खेती-किसानी: मध्यम अवधि की नई ‘साक्षी' किस्म से आएगी धान के बेल्ट में समृद्धि!

मध्यम अवधि की नई ‘साक्षी किस्म से आएगी धान के बेल्ट में समृद्धि!
  • जून में आयोजित संयुक्त अनुसंधान सम्मेलन में किस्मों के प्रसार की तैयारी
  • सिंदेवाही अनुसंधान केंद्र ने की किस्म विकसित
  • कृषि विश्वविद्यालय में 7 से 9 जून तक संयुक्त शोध सम्मेलन

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। जिले को जहां धान उत्पादन का भंडार कहा जाता है, वहीं इसमें एक और नई किस्म जुड़ गई है। सिंदेवाही के कृषि अनुसंधान केंद्र ने एक नई मध्यम अवधि की ‘साक्षी' किस्म विकसित की, केंद्र जून 2024 में होने वाले संयुक्त अनुसंधान सम्मेलन के तुरंत बाद इस किस्म का प्रचार-प्रसार करने की तैयारी कर रहा है। डॉ.पंजाबराव कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत सिंदेवाही, एकार्जुना, साकोली, गोंदिया, गड़चिरोली में क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र कार्यरत हैं। सिंदेवाही अनुसंधान केंद्र के माध्यम से डॉ. आर. जी. श्यामकुंवर के प्रयासों से मध्यम अवधि वाली धान की नई किस्म ‘साक्षी' विकसित हुई। धान में नई उत्पादक किस्मों के अनुसंधान और खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कृषि विश्वविद्यालय में 7 से 9 जून तक संयुक्त शोध सम्मेलन होगा। सिंदेवाही अनुसंधान केंद्र ने इस सम्मेलन में इस किस्म के प्रचार-प्रसार की तैयारी शुरू कर दी है।

धान उत्पादकों के सामने आने वाली चुनौतियां : जिले में धान की प्रति एकड़ उत्पादकता काफी कम है। चूंकि विदर्भ में धान की उत्पादकता अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम है, इसलिए किसानों को धान की फसल से अपेक्षित उत्पादन नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा, जिले में बहुत असमान वर्षा होती है। जिसमें संरक्षित सिंचाई के अपर्याप्त साधन, अनुशंसित चावल की किस्मों का उपयोग न करना, बीमारियों और कीटों की बढ़ती घटना, रासायनिक उर्वरकों का असंतुलित उपयोग इन कारणों का समावेश है।

जिले में कृषक शोधकर्ताओं का योगदान : चंद्रपुर जिले में कई किसानों द्वारा निम्नलिखित किस्मों का भी उपयोग किया जाता है। सिंदेवाही केंद्र की ‘साक्षी' किस्म जल्द ही इसमें जोड़ी जाएगी।

सिंदेवाही 1: यह धान की उन्नत किस्म है। फसल पकने की अवधि 115 से 120 दिन है।

साकोली 7 : यह किस्म बुआई के 135 से 140 दिन बाद पक जाती है।

पीकेवी एचएमटी किस्म की परिपक्वता अवधि 135 से 140 दिन है। उपज 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

सिंदेवाही-2001: यह किस्म बिहार, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के लिए अनुशंसित है। यह 130 से 134 दिन में पक जाती है।

पीकेवी मकरंद : यह चावल की उन्नत किस्म है। चावल की फसल 125 से 126 दिनों में पक जाती है।


Created On :   4 Jun 2024 10:49 AM GMT

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