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विश्व स्ट्रोक दिवस: मुंबई में हर महीने 20-25 युवा हो रहे ब्रेन स्ट्रोक का शिकार
- स्ट्रेस दे रहा है स्ट्रोक
- गोल्डन आवर में इलाज से बचाई जा सकती है जान
- हर महीने 20-25 युवा हो रहे शिकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। स्ट्रोक का अटैक पहले बुजुर्गों में सुनाई देता था, लेकिन अब इसकी जद में युवा आबादी भी आ रही है। डॉक्टरों के एक अध्ययन के मुताबिक हर महीने 20-25 युवा स्ट्रोक के शिकार हो रहे हैं। अटैक की स्थिति में मरीज को गोल्डन आवर के दौरान यदि उपचार मिलता है तो उसकी जान बचाई जा सकती है। बढ़ते मामलों की प्रमुख वजहों में बड़ा है तनाव (स्ट्रेस)। जबकि स्ट्रोक के अन्य जोखिम कारकों में धूम्रपान, शराब पीना और मोटापा शामिल है।
चिंता, लाइफ स्टाइल बना घातक
स्ट्रोक की रोकथाम, उपचार के बारे में जागरूकता और पीड़ितों को बेहतर देखभाल सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से हर साल 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है। वॉकहार्ट अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट व स्ट्रोक विशेषज्ञ डॉ. पवन पई ने बताया कि ये एक जटिल स्वास्थ्य मुद्दा है, जिससे लोग पीड़ित हैं। स्ट्रोक न सिर्फ मस्तिष्क को प्रभावित करता है, बल्कि इसके और भी कई बुरे परिणाम हो सकते हैं। बीते एक वर्ष में 30 वर्ष से कम आयु के मरीज स्ट्रोक के चलते लकवे का शिकार हो चुके हैं। जबकि हर महीने स्ट्रोक के लगभग 20-25 मरीजों को चिकित्सा सहायता की जरूरत पड़ती है, जिनमें 5 से 7 थ्रोम्बोलिसिस से गुजरते हैं और 2 से 3 मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी से गुजरते हैं। सितंबर में तो थ्रोम्बेक्टोमी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। डॉ. पई ने बताया कि युवाओं में स्ट्रोक की वजह तनाव है। युवाओं में अपने करियर को लेकर हमेशा तनाव रहता है। इसके अलावा लाइफ स्टाइल भी युवाओं में स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा रहा है।
10 फीसदी को ही मिल पाता है इलाज
लीलावती अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. गिरीश सोनी ने बताया कि स्ट्रोक पीड़ितों के लिए गोल्डन आवर बहुत महत्वपूर्ण है। इस काल में उचित उपचार मस्तिष्क में अतिरिक्त नुकसान को तो रोकता ही है साथ ही भविष्य में होनेवाली जटिलताओं से बचाता भी है। लेकिन गोल्डन आवर में सिर्फ 10 से 20 फीसदी लोग ही अस्पताल पहुंचते हैं। लगभग 10-20 फीसदी मामलों में ही मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी की आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि पिछले 6 महीनों में उनके पास लगभग 50-70 स्ट्रोक के मामले आए हैं।
क्या है मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी
मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है जिसका उपयोग रक्त वाहिकाओं में जमे रक्त के थक्कों को हटाने के लिए किया जाता है। इसमें प्रभावित धमनी में एक कैथेटर डालना और थक्के को हटाने के लिए स्टेंट रिट्रीवर नामक उपकरण का उपयोग करना शामिल है। इससे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बहाल करके क्षति को रोका जाता है।
क्या है थ्रोम्बोलिसिस
इसे थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी के रूप में भी जाना जाता है। यह एक ऐसा उपचार है जो रक्त वाहिकाओं में खतरनाक थक्कों को घोलता है, रक्त प्रवाह में सुधार करता है और ऊतकों और अंगों को नुकसान से बचाता है। इसमें नसों के माध्यम से या कैथेटर के माध्यम से क्लॉट-बस्टिंग दवाओं का इंजेक्शन दिया जाता है, जो सीधे रुकावट वाली जगह पर दवाओं को पहुंचाता है।
Created On :   29 Oct 2023 3:40 PM IST