बॉम्बे हाईकोर्ट: अदालत ने बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट (बीपीटी) को लगाई फटकार

अदालत ने बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट (बीपीटी) को लगाई फटकार
  • शिवडी फोर्ट के पास 30 साल से रहे 54 झोपड़ा धारकों के झोपड़े तोड़ने का बीपीटी ने 12 घंटे का भेज दिया नोटिस
  • 30 नवंबर को अगली सुनवाई तक कार्रवाई पर रोक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट (बीपीटी) को फटकार लगाते हुए कहा कि आप हलफनामा दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय लेते हैं और वर्षों रह रहे झोपड़ा धारकों को घर खाली करने का 12 घंटे की नोटिस देते हैं। अदालत ने 30 नवंबर को अगली सुनवाई होने तक बीपीटी की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति जी.एस.पटेल और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ के समक्ष गुरुवार को भारत पांडुरंग कदम की ओर से वकील प्रेरक चौधरी और वकील अनिशा बालसे की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। वकील प्रेरक चौधरी ने अदालत में दलील दी कि शिवड़ी (पूर्व) के फोर्ट रोड स्थित राजीव गांधी नगर (शिवड़ी फोर्ट) में पिछले 30 साल से अधिक समय रहे 54 झोपड़ा धारकों का परिवार रहता है। उनके पास साल 1995 के पहले के राशन कार्ड समेत जरुरी कागजात है। यहां के निवासियों के पास साल 2000 की सर्वे पावती भी है। बीपीटी ने 30 अक्टूबर की शाम 4 बजे उन्हें 12 घंटे में झोपड़े खाली करने का नोटिस दिया। नोटिस में झोपड़ा धारकों को बीपीटी की जगह को खाली नहीं करने पर आपराधिक मामला दर्ज करने और झोपड़े को हटाने की चेतावनी दी गयी है। ऐसे में वर्षों से रहने वाले 54 परिवार के सैकड़ों लोग आखिर कहां जांए? उन्होंने अदालत से बीपीटी की कार्रवाई पर रोक लगाने और 54 परिवारों के पुनर्वास की मांग की।

बीपीटी की ओर से पेश हुए ओमप्रकाश झा ने कहा कि झोपड़ा धारक बीपीटी की जगह पर रह रहे हैं। बीपीटी की यूनिट-9 ने उन्हें झोपड़ा खाली करने का नोटिस दिया है। इस पर न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि झोपड़ा धारकों को घर खाली करने की 12 घंटे की नोटिस कैसे दे सकते हैं। क्या आप कानून से ऊपर हैं। आप को हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय चाहिए और घर खाली करने के लिए 12 घंटे की नोटिस दे रहे हैं। खंडपीठ ने 30 नवंबर को अगली सुनवाई तक बीपीटी की कार्रवाई पर रोक लगा दिया।

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में आए शिवडी निवासियों ने दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में कहा कि यहां वे दो पीढ़ी से उनका परिवार रह रहे हैं। बीपीटी ने उन्हें घर खाली करने का नोटिस दिया है। आखिल वे कहां जाएं? अब उन्हें अदालत से न्याय मिलने की उम्मीद है।

Created On :   2 Nov 2023 9:30 PM IST

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