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आंदोलन: लंबित सौर ऊर्जा बाड़ योजना लागू करने किसान-फसल सुरक्षा सत्याग्रह
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। जंगली पशुओं से फसल की क्षति को रोकने और हर किसान को लाभ पहुंचाने के लिए लंबित राज्यव्यापी "सौर ऊर्जा बाड़ योजना’ को लागू करने की मांग को लेकर इको-प्रो का ‘किसान-फसल सुरक्षा सत्याग्रह’ चंद्रपुर वन कार्यालय के सामने शुरू किया गया। सत्याग्रह आंदोलन के बाद इको-प्रो की ओर से मुख्य संरक्षक के माध्यम से सरकार को मांग पत्र दिया गया।
इस मौके पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए इको-प्रो संगठन के अध्यक्ष बंडू धोतरे के नेतृत्व में सत्याग्रह किया गया। इस अवसर पर नितीन रामटेके, कुणाल देवगिरकर, राजू काहिलकर, भारती शिंदे, प्रितेश जीवने, सचिन धोतरे, सुधीर देव, अतुल इंगोले, प्रकाश निर्वाण, धर्मेंद्र लुनावत, ओमजी वर्मा शामिल हुए थे। चंद्रपुर जिले में मानव-वन्यजीव संघर्ष चरम पर पहुंच गया है। मानव जीवन की हानि, जंगली पशु पालतू पशुओं का शिकार, फसल क्षति की समस्या एक बड़ी समस्या है। जंगल, जंगल से सटे खेतों या सभी खेतों में जंगली जानवरों की संख्या में वृद्धि हुई है और जंगली सुअर, रोही के कारण फसल क्षति में भारी वृद्धि हुई है। चंद्रपुर जिले सहित विदर्भ में जंगली पशुओं से होने वाले फसल नुकसान को बचाने के लिए बड़ी संख्या में तार की बाड़ लगाकर करंट प्रवाहित करंट छोड़ा जा रहा है। इसलिए पिछले कई वर्षों में चंद्रपुर, वर्धा, गड़चिरोली, नागपुर जिलों में बाघ और जंगली पशुओं की मौत की कई घटनाएं सामने आई हैं। इस घटना के कारण किसान को वनविभाग और बिजली विभाग द्वारा की गई कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ा। इसके अलावा कई किसान और खेतिहर मजदूर भी इस करंट के संपर्क में आने से मर रहे हैं। बाघ संरक्षण की दृष्टि से किसानों की फसल क्षति की समस्या का समाधान करना बहुत महत्वपूर्ण है।
अत: इको-प्रो संस्था की ओर से चंद्रपुर जिले सहित विदर्भ के सभी जिलों में बफर के आधार पर ‘मागेल त्याला सौर ऊर्जा कुंपन' योजना को सब्सिडी के आधार पर लागू किया जाना चाहिए ऐसी मांग इको-प्रो निरंतर कर रहा है। इस संदर्भ में इको-प्रो ने कई बार अनुवर्ती कार्रवाई की और आंदोलन किया। लेकिन अभी भी कई गांवों में, यहां तक कि जंगल से दूर गांवों के किसान वंचित है। परिणाम स्वरूप किसानों एवं ग्रामीणों में वन्यजीव एवं वन विभाग के प्रति नकारात्मक भावना बढ़ती जा रही है। इसके समाधान के तौर पर सरकार की लंबित ‘सौर ऊर्जा बाड़ योजना' का लाभ हर किसान को देना बहुत जरूरी है। इसमें बफर, कॉरिडोर वन क्षेत्र नहीं है, जिन क्षेत्रों में जंगल नहीं है, वहां भी शाकाहारी जानवरों के कारण फसल क्षति होने पर हर किसान को लाभ देने की मांग की गयी है।
Created On :   19 Dec 2023 10:38 AM GMT