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वन्यजीव: कोंढाला वनक्षेत्र में हाई अलर्ट, बाघिन ने दिया चार शावकों को जन्म
- बाघों की संख्या 25 पर पहुंची
- शावकों के पास किसी को नहीं आने देती बाघिन
- नागरिकों से जंगल में न जाने की अपील
डिजिटल डेस्क, देसाईगंज (गड़चिरोली)। ओड़िसा राज्य से गड़चिरोली में पहुंचे जंगली हाथियों की दहशत के बाद अब देसाईगंज वन परिक्षेत्र के परिसर में बाघिन की दहशत भी बढ़ने लगी है। वन परिक्षेत्र के कोंढाला जंगल परिसर में एक बाघिन ने 4 शावकों को जन्म दिया है जिससे इस वन परिसर में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। कोंढाला गांव की वन प्रबंधन समिति ने नागरिकों से जंगल में न जाने की अपील की है।
उल्लेखनीय है कि, शावकों के साथ बाघिन हर समय आक्रामक भूमिका में होती है। ऐसी स्थिति में बाघिन किसी भी पशु अथवा मनुष्यों को करीब आने नहीं देती। देसाईगंज वन परिक्षेत्र के तहत आने वाले कोंढाला, रवि, उसेगांव, कासवी आदि परिसर में घना जंगल होकर विभिन्न वन्यजीवों का अस्तित्व आज भी बरकरार है। अब बाघिन ने चार शावकों को जन्म देने से एक बार फिर हमलों की घटनाएं होने की आशंका हैै। इस कारण नागरिकों से जंगल की ओर न जाने की अपील कोंढाला वन प्रबंधन समिति ने की है।
25 पर पहुंची बाघों की संख्या : देसाईगंज वन परिक्षेत्र में गत वर्ष बाघों की संख्या 21 थी। जिसमें 7 बड़े बाघों के साथ 3 छोटे और 11 शावकों का समावेश था। अब इस संख्या में 4 से बढ़ोत्तरी हो गयी है। जिसके कारण इस वन परिक्षेत्र में अब बाघों की संख्या 25 पर पहुंच गयी है। इस वन विभाग में देसाईगंज, आरमोरी और पोर्ला वन परिक्षेत्र का समावेश होकर यह घने जंगलों में बसा हुआ है।
सह्याद्री में होगी ताड़ोबा के दो बाघिनों की मेहमाननवाजी : चंद्रपुर जिले में 200 के आस पास बाघ है। इस वजह से जिले में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं होती रहती हंै। वहीं दूसरी ओर पश्चिम महाराष्ट्र के सह्याद्री बाघ प्रकल्प में बाघों की संख्या कम है इसलिए ताड़ोबा की दो बाघिनों को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया है। एनटीसीए की अनुमति मिलते ही प्रथम चरण में ताड़ोबा की दो बाघिनों को भेजने की तैयारी शुरू हो गई है जिसके बाद बाघिन वहां की मेहमान होगी।
बाघों के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण में ताड़ोबा अंधारी बाघ प्रकल्प में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी है। जल्द ही बाघिनों को यहां से स्थानांतरित करने की तैयारी शुरू है। वहां पर बाघों के निवास के लिए सुरक्षित स्थिति नहीं थी किंतु इसके लिए कालबद्ध कार्यक्रम अमल में लाया और स्थिति में सुधार हुआ है। वहां पर घास पत्ती खाने वाले पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए सागरेश्वर अभयारण्य से प्राणियों को स्थानांतरित किया गया है। वर्तमान समय पर वहां पर नर बाघ होने की जानकारी है। 21 से 22 बाघों की क्षमता उस प्रकल्प की है। प्रथम चरण में 2 और इसके बाद 6 ऐसे कुल 8 बाघों को यहां से सह्याद्री प्रकल्प स्थानांतरित किया जाएगा।
ताड़ोबा के क्षेत्र संचालक डा. जितेंद्र रामगावकर के अनुसार ताड़ोबा अंधारी बाघ प्रकल्प की दो बाघिनों को पिंजरे में कैद कर सह्याद्री प्रकल्प में छोड़ने की तैयारी शुरू है लेकिन इसमें कितना समय लगेगा यह बता पाना मुश्किल है। नागझिरा भेजी बाघिन को पकड़ने में 9 महीने का समय लगा था। ग्रीष्मकाल के दिन होने से उन्हें बेहोश करना आसान नहीं है। इन दिनों शरीर का तापमान अधिक रहता है जिससे दवा का प्रतिकूल परिणाम हो सकता है। इसलिए सावधानी बरतनी पड़ती है।
Created On :   30 April 2024 11:33 AM GMT