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Mumbai News: 1992 के मुंबई दंगों के एक मामले में आरोपी व्यक्ति 32 साल बाद बॉम्बे हाईकोर्ट से बरी
- अदालत ने ट्रायल कोर्ट के 2 नवंबर 2002 के आदेश को किया रद्द कर
- आरोपी व्यक्ति 32 साल बाद बॉम्बे हाईकोर्ट से बरी
Mumbai News.1992 के मुंबई दंगों के एक मामले में आरोपी किसन सोमा साठे 32 साल बाद बॉम्बे हाई कोर्ट से बरी हो गया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ कोई भी पुष्टि करने वाला साक्ष्य पेश करने में विफल रहा है। ऐसे में सेशन कोर्ट के आरोपी साठे के खिलाफ 2 नवंबर 2002 को दिए गए आदेश को रद्द कर उसे मामले से बरी किया जाता है। न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की पीठ के समक्ष किसन सोमा साठे की ओर से वकील एस.आर.मोरे की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में सेशन कोर्ट के याचिकाकर्ता के खिलाफ 2 नवंबर 2002 को दिए गए आदेश को रद्द करने और दंगे के मामले से बरी करने का अनुरोध किया गया। पीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ एकमात्र महत्वपूर्ण साक्ष्य सह-अभियुक्त के कुछ बैंक लेनदेन हैं, जिसमें उन्होंने एनईएफटी के माध्यम से याचिकाकर्ता को कुछ राशि भेजी थी। याचिकाकर्ता जिप्सम कणिकाओं (पौधों की बढ़ोतरी के लिए एक उर्वरक) और संबद्ध उत्पादों के निर्माण के व्यवसाय से जुड़ा है। यदि वैध व्यावसायिक लेन-देन में उक्त कणिकाओं को अन्य अभियुक्तों द्वारा खरीदा गया था और बदले में वे इसका उपयोग नकली उर्वरक के निर्माण में करते हैं, तो इस न्यायालय की राय में ऐसा कृत्य याचिकाकर्ता के लिए अपराध नहीं माना जाएगा। याचिकाकर्ता को अपराध से जोड़ने के लिए रिकॉर्ड पर उपलब्ध किसी अन्य सामग्री के अभाव में सह-अभियुक्तों के कृत्य के लिए उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। इसलिए याचिकाकर्ता की याचिका स्वीकार की जाती है और उसके खिलाफ ट्रायल कोर्ट में शुरू की गई आगे की कार्यवाही को भी रद्द की जाती है।
क्या है पूरा मामला
फिरोज मोहम्मद सुल्तान द्वारा 12 जनवरी 1993 को एमआईडीसी पुलिस स्टेशन में शिकायत की कि 15 व्यक्तियों ने तलवार, लोहे की छड़ें और डंडे लेकर अंधेरी (पूर्व) एमआईडीसी स्थित ब्लू स्टील कंपनी के परिसर में घुस आए और सुरक्षा गार्ड पिता सोहेब खान और उसके बेटे नौशाद सोहेब खान पर हमला किया। सोहेब खान की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि नौशाद ने बाद में दम तोड़ दिया। एक अन्य हमले में एक और व्यक्ति इरफान सादिक अली अंसारी पर भी हमला किया गया, जिससे उनकी मौत हो गई। पुलिस ने 15 अज्ञात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर किया और इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने दावा किया कि इस मामले में याचिकाकर्ता का नाम 5 आरोपियों से पूछताछ में सामने आया और उसे गिरफ्तार किया गया। हालांकि पुलिस ने जो आरोप-पत्र दायर किया, तो याचिकाकर्ता का नाम उसमें नहीं शामिल किया गया।
Created On :   3 Jan 2025 9:55 PM IST