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दिल का मामला: मिरस तकनीक से दूर होगा हार्ट ब्लॉकेज, दवा की जरूरत होगी कम
- दवा की जरूरत होगी कम
- घुलनशील स्टेंट की तकनीक से उपचार
- ‘मिरस' तकनीक से दूर होगा हार्ट ब्लॉकेज
डिजिटल डेस्क, मुंबई। भारत में कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) या हार्ट ब्लॉकेज की समस्या बढ़ रही है, जिससे पीड़ितों में अब युवा वर्ग भी है। ऐसी स्थिति में उपचार की नई तकनीकी की आवश्यकता भी बढ़ी है। इसी कड़ी में 51 वर्षीय व्यक्ति के हृदय के ब्लॉकेज की समस्या दूर करने के लिए डॉक्टरों ने ‘मिरस' तकनीक का इस्तेमाल किया है। इस उपचार पद्धति में घुलनशील स्टेंट का इस्तेमाल किया गया है। डॉक्टरों ने बताया कि है इस नई तकनीक से ब्लॉकेज की समस्या दूर होने पर मरीज की दवा पर निर्भरता कम हो जाती है।
नई मुंबई के अपोलो अस्पताल में सीने में दर्द की शिकायत लेकर एक 51 वर्षीय व्यक्ति भर्ती हुआ था। अस्पताल के कार्डियोलोजिस्ट डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि मरीज की जांच में मुख्य धमनियों में से एक लेफ्ट एंटेरियर डिसेंडिंग आर्टरी में ब्लॉकेज का पता चला। मरीज की उम्र को देखते हुए पारंपरिक और लंबे समय तक चलने वाले धातु के स्टेंट का उपयोग न करते हुए, हमने हाल ही में आए ‘मिरस' तकनीक का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया। इस तकनीक के जरिये उनके ब्लॉकेज को दूर करने के लिए बिना धातु वाले घुलनशील स्टेंट का उपयोग किया।
क्या हैं इसके फायदे
डॉ. राहुल ने बताया कि यह मिरस स्टेंट 2 से 3 वर्षों में धीरे-धीरे घुल जाता है और धमनी के भीतर कोई निशान भी नहीं छोड़ता है। इससे धमनी में दोबारा ब्लॉकेज होने की संभावना कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि पहले भी घुलनशील स्टेंट का इस्तेमाल हो चुका है, लेकिन इसकी सफलता दर न के बराबर थी। इसकी वजह से डॉक्टरों ने उस समय घुलनशील स्टेंट का इस्तेमाल बंद कर दिया था। अब आधुनिक घुलनशील स्टेंट आने से इसकी सफलता दर बेहतर हो गई है।
दवा भी हुई कम
नई घुलनशील स्टेंट का फायदा यह है कि इससे मरीजों की दवा की खुराक भी धीरे-धीरे कम कर दी जाती है। हृदय की धमनियों के ब्लॉकेज से पीड़ित मरीज को खून पतला करने के लिए दो दवाइयां और कोलेस्ट्रॉल न बनने के लिए एक दवाई दी जाती है। लेकिन इस नए स्टेंट से मरीज का खून पतला करने की दवाई की खुराक समय के साथ कम कर दी जाती है।
एंजियोप्लास्टी हुई आसान
डॉ. राहुल ने बताया कि एंजियोप्लास्टी पद्धति पहले की अपेक्षाकृत आसान हो गई है। अब तक डॉक्टर बाहरी कैमरों की मदद से एंजियोप्लास्टी करते थे। लेकिन अब अंदरूनी कैमरे की तकनीक आ गई है, जिससे हम धमनियों में बने ब्लॉक का आसानी से अध्ययन कर सकते हैं और ब्लॉकेज का कारण भी पता कर सकते हैं।
Created On :   23 Oct 2023 5:00 AM IST