शीतकालीन अधिवेशन: कितना कारगर होगा मराठा आरक्षण के लिए विधेयक का रास्ता

कितना कारगर होगा मराठा आरक्षण के लिए विधेयक का रास्ता
  • मराठा आरक्षण के लिए फिर विधेयक पेश करने की तैयारी
  • कितना कारगर होगा
  • शीतकालीन अधिवेशन

डिजिटल डेस्क, मुंबई, विजय सिंह "कौशिक'। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर एक बार फिर इतिहास दोहराया जाने वाला है। मराठा आरक्षण को लेकर पहले मनोज जरांगे पाटिल की भूख हड़ताल और अब राज्यभर में हो रही उनकी जनसभाओं को देखते हुए राज्य की शिंदे सरकार आगामी 7 दिसंबर से नागपुर में शुरू हो रहे विधानमंडल के शीतकालीन अधिवेशन में मराठा आरक्षण के लिए विधेयक लाने की तैयारी में है। राज्य सरकार के एक मंत्री की माने तो नागपुर सत्र में मराठा आरक्षण विधेयक पेश किया जाना तय है। हालांकि इसके बाद भी मराठा आरक्षण का भविष्य दिल्ली में ही तय होना है।

इसके पहले देवेंद्र फडणवीस की सरकार के समय मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र में 58 जगहों पर मराठा समाज का मूक मोर्चा निकाला गया था। इसके बाद मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए फडणवीस सरकार ने विधानमंडल के दोनों सदनों में मराठा आरक्षण विधेयक पेश किया था पर बाद में इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।

अब एक बार फिर विधेयक के माध्यम से मराठा समाज को आरक्षण देने की तैयारी है। हालांकि इससे मराठा समाज को आरक्षण मिल ही जाएगा इसको लेकर सरकार में शामिल लोगों को भी पूर्ण विश्वास नहीं है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि सरकार अपना कार्य करेगी पर आरक्षण को लेकर सबकुछ सरकार के हाथ में नहीं है। इस बार भी कोई न कोई सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाएगा।

पांच साल पहले भी पेश हुआ था विधेयक

इसके पहले 29 नवंबर 2018 को तत्कालीन फडणवीस सरकार ने विधानसभा में मराठा आरक्षण विधेयक पेश किया था, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया था। मराठा समुदाय को 16 फीसदी आरक्षण सोशल एंड इकोनॉमिक बैकवर्ड कैटेगरी (एसईबीसी) के तहत दिया गया था। बता दें कि मराठा आरक्षण के लिए विशेष कैटेगरी एसईबीसी बनाई गई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि हमें पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट मिली थी, जिसमें सिफारिश की गई थी कि मराठा समुदाय को सोशल एंड इकोनॉमिक बैकवर्ड कैटेगरी (एसईबीसी) के तहत आरक्षण दिया जाएगा।

इस लिए सुप्रीम कोर्ट ने इस लिए लगाई थी रोक

सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 5 मई 2021 को महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की वैधता की सुनवाई करते हुए कहा था कि आरक्षण की 50 फ़ीसदी की सीमा को नहीं तोड़ा जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने बताया था, आरक्षण के लिए क्या है जरुरी

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया था कि मराठा आरक्षण के लिए क्या किए जाने की जरूरत है। अदालत ने इंपीरिकल डेटा मांगा था साथ ही मराठा समाज से जुड़े लोगों की गिनती, सरकारी नौकरी और शिक्षा में कमी से जुड़े आंकड़े और आर्थिक पिछड़ेपन से जुड़ी जानकारी पेश करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट पहले ही आरक्षण के लिए 50 फीसदी की सीमा तय कर चुका है। मुझे नहीं पता कि नए विधेयक से पहले सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। निर्देशों का पालन करते हुए कैसे रास्ता निकाला जाता है यह देखना होगा

श्रीहरि अणे, पूर्व अटॉर्नी जनरल, महाराष्ट्र सरकार

फिलहाल आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से पार नहीं हो सकती

प्रो. उल्हास बापट, संविधान विशेषज्ञ के मुताबिक सर्वोच्च अदालत ने साफ तौर पर ट्रिपल टेस्ट की बात कही थी जिसके मुताबिक पहला बैकवर्ड क्लास कमीशन होना चाहिए और उसे ही किसी समुदाय को पिछड़ा घोषित करना चाहिए, सरकार को नहीं। दूसरा इंपीरिकल डेटा होना चाहिए। अगर सरकार यह जुटाना चाहती है तो इसमें दो साल लग सकते हैं। तीसरा आरक्षण की सीमा 50 फीसदी के पार नहीं हो सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों ने एकमत से फैसला दिया था। संविधान में संशोधन के बिना आरक्षण दिला पाना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। यह बेहद संवेदनशील और भावनात्मक मुद्दा है जिसे नेता अपने फायदे के लिए भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।

इस आधार पर मिला था आरक्षण

• मराठा समाज की सामाजिक स्थिति

- 76.86 फीसदी मराठा परिवार आजीविका के लिए खेती और खेत मजदूरी पर निर्भर हैं। - सिर्फ 6 फीसदी मराठा सरकारी या अर्धसरकारी विभागों में नौकरी पर हैं इनमें भी ज्यादातर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं

- करीब 70 फीसदी मराठा परिवार कच्चे घरों में रहते हैं

- सिर्फ 35.39 फीसदी मराठा परिवारों के पास नल के जरिए पानी पहुंचता है

- 31.79 फीसदी मराठा परिवार लकड़ी जलाकर खाना बनाते हैं

- 2013-2018 के बीच 13368 किसानों ने आत्महत्या की इसमें से 2152 यानी 23.56 फीसदी मराठा थे

- मराठा समाज में पुरानी सामाजिक परंपराएं प्रथाएं आज भी प्रचलित है - पिछड़ेपन के मानदंडों के आधार पर 73 फीसदी मराठा आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े

- 10 साल में उपजीविका की तलाश में 21 फीसदी मराठा गांव से शहरों में आए

- 88.81 फीसदी मराठा समाज की महिलाएं पेट की आग बुझाने के लिए मजदूरी करती है

मराठा समाज की आर्थिक स्थिति

- 93 फीसदी मराठा परिवारों की वार्षिक आय 1 लाख रुपए तक ही है

- 24.2 फीसदी मराठा गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं जो राज्य के औसत की तुलना में 37.2 फीसदी है

- भूमिहीन व अल्पभूधारक (2.5 एकड़ से कम जमीन के मालिक) 71 फीसदी, 10 एकड़ से कम जमीन के मालिक किसान 2.7 फीसदी मराठा समाज की शैक्षणिक स्थिति - 6.71 फीसदी मराठा स्नातक या स्नातकोत्तर - 0.77 फीसदी मराठा तकनीकी या व्यावसायिक डिग्री धारक - 13.42 फीसदी मराठा निरक्षर - 31.31 फीसदी ने प्राथमिक शिक्षा हासिल की - 43.79 फीसदी 10 वीं या 12 वीं तक पढ़े हैं।

Created On :   1 Dec 2023 5:00 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story