संकट: कच्चे माल के अभाव में बल्लारपुर पेपर मिल के अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा

कच्चे माल के अभाव में बल्लारपुर पेपर मिल के अस्तित्व पर मंडरा रहा खतरा
  • यूनियन के माध्यम से मंत्रियों को पत्र दिया
  • मामले को गंभीरता से लेेते हुए बैठक के आदेश भी मिले
  • समस्या हल करने ठोस उपाय की जरूरत

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। बल्लारपुर शहर स्थित बल्लारपुर पेपर मिल पर साॅफ्ट वुड और बांस (कच्चामाल) की कमी के कारण बंद होने का संकट मंडराने लगा है। इसलिए जिले के पालकमंत्री और वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार से वनविभाग के माध्यम से कच्चा माल उपलब्ध कराने की मांग पूर्व सांसद नरेश पुगलिया ने की है।

पूर्व सांसद पुगलिया ने कहा कि जिले की अर्थव्यवस्था में पेपर मिल का बड़ा योगदान है। पेपर मिल में प्रतिमाह 80 हजार टन नीलगिरी और सुबबूल की सहायता से कागज बनता है जो वर्ष में 10 लाख टन (600 करोड़ रुपए) की कच्चा माल खरीदी करता है। महाराष्ट्र तेलंगाना और आंधप्रदेश राज्याें में पेपर मिल होने से वहां पर लकड़ियों की खरीदी होती है। कागजनगर में पेपर शुरू होने वहां पर भी खरीदी शुरू है। बल्लापुर पेपर मिल एक वर्ष का रिजर्व स्टाक रखती है किंतु वर्तमान समय पर मिल के पास कच्चा माल न होने से ठप होने का खतरा मंडरा रहा है। 13 फरवरी को बल्लारपुर पेपर मिल मजदूर सभा की ओर से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार से अपील की गई थी। इसी विषय पर यूनियन के माध्यम से 24 फरवरी को एक पत्र दिया गया था। दोनों पत्र का संज्ञान लेकर वन अकादमी चंद्रपुर में चीफ कंजरवेशन आॅफ फारेस्ट और अन्य वनविभाग के अधिकारियों की बल्लारपुर पेपर मिल यूनियन के साथ मीटिंग कर सकारात्मक हल के निर्देश दिए थे।

खाली जमीन पर वनविभाग करें लकड़ियों का उत्पादन : राज्य के वनविभाग द्वारा खाली पड़ी जमीन पर सुबबूल और नीलगिरी का उत्पादन कर सरकार के खजाने में करोड़ का राजस्व जमा करा सकता है उसी प्रकार पेपर मिल के कच्चे माल की समस्या हल होगी। यदि मिल बंद हो गई तो सैकड़ों कामगार बेरोजगार होकर इसका प्रतिकूल परिणाम बल्लारपुर और चद्रपुर के व्यापार पर पड़ेगा।

कुछ राज्यों में वनवविभाग स्वयं सुबबूल का उत्पादन कर मिल को देते हंै इस नीति को महाराष्ट्र में भी अपनाया जाये तो बल्लारपुर पेपर मिल के कच्चे माल की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। आज 80 से 90 प्रतिशत तक सुबबूल और 10 से 20 प्रतिशत बांबू का उपयोग होता है। इसलिए वनविभाग इन पेड़ों का उत्पादन करता है तो वनविभाग के राजस्व में भारी वृद्धि होगी। इसलिए पेपर मिल प्रबंधन, कामगार यूनियन और वनविभाग की संयुक्त मीटिंग बुलाकर समस्या का हल निकालने की मांग पूर्व सांसद ने की है।

Created On :   11 July 2024 4:43 PM IST

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