उपक्रम: महाराष्ट्र-जर्मनी के बीच अनुबंध, जंगल और जंगल से सटे क्षेत्रों का होगा पुनरुद्धार

महाराष्ट्र-जर्मनी के बीच अनुबंध, जंगल और जंगल से सटे क्षेत्रों का होगा पुनरुद्धार
  • वनमंत्री ने कहा-अब विदेश में भी बजेगा महाराष्ट्र वनविभाग का डंका
  • 11 लाख से अधिक ग्रामीणों को मिलेगा फायदा
  • चंद्रपुर समेत राज्य के 10 जिलों के 2297 गांवों में चलाया जाएगा उपक्रम

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। पर्यावरण संवर्धन व संरक्षण करने के उद्देश्य से पिछले दौर में वनमंत्री के रूप में 50 करोड़ पौधारोपण का कार्यक्रम महाराष्ट्र में चलाया गया। पौधारोपण के उपक्रम से राज्य में 2550 वर्ग किमी तक हरियाली बढ़ गई है। महाराष्ट्र का वनविभाग हमेशा अभिनव उपक्रम चलाने आगे रहा है। अभी भारत-जर्मनी के बीच वन, वनेत्तर क्षेत्र पुर्नसंचयन(पुनरुद्धार), जतन व सरंक्षणार्थ द्विपक्षीय सहयोग करार चंद्रपुर में हुआ है। यह प्रोजेक्ट भारत के चार राज्य में चलाया जा रहा है। इसमें जंगलों और आसपास के परिसरों का विकास किया जाएगा। साथ ही इन जंगलों की और जंगल से सटे क्षेत्र की सुरक्षा और जतन किया जाएगा। इससे जंगल से सटे गांवों को लाभ होगा। साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष भी कम होने के साथ पर्यावरण पर होनेवाले दुष्परिणाम कम होने में मदद मिलेगी। प्रकल्प के माध्यम पर्यावरण विषयक संशोधन व प्रशिक्षण के मौके बढ़ेंगे।

प्रकल्प में महाराष्ट्र अव्वल रहेगा व अपने वनविभाग का डंका जर्मनी में भी बजेगा, ऐसा विश्वास राज्य के वनमंत्री तथा चंद्रपुर के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने व्यक्त किया। वन अकादमी में भारत-जर्मनी द्विपक्षीय सहकार्य प्रकल्प अंतर्गत वन, वनेत्तर क्षेत्र पुर्नसंचयन, जतन और संरक्षणार्थ कार्यक्रम का शुभारंभ करते समय वे बोल रहे थे। इस समय बताया कि, वन, वनक्षेत्र पुनर्संचयित व जतन और संरक्षित करने रिकॅप फॉन एन.डी.सी. प्रकल्प के माध्यम से राज्य के चंद्रपुर समेत यवतमाल, गड़चिरोली, छत्रपति संभाजीनगर, अहमदनगर, पुणे, नाशिक, जलगांव, रत्नागिरी आैर नंदुरबार इन 10 जिलों में 94278 हेक्टेयर वन व वनेत्तर क्षेत्र का पुनर्संचयित (पुनरुद्धार) प्रस्तावित है।

जिससे 11 लाख 57 हजार 189 ग्रामीणों को इसका लाभ होगा। इस समय मंच पर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वनबल प्रमुख) शैलेश टेंभुर्णीकर, प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यजीव) महिप गुप्ता, कैम्पा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शोभिता विश्वास, इस प्रकल्प के जर्मनी के संचालक डा. अलेजांद्रो वॉन बेर्ट्राब, वन अकादमी के संचालक एम.एस.रेड्डी, डा. कुंदन आदि उपस्थित थे। महाराष्ट्र-जर्मनी में द्विपक्षीय सहयोग करार होने की घोषणा करते हुए वनमंत्री मुनगंटीवार ने कहा कि, महाराष्ट्र पर्यावरण विषयक संशोधन व प्रशिक्षण के मौके बढ़ाने के लिए डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन संस्था के सहयेाग से किए गए करार पर अमल उत्तम रूप से होना चाहिए। चंद्रपुर की वन अकादमी देश की उत्कृष्ट प्रशिक्षण संस्था है। इसी संस्था में महत्वपूर्ण करार हो रहा है। इस तरह का शास्त्रशुद्ध नियोजन व प्रशिक्षण इस वनअकादमी में होने चाहिए। इस समय वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार के हाथों महाराष्ट्र-जर्मनी द्विपक्षीय सहयोग करारा का डिलिटल पद्धति से उद्घाटन, सौर ऊर्जा कुंपन योजना का उद्घाटन तथा सूचना किताब का विमोचन किया गया।

मानव-वन्यजीव संघर्ष व मौसम के दुष्परिणाम कम करने में होगी मदद : कार्यक्रम के बाद आयोजित पत्र-परिषद में वनमंत्री मुनगंटीवार ने बताया कि, समस्या पर हल निकालने इंडो-जर्मन द्विपक्षीय सहयोग अंतर्गत राष्ट्रीय निर्धारित योगदान अमल करने के लिए वन व वनेत्तर क्षेत्र पुनर्संचयन, जतन और संरक्षण के लिए यह प्रकल्प महाराष्ट्र राज्य के साथ देश के गुजरात, उत्तराखंड व दिल्ली एनसीआर इन राज्य में जर्मन सोसाइटी फॉर डेवलपमेंट कोऑपरेशन संस्था (जीआईजेेड), भारत सरकार के पर्यावरण, वन और मौसम बदलाव मंत्रालय द्वारा चलाया जा रहा है। वन व वनेत्तर क्षेत्र पुनः संचयित करने उक्त प्रकल्प राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दीपस्तंभ बने, यह लक्ष्य रहेगा। इस प्रकल्प पर अमल 6 संस्थाओं के संघ द्वारा किया जाएगा। जिसमें जीआईजेड इंडिया इस संघ का नेतृत्व करेगी। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर इंडिया, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया, द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट, भारतीय वनीकरण संशोधन व शिक्षण परिषद, इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटिग्रेटेड माउंटन डेवलपमेंट यह अन्य संस्थाएं हैं। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र राज्य में पर्यावरण विषयक संशोधन व प्रशिक्षण के मौके बढ़ाने प्रकल्प के माध्यम से चंद्रपुर वन प्रशासन विकास व प्रबंधन प्रबोधिनी, यह संस्था अगुवाई करेगी।

यह लक्ष्य प्राप्त करने चंद्रपुर वन प्रबोधिनी अंंतरराष्ट्रीय दर्जे का संस्कार केंद्र के रूप में काम करेगी। वन, पर्यावरण व वन्यजीव प्रबंधन संबंध में अतिसंवेदनशील चंद्रपुर व गड़चिरोली क्षेत्र के स्थानीय व ग्रामीणों के सर्वांगीण विकास के लिए इस प्रकल्प व वनअकादमी के माध्यम से प्रयास होगा। साथ ही इस उपक्रम से राज्य में मानव- वन्यजीव संघर्ष कम करने में मदद होगी। मौसम के दुष्परिणाम कम करने में मदद होगी।

Created On :   12 Jan 2024 3:25 PM IST

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