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Bhandara News: किसानों को राहत, भंडारा जिले में 58 धान खरीदी केंद्रों को मिली मंजूरी
- सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों का पंजीयन किया जा रहा
- एक प्रतिशत कटौती की मांग पर अड़े केंद्र संचालक
- खुले बाजार में धान बेचने पर विवश हुए किसान
Bhandara News दि महाराष्ट्र स्टेट को-ऑप मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड मुंबई के अंतर्गत भंडारा जिले में किसानों द्वारा खरीफ मौसम 2024-2025 के लिए धान की बिक्री हेतु 58 समर्थन मूल्य धान खरीदी केंद्र शुरू किए गए। सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों का पंजीयन किया जा रहा है। पंजीयन के लिए केवल दो दिनों का समय बचा है। किंतु समर्थन मूल्य धान खरीदी केंद्रों के बहिष्कार के कारण भंडारा जिले के किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रशासन इस समस्या को हल नहीं कर पा रहा है। इन समस्याओं को हल करने के लिए स्वराज्य युवा एकता फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अमित मेश्राम ने महाराष्ट्र सरकार के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रमुख सचिव रणजितसिंह देवल को ज्ञापन सौंपा है। सरकारी समर्थन मूल्य धान खरीदी केंद्र पर धान बेचने के लिए किसानों को आधार कार्ड एवं अन्य दस्तावेजों के माध्यम से पहले पंजीयन करना अनिवार्य किया गया। जिसके अनुसार किसान धान खरीदी केंद्र पर जाकर पंजीयन कर रहे हंै। उसके पश्चात किसानों का धान केंद्र संचालक खरीदते हैं। खरीदा गया माल गोदाम से उठाने की दो माह की अवधि तय की है। ऐसे सभी नियम होते हुए भी मार्केटिंग फेडरेशन की गलत नीति के कारण सरकार के फैसले को दरकिनार करने में फेडरेशन धान उठाने के लिए सात से आठ माह का समय लग रहा है।
किसानों के पास से खरीदे गए धान का जतन करने में समर्थन मूल्य धान खरीदी केंद्रों को अत्यधिक खर्च करना पड़ता है। आय से अधिक खर्च होने के कारण जिले के धान खरीदी करने वाले संगठनों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। माल देर से उठाने पर फेडरेशन को अनुचित कटौती की अनुमति देनी होगी, खरीदे गए माल के उठाव तक की अवधि के लिए गोदाम का किराया देना होगा। भुगतान करना होगा, पूर्ण गारंटी, खरीद पर संस्थाओं को कमीशन देना होगा, ऐसी मांग स्वराज्य युवा एकता फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अमित मेश्राम ने की है। इस संबंध में महाराष्ट्र सरकार के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रमुख सचिव रणजितसिंह देवल को ज्ञापन सौंपा गया। इस पर कोई निर्णय नहीं होने के कारण संस्थानों में रजिस्ट्रेशन अभी भी बंद है। नतीजा यह देखने में आ रहा है कि जिले के किसानों को व्यापारियों के हाथों महंगे दामों पर धान बेचना पड़ रहा है।
Created On :   14 Nov 2024 6:28 PM IST