खेती-किसानी: खेतों में बैलों की जगह ले ली ट्रैक्टर ने , किसानों को नहीं मिल रहे मजदूर

खेतों में बैलों की जगह ले ली ट्रैक्टर ने , किसानों को नहीं मिल रहे मजदूर
  • ट्रैक्टर से जुताई और समतल करने के दर बढ़े
  • मजदूर न मिलने से अधिक दाम देकर काम करवा रहे किसान
  • किसान बैलों को बेच कर ट्रैक्टर से खेती कर रहे

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। आज से कुछ वर्षों पूर्व तक किसान बैलों के सहारे कृषि कार्य करते थे। किंतु अब कृषि कार्य में टेक्नाेलाॅजी आ आई तो किसान बैलों के बजाय ट्रैक्टर पर निर्भर हो गए हैं। इससे उनका समय और श्रम दोनों की बचत हो रही। खेतों में काम करने वाले वर्ष भर के मजदूर न मिलने से बैलों काे पालना आर्थिक रूप से महंगा पड़ रहा है, इसकी वजह से भी अनेक किसानों ने बैलों को पालना ही बंद कर दिया और ट्रैक्टर की सहायता से कृषि कार्य कर रहे हंै। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष ट्रैक्टर से जुताई और समतल करने के दर में 100 रुपए की वृद्धि हुई है।

कुछ वर्षों पूर्व तक जुताई, खेतों को समतल करना, धान के लिए खेतों में कीचड़ तैयार करने के काम बैलों की सहायता से किए जाते थे। किंतु अब किसानों को बैलों को रखना और पालन पोषण मुश्किल हो रहा है। इस वर्ष साल भर के मजदूर के दर 1.25 से 1.50 लाख तक पहुंच गए है। जंगली जानवरों के बढ़ते हमले की वजह से भी मजदूर अधिक रुपए की मांग कर रहे है। कुछ लोग खेती के अलावा और भी काम करते हैं इसकी वजह से यह मजदूर मिलना मुश्किल हो रहा है। जिससे किसान बैलों को बेच कर ट्रैक्टर से खेती कर रहे हैं।

हिंसक जानवरों का हमला भी एक कारण : जिले की सभी तहसीलों की खेती जंगल क्षेत्रों के आस-पास है, जहां पर हिंसक जानवरों का निवास है। कृषि कार्य में लगने जानवरों को चराने के लिए जंगल के आस-पास ले जाना जोखिम भरा है। क्योंकि पिछले कुछ वर्षो के आंकडों पर नजर डाले तो प्रतिवर्ष हिंसक जानवरों के हमले में पालतु जानवरों के मरने और घायलों होने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।

ईंधन के दाम बढ़ने से जुताई के खर्च में 100 रु. की वृद्धि : वरोरा के एक किसान ने बताया कि इस वर्ष ट्रैक्टर से जुताई के लिए 2 फाड़ वाले हल का प्रति एकड़ 2500 से 2800, 3 फाड़ के 1600 से 1800 और 5 फाड़ वाले का प्रति एकड़ 800 रुपए चार्ज ट्रैक्टर वाले ले रहे हैं। जमीन को समतल करने के लिए रोटावेटर का प्रयोग होता है जिसके लिए प्रति एकड़ 1200 से 1300 रुपए लिए जा रहे हंै। ट्रैक्टर मालिकों का कहना है कि ईंधन के बढ़ते दाम की वजह से गत वर्ष की तुलना में 100 रुपए की वृध्दि की गई है।

मजदूरी के दर भी बढ़ गए : खरीफ के मुहाने में खेतों को तैयार करने का काम चल रहा है ऐसे में जुताई के दौरान खेतों की घास साफ करने के लिए महिला मजदूरों की आवश्यकता होती है। भीषण गर्मी पड़ रही है इसलिए महिला मजदूरों को सुबह 7 से 12 बजे तक के घास निकालने के लिए 200 और खेतों में खाद डालने के लिए 250 रुपए मजदूरी दी जा रही है।


Created On :   5 Jun 2024 10:47 AM GMT

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