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आरोप: पौधारोपण के नाम पर घपलेबाजी, पौधे रोपे ही नहीं और 55 लाख का बिल कर दिया पास
- चंद्रपुर महाऔष्णिक बिजली निर्माण केंद्र में भ्रष्टाचार
- संबंधित अधिकारी विविध टेंडर निकाल रहे
- ठेका कंपनियों के साथ आर्थिक साठगांठ
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर । चंद्रपुर महाऔष्णिक बिजली निर्माण केंद्र में विविध कार्यों में भ्रष्टाचार करने के लिएसंबंधित अधिकारी विविध टेंडर निकाल रहेहैं। ठेका कंपनियों के साथ आर्थिक साठगांठ कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने का आरोप है। ऐसा ही मामला पौधारोपण के काम में हुआ है। ठेका कंपनी को 53 लाख का बिल अदा भी कर दिया और धांधली का मामला उठते ही ठेकेदार पर मात्र 95 हजार का जुर्माना लगाकर मामले पर परदा डालने का प्रयास करने का आरोप लगाया जा रहा है।
इस संबंध में पिछले माह ही सीटीपीएस के मुख्य अभियंता से लिखित शिकायत की गई है जिसमें बताया कि, चंद्रपुर महाऔष्णिक बिजली निर्माण केंद्र के कचराला परिसर में एक ही जगह व एक ही समय पौधारोपण करने व देखभाल के नाम पर विविध टेंडर निकालकर उसमें कुल 53 लाख रुपए खर्च कर यह राशि श्रीराम इन्टरप्राइजेस इस ठेका कंपनी के नाम बैंक खाते में हस्तांतरित की गई। बावजूद दिखाए जानेवाले खर्च से काॅलोनी परिसर में सिविल विभाग के अधिकारी कचराला परिसर में 5 प्रतिशत भी पौधे जिंदा है, यह साबित करके नहीं बता सकते, ऐसी परिस्थिति है।
यह परिस्थिति बता रही भ्रष्टाचार हुआ है : सभी टेंडर अधिकारियों ने केवल भ्रष्टाचार करने के लिए निकाले हैं। यह बात सभी ठेके के वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए लग रहा है। शिकायत में बताया कि, पौधारोपण काम के लिए भले ही अलग-अलग टेंडर निकाले गए किंतु सभी काम "श्रीराम इन्टरप्रायजेस' नामक एक ही ठेकेदार को आचर्श्य रूप से मिले हंै। बिजली कंपनी में कोई भी वार्षिक ठेके के काम का बिल मंजूर करते समय कामगाराें का हित का जतन कर सके, इसके लिए उस काम पर कार्यरत कामगारों के वेतन बैंक के माध्यम से किया जाता है। साथ ही उनका पीएफ भी ठीक तरह से भरा गया है, यह नियमानुसार जांच करने के बिना अधिकारी बिल मंजूर नहीं कर सकते लेकिन सूचना अधिकार के तहत आवेदन करने के बावजूद अधिकारियों को इस काम पर लगे कामगारों की जानकारी देना संभव नहीं हुआ। काम न करते हुए केवल फर्जी बिल मंजूर करने के कारण ही अधिकारी उनकी जानकारी दे नहीं पाए, यह स्पष्ट होता है। वनीकरण को पालतू प्राणियों से बचाव करने के लिए नाली खाेदने का काम बताकर उस पर भी 19 लाख रुपए खर्च करने की महंगी उपाय योजना करनेवाले ठेका भी अद्भुत है
सैटेलाइट से काम की पड़ताल जरूरी: केवल आसानी से भ्रष्टाचार कर सके व उसका कुछ पता न लगे, इसके लिए ही "निरूपयोगी' काम होने की बात समझ आती है। संबंधित काम का सैटेलाइट लोकेशन नक्शे के स्वरूप में प्राप्त कर उस काम की पड़ताल होने की आवश्यकता है। ठेका काम नियम व शर्तों के अनुसार हो रहे हैं या नहीं? यह जांच करने के बाद ही बिल मंजूर करने की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होती है परंतु इस काम की कोई जांच करेगा नहीं, इस मानसिकता से ही इस बोगस काम से बिल उठाने की बात स्पष्ट हो रही है।
मामूली जुर्माने से भ्रष्टाचार परकैसे लगेगा अंकुश : शिकायतकर्ता के अनुसार 10 अक्टूबर 2023 को शिकायत करने के बाद मुख्य अभियंता कार्यालय से उन्हें 9 मई 2024 को पत्र क्रमांक 6125 मिला है। उसके अनुसार ठेकेदार पर उस शिकायत की जांच अनुसार 95 हजार 436 इतना जुर्माना लगाया गया परंतु इतने बड़े भ्रष्टाचार के लिए केवल मामूली जुर्माना लगाकर भ्रष्ट अधिकारियों को उसमें से मुक्त नहीं कर सकते। चंद्रपुर महाऔष्णिक बिजली निर्माण केंद्र के लगभग 53 लाख रुपए नुकसान के लिए दोषी ठेकेदार को भी तत्काल ब्लैक लिस्ट करंे। इस काम के लिए दिखाए गए सभी खर्च की वसूली संबंधितों से करें जिससे इस जगह फर्जी काम कर उसमें से होनेवाली लूट की मानसिकता पर अंकुश लगाया जा सकता है, ऐसा भी शिकायतकर्ता चंद्रकिशोर यादव ने मुख्य अभियंता को दिए शिकायत में कहा है।
Created On :   23 July 2024 2:48 PM IST