदालत को बताया कि जांच को आगे बढ़ाने के लिए एफआईआर अनिवार्य है। यह प्रारंभिक दस्तावेज है, जो जांच को गति प्रदान करता है। पीड़ित के माता-पिता द्वारा ठाणे पुलिस आयुक्त को सौंपे गए पत्र का कोई रिकॉर्ड नहीं है। यह अनदेखी मामले को संभालने और कार्यवाही की पारदर्शिता पर सवाल उठाती है।
कथित तौर पर यह घटना तब हुई, जब शिंदे को ले जाते समय कथित तौर पर एक पुलिस अधिकारी से बंदूक छीनकर गोली चला दी, जिसके कारण वरिष्ठ निरीक्षक संजय शिंदे ने उसे गोली मार दी। मजिस्ट्रेट द्वारा जांच कर रिपोर्ट हाई कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था, शिंदे की मौत के लिए पांच पुलिस अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया है। हाई कोर्ट ने पहले सवाल किया था कि क्या राज्य सरकार पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए बाध्य है? इसको लेकर पीठ के समक्ष सुनवाई चल रही है।
Created On :   10 March 2025 10:00 PM IST