बॉम्बे हाईकोर्ट: डॉक्टरों ने सरकारी कॉलेजों में आयुर्वेद स्नातकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रम के आरक्षित वर्ग में दाखिले को दी चुनौती

डॉक्टरों ने सरकारी कॉलेजों में आयुर्वेद स्नातकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रम के आरक्षित वर्ग में दाखिले को दी चुनौती
  • याचिका में अपात्र डॉक्टरों को पात्र कर पीजी पाठ्यक्रम के विशेष वर्ग में दाखिला मिलने का दावा
  • अदालत ने याचिकाकर्ताओं को पात्र किए गए डॉक्टरों को भी पार्टी बनाने का दिया निर्देश

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के ग्रामीण सुदूर क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत 8 डॉक्टरों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आयुर्वेद स्नातकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रम के आरक्षित वर्ग में सरकारी कालेज में दाखिले को चुनौती दी है। याचिका में दावा किया गया है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) और नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) से स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रमों में राज्य कोटे से आरक्षित 9 फीसदी सीटों के लिए अपात्र डॉक्टरों को प्रवेश दिया गया है। जबकि डोके समिति की रिपोर्ट के मुताबिक तो ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत पात्र डॉक्टरों को प्रवेश नहीं दिया गया है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए पात्र किए गए डॉक्टरों को भी पार्टी बनाने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति कमल खाता और न्यायमूर्ति डॉ.नीला केदार गोखले की अवकाश कालीन खंडपीठ के समक्ष सोमवार को 8 डॉक्टरों की ओर से वकील संजीवनी रासकर और वकील शांतनु रक्ताटे की याचिका पर सुनवाई हुई। याचाकर्ताओं के वकील रक्ताटे ने दलील दी कि इस वर्ष आयुर्वेद स्नातकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रम में आरक्षित वर्ग से कई ऐसे डॉक्टरों को सरकारी कॉलेज में दाखिले के मेरिट लिस्ट में नाम सामने आया है, जो 2017 के डोके समिति की रिपोर्ट के मुताबिक इसके हकदार नहीं है। जबकि राज्य के ग्रामीण सुदूर क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तीन साल से अधिक समय से कार्यरत 8 डॉक्टरों पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं दिया गया है। वे आरक्षित वर्ग में प्रवेश पाने के हकदार थे। 3 नवंबर को डिक्लियर इंस्टीट्यूट के तहत आरक्षित वर्ग में प्रवेश की लिस्ट जारी हुई। इस लिस्ट में उन मेडिकल ऑफिसर का नाम शामिल है, जो आरक्षित वर्ग के लिए पात्र नहीं है। स्वास्थ्य सेवा के सेवानिवृत्त निदेशक डाॅ. प्रकाश डोके की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था।

समिति का उद्देश्य मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन 2000 का अनुपालन करना है, जिसमें अनुच्छेद 9(1)(बी) के तहत राज्य के सुदूर और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की रक्षा करना था। डोके समिति द्वारा सुदूर कठिन और ग्रामीण क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत स्वास्थ्य सुविधा केंद्र में कार्यरत मेडिकल अधिकारियों (डॉक्टर) को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) और नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) से स्नातकोत्तर के पाठ्यक्रमों में राज्य के आरक्षित 9 फीसदी सीटों में प्रवेश की सिफारिश की थी। खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को पात्र किए गए डॉक्टरों को पार्टी बनाने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी।

Created On :   20 Nov 2023 9:54 PM IST

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