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Gadchiroli News: गडचिरोली के जंगल में दावानल को रोकने वनविभाग अलर्ट मोड पर

- जिले के पांच वनविभाग में दस्ते भी गठित
- गड़चिरोली जिले में करीब 78 फीसदी जंगल
- जंगल में सागौन समेत मूल्यवान वनस्पति भी है
Gadchiroli News राज्य के आखिरी छोर पर बसा गड़चिरोली जिला सर्वाधिक जंगल से व्याप्त है। विशेषत: प्रतिवर्ष जिले के जंगलों में दावानल (आगजनी) की घटनाएं बड़े पैमाने पर उजागर होती है। जिसमें वनसंपदा नष्ट होने के साथ ही मूल्यवान वनस्पति और जंगली पशुओं के घर उजड़ जाते हैं। ऐसे स्थिति में वनसंपदा का संरक्षण करने के लिए और ग्रीष्मकाल के दिनों में जंगलों में लगनेवाली दावानल की घटनाओं पर लगाम कसने के लिए वनविभाग अलर्ट मोड पर आ गया है। विशेष तौर पर इसके लिए जिले के पांच वनविभाग में दस्ते भी गठित किये गये हैं। बता दें कि गड़चिरोली जिले में करीब 78 फीसदी जंगल है।
जंगल में मूल्यवान सागौन समेत अन्य प्रजाति के पेड़, पौधे होने के साथ ही मूल्यवान वनस्पति भी है। साथ ही पिछले कुछ वर्षों की कालावधि में जिले के जंगलों में जंगली पशुओं की तादाद काफी बढ़ गयी है। बता दें कि गड़चिरोली वनवृत्त के अंतर्गत गड़चिरोली, वडसा, भामराढ़, सिरोंचा और आलापल्ली वनविभाग का समावेश हंै। वनाधिकारियों द्वारा सागौन तस्करी समेत जंगल की अवैध कटाई करनेवालों के खिलाफ निरंतर कार्रवाइयां की जा रही हैं। लेकिन जंगल में दावानल की घटनाओं को रोकना वनविभाग के सामने एक चुनौती बनी है। पिछले अनेक वर्षों से वनविभाग के अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा वनों का संवर्धन करने के संदर्भ में निरंतर लोगों में जनजागृति की जा रही है। जिसके कारण जंगल में आग लगने की घटनाएं काफी हद तक कम हो गयी है। लेकिन ग्रीष्मकाल में जिले में दावानल की घटनाएं पैमाने पर उजागर होती है। जिसके कारण वनविभाग ने अभी से ही उपाययोजना कर सभी वनविभाग के दस्तों का गठन किया है।
पांच वनविभाग ने किया उड़नदस्तों का गठन : ग्रीष्मकाल के दिनों में जंगल में दावानल की घटनाएं न घटे, इसलिए गड़चिरोली वनवृत्त के अंतर्गत आनेवाले गड़चिरोली, वड़सा, भामरागड़, सिरोंचा और आलापल्ली वनविभाग में वनाधिकारी और कर्मचारियों के उड़नदस्ते गठित किये गये हंै। विशेष तौर पर वनविभाग के अधिकारी और कर्मचारी गांव-गांव पहुंचकर वनप्रबंधन समितियों के माध्यम से लोगों में वनसंवर्धन करने हेतु जनजागृति की जा रही है। जिससे दावानल की घटनाओं में इस वर्ष कमी आने की बात कही जा रही है।
महुआ और तेंदूपत्ता संकलन के दौरान होती हैं सर्वाधिक घटनाएं : ग्रीष्मकाल के दिनों में महुआ संकलन और जिले में सर्वाधिक दिन रोजगार देनेवाले सीजन के रूप में पहचाने जानेवाले तेंदूपत्ता संकलन की शुरुआत होती है। ऐसे में महुआ फूल संकलन और तेंदूपत्ता संकलन करते समय किसी भी तरह की अड़चन न आए, इसलिए लोगों द्वारा जंगल में आग लगाई जाती है। लेकिन यह आग तीव्र रूप धारण कर संपूर्ण जंगल को अपनी चपेट में लेती है। जिससे इस वर्ष संबंधित दोनों सीजन के दौरान वनविभाग दावानल की घटनाओं पर लगाम के लिए अलर्ट हो गया है।
Created On :   25 Feb 2025 5:01 PM IST