- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- 100 दिनों के प्रारूप के जरिए सभी...
Mumbai New: 100 दिनों के प्रारूप के जरिए सभी विभाग करें ठोस काम, बिना विलंब सुविधा मिलना सुशासन की पहचान
- शहरों में वनीकरण बढ़ाने मियावाकी वृक्षारोपण अपनाने का निर्देश
- फडणवीस ने विभिन्न विभागों के कामकाज की समीक्षा की
- नागरिकों को बिना विलंब सुविधा मिलना राज्य के सुशासन की पहचान- मुख्यमंत्री
Mumbai News. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि प्रदेश के सर्वांगीण प्रगति के लिए अगले 100 दिनों का प्रारूप सभी विभाग तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगले 100 दिनों के प्रारूप के माध्यम से विभाग ठोस काम करें। शहरी इलाकों में वनीकरण बढ़ाने के लिए मियावाकी वृक्षारोपण विधि के इस्तेमाल करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिए। गुरुवार को राज्य अतिथिगृह सह्याद्री में मुख्यमंत्री ने राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा और वन व कृषि विभाग के अगले 100 दिनों के कामकाज के प्रारूप को लेकर समीक्षा बैठक की। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी विभाग केप्रारूप में लोककेंद्रित योजना, प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके सहज रूप से नागरिकों को मिलने वाली योजना और राज्य को शिखर पर पहुंचाने संबंधी काम का समावेश होना चाहिए। फडणवीस ने कहा कि वन विभाग राज्य में वन्य प्राणी और मानव के बीच होने वाले संघर्ष को कम करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का उपयोग करके उपाय योजना तैयार करें। मानव व वन्य प्राणी संघर्ष की घटना में तत्काल मदद के लिए जल्द बचाव दल स्थापित करें। इस दल के मानव संसाधन को उच्च दर्जे का प्रशिक्षण दिया जाए। इस तरह की उपाय योजना को वन विभाग 100 दिनों के प्रारूप में शामिल करें। पौधारोपण का संस्कार विकसित करने के लिए अभिनव उपक्रम को अमल में लाया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि तेंदुएं की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए उसेअन्य राज्यों के अभ्यारण में देने की व्यवस्था करें। तेंदुआ निवारा केंद्र की क्षमता बढ़ाएं। वन विभाग कार्बन क्रेडिट कंपनी स्थापित करने के लिए नीति तैयार करें। इस बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कृषि विभाग को अपने प्रारूप में किसानों को केंद्रबिंदु में रखते हुए योजनाओं को लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग को भारत में आने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों को आकर्षित करके शैक्षणिक कॉम्प्लेक्स (संकुल) निर्माण करने का आदेश दिया।
शिक्षा व्यवस्था बेहतर करने त्रिसूत्रीय फॉर्मूले पर जोर
राज्य के नवनियुक्त उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील ने गुरुवार को लगातार दूसरी बार उच्च व तकनीकी शिक्षा और संसदीय कार्यमंत्री का पदभार संभाला। इस मौके पर मंत्री पाटील ने विभाग को शिक्षा में सुधार के लिए त्रिसूत्रीय कार्यक्रम पर अमल के निर्देश दिए हैं।
- राज्य के 45 लाख विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम से अलग एक किताब पढ़ने के लिए दी जाएगी। कोशिश होगी कि इसमें सिर्फ शहरी ही नहीं ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थियों को भी जोड़ा जाए।
- राज्य के 30 हजार शिक्षकों को उनकी क्षमता विकास के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।इसमें सात दिन के ऑनलाइन प्रशिक्षण के लिए पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा।
- उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग अब अभिभावकों तक भी पहुंचने की तैयारी कर रहा है। जिससे उन्हें सरकार की योजनाओं की जानकारी दी जा सके। पाटील के मुताबिक अगर अभिभावक योजनाओं के प्रति जागरूक होंगे तो वे विद्यार्थी को इनका लाभ लेने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। गुरुवार को पाटील के पदभार ग्रहण करते समय उच्च व तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री इंद्रनील नाईक, विभाग के सचिव विकास रस्तोगी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
नागरिकों को बिना विलंब सुविधा मिलना राज्य के सुशासन की पहचान- मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि प्रदेश की प्रगति इज ऑफ लिविंग (जीवन की सुगमता) पर निर्भर होती है। इसलिए राज्य सरकार इज ऑफ लिविंग में सुधार करने के लिए प्रयासरत है। फडणवीस ने कहा कि नागरिकों को विभिन्न सुविधाएं बिना विलंब मिलती है अथवा नहीं? इससे राज्य का सुशासन ध्यान में आता है। सुशासन के माध्यम से महाराष्ट्र को एक ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का राज्य बनाने का रास्ता मजबूत हो सकेगा। पिछली भाजपा सरकार में नागरिकों की शिकायतों के निपटारे के लिए आपले सरकार पोर्टल शुरू किया गया था। गुरुवार को मुख्यमंत्री ने राज्य अतिथिगृह सह्याद्री में महाराष्ट्र जिला सुशासन सूचकांक 2024 की रिपोर्ट का अनावरण किया। इस मौके पर राज्य की मुख्य सचिव सुजाता सौनिक, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खारगे, नियोजन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजगोपाल देवरा सहित दूसरे अधिकारी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला सुशासन सूचकांक 10 विकास क्षेत्रों के 161 मापदंडों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि जिन जिलों को सूचकांक में सुधार करने की आवश्यकता है। ऐसे जिलों के पालक सचिव को ध्यान देना चाहिए। जिला सुशासन सूचकांक केवल रैकिंग दर्शाने वाला नहीं है। इसके जरिए जिलों को सुधार की गुंजाइश का पता चलता है।
जिला सुशासन सूचकांक में क्षेत्रवार पहले पांच जिले
वाणिज्य व उद्योग : मुंबई शहर, रायगड, पुणे, पालघर, ठाणे
आर्थिक सुशासन : मुंबई उपनगर, मुंबई शहर, रायगड, जलगांव, भंडारा
न्यायप्रणाली व सुरक्षा : मुंबई उपनगर, मुंबई शहर, नागपुर, गडचिरोली, रायगड
पर्यावरण : सांगली, छत्रपति संभाजीनगर, सोलापुर, मुंबई शहर, मुंबई उपनगर
स्वास्थ्यः सिंधुदुर्ग, मुंबई उपनगर, पालघर, बीड़, रत्नागिरी
कृषि व संबंधित क्षेत्र : अमरावती, वाशिम, छत्रपति संभाजीनगर, लातूर, परभणी
मानवसंसाधन विकास: नाशिक, गोंदिया, पुणे, यवतमाल, सातारा
आधारभूत सुविधाः लातूर, नाशिक, बुलढाणा, चंद्रपुर, हिंगोली
सामाजिक विकास : गोंदिया, अमरावती, नाशिक, धुलिया, नागपुर
लोककेंद्रित प्रशासन : नाशिक, वाशिम, यवतमाल, बुलढाणा, अमरावती
Created On :   26 Dec 2024 7:57 PM IST