Gadchiroli News: गर्भधारणा के समय थैलेसीमिया, 14 बार रक्त देने के बाद हुई प्रसूति

गर्भधारणा के समय थैलेसीमिया, 14 बार रक्त देने के बाद हुई प्रसूति
  • चार माह तक अस्पताल में रही भर्ती
  • अब प्रसूता और नवजात शिशु को मिली अस्पताल से छुट्टी

Gadchiroli News स्वास्थ्य मंत्रालय ने आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले में करोड़ों रुपये खर्च कर सरकारी अस्पताल बनाए है, लेकिन इन अस्पतालों में व्याप्त असुविधाओं के चलते आए दिन गभर्वती महिलाओं या अन्य मरीजों के उपचार मेें लापरवाही बतरने की शिकायतें लगातार सामने आ रही है। मात्र इसी बीच अहेरी उपजिला अस्पताल से एक सुखद समाचार सामने आया है। जहां गर्भधारणा की जांच में थैलिसेमिया बीमारी का पता चलने पर एक गर्भवती महिला को लगातार चार महीने तक अस्पताल में भर्ती रखा गया। करीब 14 बार रक्त देने के बाद उसकी सुरक्षित प्रसूति करायी गयी।

माता व शिशु स्वस्थ होने के बाद सोमवार, 21 अप्रैल को दोनों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। कहा जाता हैं कि, शादी के बाद बेटी की पहली प्रसूति उसके मायके में होती है, लेकिन इस मामले में भामरागढ़ तहसील के नेलगुंड़ा गांव की हैती मंगरू पुंगाटी के लिए अहेरी का उपजिला अस्पताल ही चार माह के लिए मायका बन गया था। इस संदर्भ में मिली जानकारी के अनुसार, हैती पुंगाटी गर्भवती होने के बाद उसकी तबीयत अचानक खराब होने से उसके पति मंगरू ने दिसंबर में उसे अहेरी के उपजिला अस्पताल में भर्ती कराया। हैती अस्पताल में भर्ती होते ही उसकी सभी प्रकार की स्वास्थ्य जांच की गयी। इस दौरान उसके शरीर में गंभीर रक्ताशय पाया गया।

आगे की जांच में उसे थैलिसेमिया बीमारी होने का स्पष्ट हुआ। ऐसी स्थिति में उसे लगातार रक्त की आवश्यकता थी। उसके पेट में पल रहे नवजात शिशु को स्वस्थ रखने के लिए पोषाहार की भी जरूरत थी। इस स्थिति को देखते हुए उपजिला अस्पताल के डाॅक्टर व कर्मचारियों ने हैती को पूरी तरह सहयोग दिया। अहेरी निवासी विवेक तोड़साम और कृणाल सल्लम नामक सामाजिक कार्यकर्ता को हैती के बारे में पता चलते ही दोनों ने करीब 14 बार रक्त की व्यवस्था करायी। करीब चार महीने की कालावधि में अस्पताल के वैद्यकीय अधीक्षक डा. कन्ना मडावी, डा. राहुल महल्ले, डा. निरीक्षा, बाल रोग विशेषज्ञ डा. हकिम ने हैती पर पूरी तरह ध्यान देते हुए गत सप्ताह उसकी प्रसूति करायी।

प्रसूति के बाद शिशु का वजन कम होने से उसे एक सप्ताह तक अस्पताल में ही रखा गया। सोमवार को प्रसूता माता और नवजात शिशु पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने दोनों को छुट्टी दी। इस समय अस्पताल में मौजूद सभी डाक्टरों व कर्मचारियों ने हैती व उसके शिशु को बिदाई दी। अब तक जिले के सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की लापरवाही के चलते गर्भवती माता या उसके शिशु के मृत्यु होने की खबर सुनाई देती थी। लेकिन अहेरी उपजिला अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों की कर्तव्य निष्ठा की सर्वत्र सराहना की जा रही है।

सभी के सहयोग से मिली सफलता : जिस समय गर्भवती हैती को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उसी समय से उसकी तबीयत नाजुक थी। उसे और उसके होेने वाले बच्चे को स्वस्थ रखने की चुनौती अस्पताल के सभी डाक्टरों व कर्मचारियों ने स्वीकारी। अंतत: अस्पताल प्रबंधन को इस चैलेंज में सफलता मिली। सभी के सहयोग से हैती और उसका शिशु आज स्वस्थ हैं और अपने घर में सुरक्षित है। डा. कन्ना मडावी, वैद्यकीय अधीक्षक, उपजिला अस्पताल अहेरी

Created On :   22 April 2025 3:33 PM IST

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