खतरा: चंद्रपुर के जंगलों में चार दशक बाद बांबू पर खिले फूल दे रहे खतरे के संकेत

चंद्रपुर के जंगलों में चार दशक बाद बांबू पर खिले फूल दे रहे खतरे के संकेत
  • संपूर्ण जैवविविधता पर मंडरा रहा है संकट
  • 40 वर्ष बाद चंद्रपुर जिले के बांसों में आते हैं फूल
  • फूल आना होता है खतरे का संकेत

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। एक ओर चंद्रपुर जिले के विविध जंगलों में दावानल धधकने की जानकारी सामने आ रही है। तो दूसरी ओर वर्ष 1983-84 के बाद फिर बांबू को फूल आ गए हैं जिससे बांबू मृत होने की कगार पर पहुंच गए हैं। इस कारण बांबू जिले के जंगलों में भीषण आग का कारण भी बन सकते हैं। दरम्यान इन मृत बांबूओं को हटाने के लिए वनविभाग ने नियोजन के साथ प्रारूप बनाया है किंतु अब तक निधि प्राप्त नहीं होने की जानकारी मिली है। जानकारी के अनुसार हर 40 वर्ष बाद चंद्रपुर जिले के बांबू को फूल आने का इतिहास है, यह बात वनविभाग को ज्ञात है। इसके पूर्व 1983-84 में जिले के वनक्षेत्र के बांबू को फुलोरा आया था। उसके बाद अब पिछले एक-दो वर्ष से थोड़े बहुत पैमाने पर बांबू को फूल आने की बात ध्यान में आयी थी।

वनविभाग ने नियोजन शुरू किया है। प्रारूप बने, परंतु सरकार द्वारा अब तक निधि प्राप्त नहीं हुई है। 40 वर्ष बाद बांबू को फूल आने से संपूर्ण बांबू मृत हो जाता है। जिले में वर्तमान में सर्वत्र बांबू फूल शत प्रतिशत है। सभी बांबू मृत हो चुके हैं। साथ ही जगह-जगह बांबू टूटकर नीचे पड़े हैं। इसे गंभीरता से लेकर आनेवाले समय में जंगल में तेंदूपत्ता, महुआ फूल अथवा खेत में कचरा जलाते समय गलती से यह आग जंगल की ओर बढ़ी तो बड़ी हानि होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। ताड़ोबा व बाहरी वनक्षेत्र में करीब 300 बाघ है। बाघ भी जंगल के तृणभक्षी वन्यजीवों पर निर्भर हैं। जबकि तृणभक्षी जंगल के अनेक प्रकार के घास व वनस्पति पर निर्भर होते हैं। ऐसे में मृत बांबू को आग लगी तो संपूर्ण जैवविविधता खतरे में आ सकती है।

ऐसे में ताड़ोबा, प्रादेशिक व एफडीसीएम ने अपने-अपने क्षेत्र न देखते हुए संयुक्त रूप से काम कर भविष्य खतरे के खतरे की निपटने की जरूरत है। बरसात के दिन आने तक सतर्क रहने की जरूरत है। साथ ही इस संकट से निपटने के लिए सभी विभागों के साथ ग्रामीणों की मदद व प्रबोधन करने की आवश्यकता है। सामुहिक प्रयास से खतरे से निपटा जा सकता है। इस संबंध में इको-प्रो ने मुख्य वनसंरक्षक, चंद्रपुर व जिलाधिकारी को ज्ञापन दिया है। संकट को रोकने के लिए वनविभाग ने वनविभाग ने वन दावानल प्रतिबंधात्मक कार्रवाई मजबूत कर बांबू निष्कासन के कार्य को गति देने की जरूरत है। सरकार ने भी विशेष ध्यान देकर निधि को तत्काल मंजूरी प्रदान करना चाहिए।

उचित नियोजन के साथ तत्काल निधि मंजूर करें : बांबू फुलोरा व संभावित अग से होनेवाले खतरे की ओर देखते हुए शासन-प्रशासन व वनविभाग से अनुरोध है कि, इस बार वन-दावानल प्रतिबंधात्मक कार्रवाई चलाते समय उसे 'डिजास्टर-आपातकालीन परिस्थिति' के रूप में अधिक ध्यान देकर जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, जिला परिषद, स्वास्थ्य विभाग आदि की मदद लेकर वनविभाग ने सामूहिक कार्य करने की आवश्यकता है। जनसहयोग लेना चाहिए। इन सभी कार्य को आवश्यक निधि व संसाधन की पूर्ति तत्काल करने की मांग ज्ञापन से शासन-प्रशासन की ओर की गई है। ग्रामीणों ने भी इस संबंध में अधिक जानकारी लेकर इस परिस्थिति में आवश्यक सहयोग करंे। बंडू धोतरे, अध्यक्ष इको-प्रो संस्था, चंद्रपूर

Created On :   2 April 2024 3:16 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story