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उत्खनन: घाट धारकों को अलग-अलग तारीखों में स्टॉक उठाने की दे दी अनुमति
- आर्थिक साठगांठ के संदेह में राजस्व व खनिकर्म विभाग
- लाखाें रुपए लेकर घाट धारकों को रेत उठाने की अनुमति का आरोप
- नदियों का हुआ दोहन, क्षमता से अधिक उत्खनन
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर । स्टॉक बचा होने का कारण बताकर 10 रेत घाट धारकों को चौथी बार रेत उठाने की अनुमति राजस्व विभाग द्वारा दी गई। वहीं अतिरिक्त जिलाधिकारी ने घाट धारकों को अलग-अलग तारीखों में स्टॉक उठाने की अनुमति दी है। आर्थिक साठगांठ कर राजस्व विभाग और खनिकर्म विभाग द्वारा खेल खेलने की बात कही जा रही है। वर्ष 2022-23 में चंद्रपुर जिले में कुल 38 रेत घाटों की नीलामी हुई थी जिससे राजस्व विभाग को 28 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था। इन घाटों की रॉयल्टी में 1 लाख 96 हजार 375 ब्रास थी। जहां प्रत्येक घाट से मंजूर ब्रास से सैकड़ों गुना अधिक ब्रास रेत का उत्खनन कर बेचा जा चुका है। बावजूद समयावधि समाप्त होने के बाद अब तक 4 बार रेत उठाने की अनुमति राजस्व विभाग ने रेत घाट धारकों को दी है। 28 सितंबर 2023 को जिलाधिकारी कार्यालय के खनिकर्म विभाग ने सभी उपविभागीय अधिकारी व तहसीलदारों को पत्र भेजा था।
उसके बाद दिसंबर 2023 माह में फिर अवधि बढ़ाकर दी गई। 7 मार्च 2024 को फिर 14 घाटों को रेत उठाने की अनुमति दी। ऐसे में 10 घाट धारकों के पास रेत स्टॉक उपलब्ध होने का हवाला देकर खनिकर्म विभाग ने घाट धारकों को रेत उठाने की अनुमति 6 जून 2024 को दी। यह अनुमति लाखों रुपए लेकर दिए जाने की चर्चा है। 10 में से एक घाट चकदहेगांव घाट जिसका नाम कुछ महीनों पहले अपर जिलाधिकारी के आदेश में नहीं था, वहीं खनिकर्म विभाग के सूची में है। रेत घाट धारक के एक भागीदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि खनिकर्म अधिकारी ने ड्राइवर के माध्यम से एक लाख से दो लाख रुपए प्रति घाट लिए हैं । इस बीच मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद 5 घाटों की मंजूरी रद्द की गई। कारण बताया कि, उन घाट धारकों के पास रेत स्टॉक नहीं है। सूत्रों के अनुसार अतिरिक्त जिलाधिकारी ने अलग-अलग तारीखों का आदेश घाट धारकों को जारी किया है।
विवादित घाटों को अनुमति : खनिकर्म विभाग ने जिन रेत घाट धारकों को अनुमति दी है। उसमें से कई घाट विवादित रहे हैं। इसमें विठ्ठलवाड़ा, कुलथा, चकदहेगांव, अजयपुर-गोंडसावरी, मर्हेगांव का समावेश है। इन घाटों के कारण ही मर्डर, 4-4 मशीनों से नदी से रेत उत्खनन हुआ है। खनिकर्म विभाग ने 6 जून को सार्वजनिक विभाग के साथ घाट धारकों को पत्र दिया। तब से घाट धारकों द्वारा रेत उठाना जारी है किंतु कब तक उठाना है यह बताया नहीं गया था। इसका फायदा उठाकर रेत घाट धारकों द्वारा वैध के आड़ में अवैध रेत उत्खनन व परिवहन धड़ल्ले से हो रहा था। इस संबंध में दैनिक भास्कर में खबर प्रकाशित होने के बाद हरकत में आए अतिरिक्त जिलाधिकारी ने घाट धारक को 25 जून से 10 जुलाई तक रेत उठाने की अनुमति दिए जाने की जानकारी मिली है।
नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां : जिले के रेत घाट धारकों ने उनके पास रेत का स्टॉक बचा होने की जानकारी महाखनिज इस सरकारी पोर्टल पर दी है किंतु नियम-शर्तों का पालन नहीं किया जाता। ग्रामीणों की शिकायत पर पर्यावरण विभाग द्वारा गुप्त सर्वे करने पर घाटों पर बड़ी-बड़ी मशीनों से उत्खनन किया जा रहा है। इससे नदियों का दोहन तो हो रहा है साथ ही क्षमता से अधिक उत्खनन किया जा रहा है। इससे पर्यावरण मंजूरी न देने की मांग भी उठ रही है।
अपर जिलाधिकारी व खनिकर्म अधिकारी की जुगलबंदी : अपर जिलाधिकारी और खनिकर्म अधिकारी के अलग-अलग आदेश व पत्र से यह संपूर्ण अनुमति देने का विषय विवादों में आ गया है। अपर जिलाधिकारी ने मार्च 2024 में जिन रेत घाट धारकों के पास रेत का स्टॉक उपलब्ध है, उनकी सूची के साथ एक आदेश निकालकर सरकारी कार्यों के लिए रेत आपूर्ति के आदेश दिए थे। वहीं सूची में जिस रेत घाट चकदहेगांव का नाम नहीं था, उस रेत घाट का नाम अब खनिकर्म विभाग ने निकाली सूची में आया है। अपर जिलाधिकारी व खनिकर्म विभाग के दावों में सही कौन? ऐसे कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
नियमानुसार अनुमति : घाट धारकों के जैसे-जैसे आवेदन आए हंै, उसके अनुसार अलग-अलग तारीख में अनुमति देकर 15 दिन में स्टॉक उठाने को कहा है। आर्थिक साठगांठ का सवाल ही नहीं आता। -श्रीकांत देशपांडे, अतिरिक्त जिलाधिकारी, चंद्रपुर
खनिकर्म अधिकारी से नहीं हो पाया संपर्क इस संबंध में जिला खनिकर्म अधिकारी सुरेश नैताम से संपर्क करने की कोशिश की गई, परंतु उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
Created On :   4 July 2024 4:54 PM IST