बिजली बंद: डाक्टर को टॉर्च की रोशनी में करनी पड़ी महिला की प्रसूति ,पांच दिन से बिजली ठप

डाक्टर को टॉर्च की रोशनी में करनी पड़ी महिला की प्रसूति ,पांच दिन से बिजली ठप
  • गड़चिरोली जिले में असुविधाओं का अंबार
  • बारिश में अस्त-व्यस्त हो जाती है जिंदगी
  • पिछले पांच दिनों से बिजली बंद रहने से लोग परेशान

डिजिटल डेस्क, एटापल्ली (गड़चिरोली)। राज्य के आखिरी छोर पर बसे अतिदुर्गम और नक्सल प्रभावित गड़चिरोली जिले में आज भी असुविधाओं का अंबार है। प्रशासन और जनप्रतिनिधि जिला विकास की राहों पर होने की बात कही जाती है। लेकिन आज भी यहां की जनता को स्वास्थ्य समेत अनेक सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है।

पिछले पांच दिनों से गड़चिरोली जिले में मूसलाधार बारिश शुरू है जिसके चलते जिले के राष्ट्रीय महामार्गों समेत अनेक अंतर्गत मार्गों का भी यातायात ठप है। इसी बीच एटापल्ली तहसील एक दुर्गम गांव की गर्भवती को प्रसव पीड़ा शुरू होने से उसे गांव के ही स्वास्थ्य उपकेंद्र में प्रसूति के लिए भर्ती किया गया। इस बात की जानकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के वैद्यकीय अधिकारी को मिलते ही वे लगभग 8 से 10 किमी का सफर तय कर स्वास्थ्य उपकेंद्र में पहुंचे। लेकिन पिछले पांच दिनों से गांव में बत्ती गुल होने के चलते वैद्यकीय अधिकारी को चार्जिंग बल्ब और मोबाइल टॉर्च की सहायता से डिलीवरी करने की नौबत आ गयी। वैद्यकीय अधिकारी के प्रयास से गर्भवती माता की सुखरूप प्रसूति हुई। उसने प्यारे से बच्चे को जन्म दिया। यह मामला एटापल्ली तहसील के कसनसूर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के तहत घोटसूर उपकेंद्र में रविवार, 21 जुलाई को देखने को मिला और मंगलवार, 23 जुलाई को उजागर हुआ।

प्रसूति का नाम प्रीति रमेश चौधरी (23) है। कसनसूर के वैद्यकीय अधिकारी डा.शुभम बडोले ने 21 जुलाई को सुबह 4.30 बजे के दौरान प्रसूति की। जिले में बाढ़ की स्थिति होने के बावजूद वैद्यकीय अधिकारी बडोले ने अथक प्रयास कर बत्ती गुल होने के बाद भी चार्जिंग बल्ब और मोबाइल टॉर्च की सहायता से प्रसूति करने से उनकी जिले में सराहना की जा रही है। वहीं जिले में एक बार भी बिजली विभाग की लापरवाहपूर्ण कार्रवाई सामने आयी है। बता दें कि, एटापल्ली तहसील में कुल 5 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। उनमें से कसनूसर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत कसनसूर, हालेवारा, पुन्नूर, घोटसूर, कोटमी, टेक्का, जारावंडी, कोंदावाही, सेवारी, भापड़ा, वड़सा खुर्द इन 11 उपकेंद्रों का समावेश है। इनमें से घोटसूर स्वास्थ्य उपकेंद्र दुर्गम क्षेत्र में बसा हुआ है। यहां पर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में ज्ञानेश्वर धांदरे, ठेका स्वास्थ्य सेविका अनामिका रॉय व स्वास्थ्य सेवक के रूप में भास्कर थोरात कार्यरत है। शनिवार, 20 जुलाई को गर्भवती माता प्रीति चौधरी प्रसूति के लिए दाखिल हुई। उसके बाद कर्मियों ने वैद्यकीय अधिकारी डा.शुभम बडोले को जानकारी दी। जानकारी मिलते ही वैद्यकीय अधिकारी बडोले गांव पहुंचे तो समूचे गांव में अंधेरा था। यहां पर पिछले पांच दिनों से बत्ती गुल थी। इस मुश्किल परिस्थिति में भी डा.बडोले ने 21 जुलाई को प्रात:काल गर्भवती की प्रसूति करवाई।

सौर ऊर्जा प्रकल्प भी बेकार : गड़चिरोली जिले के दुर्गम क्षेत्र में बिजली आये दिन आती-जाती रहती है। कुछ जगहों पर बिजली आपूर्ति ठप होने पर अनेक दिनों तक सुचारू होती ही नहीं। जिले के दुर्गम क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उपकेंद्रों में नियमित बिजली आपूर्ति होनी चाहिए, 24 घंटे बिजली सुचारू होनी चाहिए, बिजली बिल की समस्या स्थायी हल होनी चाहिए, पर्यावरण पूरक ग्रीन एनर्जी उपलब्ध होनी चाहिए। जिले में करोड़ों रुपए खर्च सौर ऊर्जा प्रकल्प चलाया गया। लेकिन बिजली की समस्या आज भी जैसे थे है। इस ओर जिला प्रशासन अनदेखी करने की बात लोगों द्वारा कही जा रही है।

दुर्गम क्षेत्रों में बिजली ठप होना हुई रोजमर्रा की बात : गड़चिरोली जिले के अतिदुर्गम व दुर्गम क्षेत्र में निरंतर बिजली गायब होती रहती है। यहां निवासित नागरिकों को कभी-कभी पखवाड़ा या फिर एक माह तक भी अंधेरे में जीवन व्यतित करना पड़ता है। घोटसूर गांव में पांच दिनों से बिजली गायब थी। लेकिन बिजली विभाग द्वारा किसी भी प्रकार की कोशिश नहीं की गई।

Created On :   24 July 2024 2:26 PM IST

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