ठगी: ऑनलाइन भुगतान करते समय रहें सावधान, फर्जी वेब पेज बना जालसाज ऐंठ रहे रकम

ऑनलाइन भुगतान करते समय रहें सावधान, फर्जी वेब पेज बना जालसाज ऐंठ रहे रकम
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  • ठगी के लिए नामचीन संस्थानों से मिलते-जुलते नाम का करते हैं दुरुपयोग

डिजिटल डेस्क, मुंबई, अखिलेश तिवारी। पुलिस की सख्ती के बावजूद साइबर अपराध के मामले देश में बढ़ रहे हैं। मुंबई में रोजाना दर्जनों लोग जालसाजी के शिकार हो रहे हैं। फर्जी वेबसाइट के जरिए ठग लोगों की गाढ़ी कमाई ऐंठ रहे हैं। ताजा मामला मुंबई के गामदेवी पुलिस थाना क्षेत्र का है, जहां एक नामचीन मिठाई की दुकान के नाम ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी की गई। ठगों ने लगभग मिलते-जुलते नाम की फर्जी वेबसाइट बनाई। लोग असली समझ इस पर मिठाई के ऑर्डर देते और पैसे का भुगतान करते रहे। घंटों इंतजार के बाद जब डिलीवरी नहीं मिली तब संबंधित लोगों ने दुकान मालिक को जानकारी दी। इसके बाद गामदेवी थाने में मामला दर्ज हुआ। गामदेवी और डीबी मार्ग इलाके में 9 लोगों ने धोखाधड़ी की शिकायत की है। पुलिस का कहना है कि ऑनलाइन भुगतान करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।

समोसा ऑर्डर पर 1.40 लाख की चपत

जुलाई में 27 वर्षीय एक डॉक्टर को समोसा ऑर्डर के चक्कर में ₹1.40 लाख की चपत लगी थी। दोस्तों के साथ डॉक्टर पिकनिक पर जाने वाला था। उन्होंने सायन के एक भोजनालय को ऑनलाइन 25 समोसे का ऑर्डर दिया। जालसाजों ने ₹1,500 रुपए का अग्रिम भुगतान मांगा। समोसे की डिलीवरी नहीं मिली। इसके बाद डॉक्टर ने फोन किया। उधर से एक लिंक भेज दोबारा भुगतान लिए कहा गया। थोड़ी देर में ठगों ने उनके खाते से 1 लाख 40 हजार रुपए उड़ा लिए।

पहले यूआरएल चेक करें

जानकारों का कहना है कि असली और नकली वेबसाइट पता करने के लिए गूगल सर्च पर एड्रेस की जांच जरूर करें। असली वेबसाइट के यूआरएल की शुरुआत https से होती है। यदि कंप्यूटर या लैपटॉप में ब्राउजर कर रहे हों, तो माउस को इस वेबसाइट के ऊपर ले जाकर हाइपरलिंक और यूआरएल देख सकते हैं।

वेबसाइट सर्टिफिकेशन

अगर आप किसी वेबसाइट पर लॉगिन करते हैं और इस पर अजीब विज्ञापन देखने को मिलते हैं है तो समझ जाएं कि ये फेक है। आमतौर पर एडल्ट विज्ञापन या फिर लॉटरी के रूप में यह नजर आती है। इन पर ईमेल आईडी और पासवर्ड डालकर लॉगिन करने से बचें।

कॉपीराइट की जांच

यदि आप किसी वेबसाइट पर विजिट कर रहे हैं तो स्पेलिंग की जांच करनी चाहिए। क्योंकि जालसाज असली वेबसाइट के आगे-पीछे एकाध स्पेलिंग बढ़ा या घटा देते हैं। इस वजह से लोग भ्रमित हो जाते हैं। वेबसाइट पर विजिट करने के बाद यूआरएल के अंत में कोई लॉक नजर आए तो समझ लें कि यह असली वेबसाइट है।

Created On :   28 Sept 2023 3:15 AM IST

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