वन्यप्राणियों की दहशत के कारण घटा तेंदूपत्ता संकलन

वन्यप्राणियों की दहशत के कारण घटा तेंदूपत्ता संकलन
  • आए दिन हमले से घबराए लोग
  • घर से निकलने के लिए भी डर रहे मजदूर

डिजिटल डेस्क, मूल (चंद्रपुर)। तहसील में तेंदूपत्ता संकलन 13 मई से शुरू हुआ। लेकिन पिछले सालभर में तहसील में मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ गए हैं। बाघ के हमले में कई नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जंगल व्याप्त परिसर में बाघ का आतंक बना हुआ है, जिससे नागरिक तेंदूपत्ता संकलन करने से डर रहे हैं, जिससे तेंदूपत्ता संकलन घटने की बात कही जा रही है। तेंदूपत्ता संकलन का रोजगार उपलब्ध रहने के बावजूद बाघ की दहशत से रोजगार से वंचित रहना पड़ रहा है।

तहसील में कई गांव ताड़ोबा अंधारी बाघ प्रकल्प से सटे हुए हैं। जहां बड़े पैमाने पर वन्यप्राणियों का विचरण रहता है। पिछले वर्ष मानव-वन्यजीव संघर्ष होकर बाघ के हमले में कई किसान, चरवाह, महिलाओं की बलि चढ़ गई। घर के मुख्य व्यक्ति का शिकार होने से कई परिवार बेबसी में अपना निर्वाह कर रहे हंै। नागरिक दहशत में जीवनयापन कर रहे हैं। तहसील में धान फसल के बाद किसी प्रकार का रोजगार उपलब्ध नहीं रहता, जिससे ग्रीष्मकाल के दिनों में नागरिक तेंदूपत्ता संकलन के रोजगार पर निर्भर रहते हैं। तेंदूपत्ता संकलन लगभग एक माह चलता है। इससे मिलने वाले पैसों से उनके परिवार का पेट भरता है। खेत का खर्च, बच्चों की शिक्षा, शादी के लिए मदद होती है, जिससे नागरिक तेंदूपत्ता संकलन की बाट जोहते रहते हैं। लेकिन मानव-वन्यजीव संघर्ष से दहशत का माहौल बना हुआ है। रोजगार उपलब्ध रहने के बाद भी नागरिकों को रोजगार से दूर रहना पड़ रहा है। जानाला यूनिट अंतर्गत जानाला, आगड़ी, कांतापेठ, टोलेवाही, चिरोली, खालवसपेठ, नलेश्वर, सुशी, दाबगाव इन गांव के लिए लगभग 21 लाख पुड़िया संकलन का लक्ष्य है। लेकिन छह दिन में केवल 15 प्रतिशत कार्य ही हुआ है।

Created On :   1 Jun 2023 3:00 PM IST

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