ताड़ोबा के ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ रहे कदम, 95 प्रतिशत कोर क्षेत्र सोलर युक्त

ताड़ोबा के ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ रहे कदम, 95 प्रतिशत कोर क्षेत्र सोलर युक्त
सभी जलस्रोतों पर लगे हैं सोलर पंप

योगेश चिंधालोरे , चंद्रपुर । भविष्य को देखते हुए एक ओर दुनिया ग्रीन एनर्जी को अपना रही हैं, इसमें विश्व प्रसिद्ध ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प भी पीछे नहीं रहा हैं। हरित ऊर्जा की ओर बढ़ते हुए करीब 95 प्रतिशत ताड़ोबा का कोर क्षेत्र सोलर युक्त हो चुका है। इससे कुछ फायदे भी है। जंगलों में बिजली की लाइन रही तो कभी कभार तारों पर पेड़ गिर जाते हैं और तार टूटने से निकलने वाली चिंगारी से आग धधकने का डर रहता है। ताड़ोबा के ऑफिस, संरक्षण कुटी, कैम्प आदि स्थानों पर सोलर पैनल लगे हैं। वहीं कोर क्षेत्र के नवेगांव, जामनी, पलसगांव, बोटेझरी इन 4 गांवों का पुनर्वसन होने से गांव की बिजली लाइन निकाल दी गई। वहीं रानतलोधी, कारवा गांव की पुनर्वसन की प्रक्रिया चल रही हaै। उल्लेखनीय है कि, ग्रीष्मकाल के दिनों में जलस्रोत सूखने के कारण ताड़ोबा प्रशासन को वॉटर होल पर टैंकरों से पानी पहुंचाना पड़ता था।

ऐसे में ताड़ोबा के कोर व बफर क्षेत्र के लगभग पौने दो सौ वॉटर होल पर सोलर पंप लगाया गया है, जो अपने आप में होल में पानी भरता है। पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में 5 जून को पत्रकारों को ताड़ोबा का दौरा कराया गया था। इस समय पत्रकारों के साथ चर्चा के दौरान ताड़ोबा के कोर के उपसंचालक नंदकिशोर काले, एसीएफ महेश खोरे, चंद्रपुर के डीएफओ प्रशांत खाडे द्वारा क्षेत्र में चल रहे विविध उपक्रमों की जानकारी दी। इस उन्होंने बताया कि इस बार दावानल की घटनाओं को रोकने में वनकर्मियों को काफी सफलता मिली है। इसी तरह यहां जंगलों में बड़े पैमाने पर बांबू पाया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में लगभग 25 प्रतिशत बांबू वृक्षों का समय खत्म हो चुका है, बावजूद नए उग भी रहे हैं। नई किस्म की उगाई जा रही घास : पुनर्वसन हुए गांव की जमीन व खेतों में नई किस्म की घास उगाई जा रही है। शाकाहारी वन्यजीव जो घास बड़े चांव से खाते है, उसमें अधिक जोर दिया जा रहा है।

ताड़ोबा में लगभग 35 से 40 प्रजाती की घास है। घास के विशेषज्ञत प्रो.गजानन मुरतकर ने बताया कि, घास का पारिस्थितिक महत्व बहुत अधिक है क्योंकि वे मिट्टी के कटाव को नियंत्रित करते हैं और मिट्टी की नमी व मिट्टी के माइक्रोकलाइमेट को बनाए रखते हैं और संरक्षित करते हैं। शाकाहारी और मांसाहारी आवासों, और पक्षियों के घोंसले के आवासों को बनाए रखने में भी घास महत्वपूर्ण हैं। राज्य के 33 प्रतिशत जंगल में 11 प्रतिशत घास होना जरूरी है। लेकिन वर्तमान स्थित राज्य में डेढ़ प्रतिशत से भी कम है। ताडोबा में लगभग 5 प्रतिशत है। वर्ष 2021 में भूमि पर घास बीज भूखंड विकसित करने के विचार आया था। पहले कागज पर 12 भूखंडों का खाका तैयार किया और फिर स्थल पर वास्तविक सीमांकन किया। घास के बीज जंगल से जुटाकर डाले गए। यह आने वाले वर्षों में ताड़ोबा क्षेत्र में घास के बीजों के फैलाव और घास के मैदान के प्राकृतिक संवर्धन में मदद करेगा।

Created On :   7 Jun 2023 3:33 PM IST

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