मांग: गोंडवाना विद्यापीठ की यात्रा भत्ता धांधली की उच्च स्तरीय जांच करें

गोंडवाना विद्यापीठ की यात्रा भत्ता धांधली की उच्च स्तरीय जांच करें
  • 1 करोड़ 46 लाख रुपए की हेराफेरी का मामला सामने आया
  • सिनेट सदस्य डॉ. चौधरी ने उठाई आवाज
  • वित्त विभाग के अधिकारी शक के घेरे में

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। विश्वविद्यालय के वित्त विभाग के चार लिपिकों व कर्मचारियों द्वारा 1 करोड़ 46 लाख रुपए की हेराफेरी मामला सामने आया है। विश्वविद्यालय के विभिन्न प्राधिकरणों के सदस्यों की यात्रा और भत्ता राशि को क्लर्क अपने संबंधित बैंक खातों में स्थानांतरित करने में सफल रहे हैं। विश्वविद्यालय में कोई भी भुगतान वित्त एवं लेखाधिकारी के हस्ताक्षर के बिना नहीं दिया जाता। भुगतान स्वीकृत करते समय बार-बार जांच की जाती है। इसके बावजूद वित्त विभाग के अधिकारियों को यह कैसे नजर नहीं आया कि चार क्लर्क दो साल से पैसों की हराफेरी कर रहे हैं।

महाराष्ट्र विश्वविद्यालय अधिनियम 2016 की धारा 138 (2) के अनुसार इस मामले की जिम्मेदारी वित्त एवं लेखा अधिकारी पर निश्चित होती, इसलिए तत्कालीन वित्त व लेखाधिकारी से 1.46 करोड़ की राशि वसूल कर अपराध दर्ज करने की मांग सीनेट सदस्य डॉ.दिलीप चौधरी ने ज्ञापन के माध्यम से की। कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के सहयोग के बिना यह असंभव लगता है कि विश्वविद्यालय के क्लर्क दो साल तक देहका की राशि अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते हैं, इसलिए इस वित्तीय गबन मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग डॉ.चौधरी ने की।

यूनिवर्सिटी के सीनेट सभागृह में कई बार सदस्यों ने कुलपति डाॅ. प्रशांत बोकारे के संज्ञान में लाया कि विश्वविद्यालय के विभिन्न प्राधिकरणों के सदस्यों के यात्रा भत्ते लंबित है। ऐसा शायद इसलिए हुआ क्योंकि कुलपति ने सात दिनों के अंदर भुगतान का आदेश दिया था, लेकिन जानबूझ कर उस पर अमल करने या नहीं करने में लापरवाही की। विश्वविद्यालय में भर्ती, ठेका, कार खरीदी और अब यात्रा भत्ता गबन मामले समेत सभी मामलों में कुलपति दोषियों का समर्थन करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए कुलपति को वापस बुलाया जाए और विवि को बदनामी से बचाया जाए। ऐसी मांग की गई। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री, उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री, प्रधान सचिव को ज्ञापन भेजा गया।

Created On :   14 Jun 2024 1:44 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story