Chandrapur News: ना वीजा, ना पासपोर्ट, हजारों कि.मी. दूर चंद्रपुर आ पहुंचेे विदेशी मेहमान

ना वीजा, ना पासपोर्ट, हजारों कि.मी. दूर चंद्रपुर आ पहुंचेे विदेशी मेहमान
  • खूबसूरत पंछियों से गुलजार हुआ इरई बांध
  • विश्व के सबसे ऊंची उड़ान भरने वाले ‘बार हेडेड गूज’ का भी आगमन
  • विदेशी मेहमानों की चहचहाहट से गूंज रहा परिसर

Chandrapur News हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी चंद्रपुर के इरई बांध परिसर में बड़े पैमाने पर विदेशी पंछियों के आगमन से बांध गुलजार हो गया है। इन विदेशी मेहमानों के आने से पंछीप्रेमियों में खुशी का माहौल देखने मिल रहा है। इन पंछियों को देखने वन्यजीव प्रेमियों के साथ आम नागरिक भी बांध परिसर में पहुंच रहे हैं। इन पंछियों में दो प्रकार के पंछी शामिल हैं, जिसमें भारत के भारत मंे स्थानांतरण करने वाले तथा विदेश से भारत में स्थानांतरण करने वाले पंछी हैं। किसी भी परिस्थितिी में जैवविविधता तथा पर्यावरण के संकेतक के रूप में पंछियों का बड़ा महत्व रहता है।

जिले में आम तौर पर पक्षियों की 350 प्रजातियां पाई जाती हैं। हर साल सर्दियों की अवधि के दौरान विदेशी पर्यटक चंद्रपुर जिले के विभिन्न जलाशयों का दौरा करते हैं। इनमें स्थानीय पक्षी हैं और कुछ प्रवासी शीतकालीन पक्षी हैं। चंद्रपुर में उत्तर से यानी हिमालय, कश्मीर, लद्दाख से सर्दियों में पंछी आते हैं। जबकि यूरोप, मध्य एशिया, सायबेरिया, मंगोलिया तथा रशिया से आनेवाले पंछी भी सर्दियों के दिनों में देखने मिलते। इन सभी राज्य तथा देशों में बहुत ठंड रहती है। इसलिए वे अच्छे वातावरण, पोषक आहार, प्रजनन, बच्चों के पालन-पोषण के लिए अच्छे आवास की तलाश में सर्दियों में लंबी दूरी का सफर करते हैं। ये सभी पंछी हजारों किमी यात्रा कर हर वर्ष सर्दियों में इरई बांध परिसर में आते हैं। इसमें 12 सेमी आकार से 2 फीट ऊंचे पंछियों का समावेश है।

इस साल चंद्रपुर के इरई बांध क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों के बीच बार हेडेड गूज (पट्टकादंबा) के लगभग 35 से 40 पक्षियों का झुंड पाया गया है। रूडी शेलडक (चक्रवाक), क्वाटन टील (काणुक बदक), गडवाल (मलिन बदक), नॉर्दर्न पिंटेल (तलवार बदक), गार्गेनी (भुवयी बदक), कॉम्ब डक (नकटा बदक), कॉमन टील (चक्राग बदक) और रेड क्रेस्टेड पोचार्ड (मोठी लालसरी) के साथ बड़ी लालसरी तथा काणुक बदल यह बड़ी संख्या में दिखाई दे रहे हैं। ऐसी जानकारी शुभम संजय आत्राम (पंछी संशोधक अभ्यासक, प्राणीशास्त्र) ने दी।

Created On :   6 Dec 2024 2:59 PM IST

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