गौरव की बात: अब बल्लारपुर के सागौन लकड़ी से बनेगी प्रधानमंत्री की कुर्सी

अब बल्लारपुर के सागौन लकड़ी से बनेगी प्रधानमंत्री की कुर्सी
  • पीएमओ में अन्य जगह भी होगा उपयोग
  • वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने हरी झंडी दिखाते हुए काष्ठ किया रवाना
  • बांबू की भी मांग बढ़ी, कंपनी के साथ करार

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर, नया संसद भवन, भारत मंडपम ऐसे अनेक नामी प्रकल्पों में चंद्रपुर जिले के बल्लारपुर क्षेत्र के सागौन लकड़े का उपयोग हुआ है। अब इसी सागौन लकड़े से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुर्सी के साथ पीएमओ में अन्य जगह भी इसका उपयोग होनेवाला है। पीएमओ के लिए ट्रक से काष्ठ रवाना हुआ। वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने हरी झंडी दिखाते हुए कहा कि, यह चंद्रपुर जिले के लिए गौरव की बात है। भारत में सभी नागरिकों की न्याय देनेवाली सत्ता की सर्वोच्च कुर्सी बल्लारपुर के लकड़े की रहेगी। इसका हम सभी को अभिमान है, ऐसी भावना भी उन्होंने व्यक्त की।

बल्लारपुर में महाराष्ट्र वनविकास महामंडल द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय के काष्ठ रवाना करने आयोजित कार्यक्रम वन विकास महामंडल के पूर्व अध्यक्ष चंदनसिंह चंदेल, भाजपा जिलाध्यक्ष हरीश शर्मा, प्रधान मुख्य वनसंरक्षक विवेक खांडेकर, जिलाधिकारी विनय गौडा जी.सी., महाराष्ट्र वनविकास महामंडल के प्रबंधकीय संचालक संजीव गौड, भाजपा शहर अध्यक्ष काशीनाथ सिंह, प्रादेशिक प्रबंधक सुमित कुमार, वन अकादमी के संचालक एम.एस. रेड्डी, पीयुषा जगताप, बल्लारपुर के उपविभागीय अधिकारी किशोर जैन, सहायक प्रबंधक गणेश मोटकर आदि उपस्थित थे। वनमंत्री ने कहा कि, प्रधानमंत्री कार्यालय के लिए 3018 घनफीट लकड़ा दिल्ली में जा रहा है। केवल प्रधानमंत्री कार्यालय ही नहीं बल्कि केंद्रीय मंत्रिमंडल बैठक का सभागृह, विविध देशों का जहां करार होते हैं, वहा की कुर्सियां व संपूर्ण फर्निचर बल्लारपुर के लकड़े से तैयार होगा।

बांबू के धागे के लिए ससमिरा कंपनी के साथ करार : सर्वोत्तम कपड़े बांबू के धागे से तैयार होते हैं। इसकी दुनियाभर में मांग बढ़ रही है जिससे 29 करोड़ रुपए का पहला प्रकल्प चंद्रपुर में साकार किया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार की ससमिरा कंपनी के साथ करार किया गया है। इसके माध्यम से बल्लारपुर, चंद्रपुर का नाम दुनियाभर में रोशन होगा, ऐसी अपेक्षा में वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने व्यक्त की।

यहां होगा 3 हजार घनमीटर सागौन लकड़ी का उपयोग : प्रधानमंत्री कार्यालय, सम्मेलन कक्ष, द्विपक्षीय चर्चा कक्ष, कैबिनेट सभा कक्ष, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के कार्यालय में सागवान के लकड़े का उपयोग होगा। बल्लारशाह लकड़ा डिपो से 3000 घन मीटर सागौन की लकड़ी भेजी जाएगी। सागौन के लकड़ी की पूजा कर पहली खेप में 1700 घन मीटर लकड़ी भेजी गई है। एफडीसीएम के उपप्रबंधक गणेश मोटकर ने बताया कि बल्लारपुर डिपो का सागौन अंतरराष्ट्रीय टिक हार्वेस्टिंग के लिए पहचाना जाता है। ये सागौन सालों साल टिकता है जिसकी उम्र 600 साल से भी ज्यादा होती है। चंद्रपुर और गड़चिरोली के जंगलों के सागौन की विशेषता है कि इसमें शाइनिंग अच्छी होती है इस सागौन का ग्रेन पैटर्न सबसे अलग और सुन्दर होता है, इसमें नक्काशी काम बेहतर तरीके से किया जा सकता है, इस सागौन में ऑइल कंटेंट होने से इसे कीड़ा नहीं लगता। यही वजह है कि इस सागौन का इस्तेमाल इसके पहले देश की नई संसद भवन, प्रभु श्रीराम मंदिर , उपराष्ट्रपति भवन, भारत मंडपम, केंद्रीय सचिवालय समेत कई महत्वपूर्ण निर्माण में किया गया है।

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Created On :   11 Sept 2024 8:12 AM GMT

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